Aarogya Anka

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

अखरोट:walnut:(अखरोट से अन्य रोगों का इलाज कैसे करे?)-

→हमारे भारत देश मे कश्मीर से मणिपुर तक अखरोट के पेड़ बहुत सारे होते है|पेड़ की लंबाई 60- 90 फुट तक होती है| अखरोट क फूल सफेद रंग के छोटे-छोटे गुच्छे के रूप मे लगते है|और इसके पत्ते 4-8 इंच तक लंबे, अंडकार ,नुकीले और तीन दो कंगूरे वाले होते है| इसके पत्ते संकोचक और पोस्टिक होते है तथा धातु परिवर्तक और शरीर की क्रियाओ को ठीक करने वाले माने जाते है| 

फल– अखरोट(walnut ) के फल गोल और मैनफल के समान होता है|फल के भीतर बादाम के तरह मींगी निकलती है| अखरोट दो प्रकार का होता है- एक को अखरोट और दूसरे को रेखा फल कहते है| इसके पौधे के लड़की बहुत ही मजबूत , अच्छी और भूरे रंग की होती है|

walnut,अखरोट

छिलका एवं काढ़ा– इसका छिलका कृमिनाशक और विरेचक है| इसका काढ़ा गल ग्रंथियों के लिए उपयोगी माना जाता है,और कृमिनाशक है |गठिया के बीमारी मे इसका फल धातु परिवर्तक होता है|उपदंश, विसप्रिका ,खुजली, कंठमाला इत्यादि रोगों मे यह लाभकारी माना जाता है|

गुण -दोष एवं उपयोग- आयुर्वेद के अनुसार अखरोट मधुर, किंचित खट्टा, स्त्रीगध ,शीतल,वीर्यवर्धक,गर्म, रुचिदायक, कफ पितवर्धक ,तथा वात- पित , क्षय,वात,हृदयरोग,रक्तवात,रुधिर दोष को दूर करने वाला है|

अखरोट के फायदे एवं उपयोग –

1. कंठमाला– अखरोट के पत्तों का काढ़ा पिए और उसी से गांठ को धोने से कंठमाला मीट जाता है|

2.नासूर– इसकी मिली हुई गिरी को मोम और मीठे तेल के साथ गलाकर लेप करने से नासूर नष्ट हो जाता है|

3.नारू -इसकी खली को पानी के साथ पीसकर गर्म करके सूजन पर लेपकर पट्टी बांधकर तपानेसे से सूजन उतार जाता है|14- 20 दिन करने पर नारू गलकर नष्ट हो जाता है|

4. कृमिरोग-इस पेड़ के छालों के काढ़ा पिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते है|

5. मुंह का लकवा– इसके तेल का मर्दन करके वादी मिटाने वाली औषधियों के काढ़ा का बफारा लेने से इस रोग मे बाद लाभ होता है|

6. सूजन– पवभर गोमूत्र मे 1 से 4 तोले तक अखरोट का तेल मिलाकर पान करने से शरीर की सूजन उतरती है|

7. विरेचक(दस्त लाना)- अखरोट की गिरी से तेल खिचा जाता है, वह एक औससे दो औस तक देने से मृदु विरेचन होता है|

8. मस्तिष्क की दुर्बलता अखरोट की गिरी 25 ग्राम दिन में भोजन के साथ खाने से तीन मास में मस्तिष्क की दुर्बलता दूर हो जाती है।

विधि-

कटोरी में जरा-सा देसी घी डालिए। उसमें अखरोट की गिरियाँ थोड़ी देर भून लीजिए। ऊपर से स्वाद- अनुसार चीनी मिला लीजिए। शीतल होने पर खाइए। (और पढ़े दिमाग तेज करने के चमत्कारी नुस्खे)

9. एग्ज़ीमा का इलाज अखरोट की गिरी का तेल एग्ज़ीमा वाले स्थान पर साफ रुई से लगाइए। एक मास में एग्ज़ीमा साफ़ हो जाएगा।

10. दाद का इलाज –

 सवेरे बिना कुल्ला किये ही अखरोट की गिरी चबाइए और उसी को दावाले स्थान पर लगाइए। एक मास में दाद दूर होगा।

11. नासूर का इलाज नुस्खा अखरोट की गिरी मोम 25 ग्राम, मीठा तेल 25 ग्राम ।

विधि-

अखरोट की गिरी तथा मोम को मीठे तेल में डालकर गर्म करें। मरहम-सी तैयार हो जाएगी। इसे नासूर पर लगाइए। (और पढ़े- पुराने घाव ठीक करने का रामबाण फकीरी नुस्खा)

12. अदित (मुहका लकवा) – 

अदित में इसके तेल का मर्दन करके बाद मिटाने वाली औषधियों के काथ का वफारा लेने से बड़ा लाभ होता है।

13.  नारू – 

नारू (शरीर में होनेवाली फुंसियों में से सफेद रंग के सूत के समान लंबे लंबे कीड़े निकलते हैं) में इसकी खली को पानी के साथ पीस कर गरम कर सुजन पर लेप कर पट्टी बाँध कर तपाने से सूजन उतर जाती है। ऐसे 15-20 दिन तक नित्य प्रयोग करने से नारू गल कर नष्ट हो जाता है।

14. कंठमाला – 

इसके पत्तों का क्वाथ पीने और उसीसे गाँठ को धोने से कंठमाला मिटती है। (और पढ़े – कण्ठमाला के 22 घरेलू उपचार)

15.  शोथ (सूजन) – 

पाव भर गोमूत्र में 1 से 4 तोले तक अखरोट का तेल मिलाकर पीने से शरीर की सूजन उत्तरती है।

16. अफीम का विष इसकी गिरी को खिलाने से अफीम के विष के उपद्रव में फायदा होता है।

17. विरेचन-

 इसकी गिरी से जो तेल खींचा जाता है वह 1 औस (ढाई तोला) से लगाकर 3 औंस तक देने से मृदु विरेचन होता है।

अखरोट से तेल निकालने की विधि -

* इसकी गिरी को महीन कूट गाढ़े कपडे की थैली में भर यंत्र में दवाने से तेल निकलता है। यह तेल सफेद, पतला और स्वादिष्ट होता है। इसमें जलाने व फफोला उठाने की शक्ति होती है। यह तेल ज्यों-ज्यों पुराना होता है त्यों-त्यों फफोला उठाने की शक्ति बढ़ती जाती है।

* जितनी गिरी में से तेल निकालना हो उसेमें से 34 को पहले कोल्हू में डालकर पेरना चाहिये। जब वह महीन हो जाती हैं, तब शेष गिरी भी उसमें डाल दें और उसके बाद एक सेर भर मिसरी के टुकड़े डाल दें जिससे खली तेल को छोड़ देगी। इस तेल को छानकर काँच या चीनी के बर्तन, में भर देना चाहिये

अखरोट के नुकसान-

  • अखरोट के ज्यादा सेवन से पेट दर्द, उल्टी, दस्त जैसी परेसानी हो सकती है।
  • काले अखरोट का सेवन किड्नी सम्बन्धित रोगों को जन्म दे सकता है|
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