Aarogya Anka

स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

अमरूद (Guava): स्वास्थ्य रक्षा मे अमरूद का उपयोग-

अमरूद(Guava)-

अमरूद या जामफल एक सस्ता और गुणकारी फल है, जो प्रायः सारे भारत मे पाया जाता है|संस्कृत मे इसे  ‘अमृतफल ‘ भी कहा जाता है|

आयुर्वेद के अनुसार पका हुआ अमरूद स्वाद मे खट्टा-मिट्ठा, कसैला, गुण मे ठंडा, पचने मे भारी, कफ तथा वीर्यवर्धक,रुचिकारक, पितदोषनाशक,वातदोष नाशक एवं हृदय के लिए हितकर है|अमरूद पागलपन, भ्रम,मूर्छा,कृमि,तृषा,शोष,श्रम,विषम ज्वर(मलेरिया)तथा जलनाशक है|यह शक्तिदायक,सत्वगुणी एवं बुद्धि वर्धक है|भोजन के 1-2 घंटे के बाद इसे खाने से कब्ज , अफरा आदि की शिकायते दूर होती है|सुबह खली पेट अमरूद(guava) खाना भी लाभदायक है| 

अमरूद (guava )

विशेष- 

अधिक अमरूद खाने से वायु,दस्त एवं ज्वर की उत्पति होती है|तथा मंदाग्नि और सर्दी भी हो जाती है|जिनकी पाचन शक्ति कमजोर हो उन्हे अमरूद कम खानी चाहिए|

अमरूद कहते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि इसके बीज ठीक से चबाए बिना पेट मे न जाए| जमफल(अमरूद) को या तो खूब अच्छी तरह चबाकर निगले या फिर इसके बीज अलग करके केवल गुदा ही खाए| इसका सबूत बीज अपेंडिस्क मे चल जाय तो फिर बाहर नहीं निकाल पता, जिससे प्रायः अपेंडिसाइटिस होने की संभावना होती है|

खाने के लिए पके हुए अमरूद की प्रयोग करे| कच्चे अमरूद (guvava)का उपयोग सब्जी रूप मे किया जा सकता है| दूध एवं अमरूद खाने के बीच 2-3 घंटों का अंतर अवश्य रखे| 

अमरूद(जामफल) का औषधि रूप मे उपयोग-

  1. सर्दी-जुकाम- जुकाम होने पर एक अमरूद का गुदा बिना बीज को खाकर एक ग्लास पानी पी ले| दिन मे ऐसा 2-3 बार करे| पानी पीते समय नाक से साँस न ले और न छोड़े| नाक बंद करके पानी पिए और मुह से ही साँस बाहर फेंके|इससे नाक बहने लगेगा|नाक बहन शुरू होते ही अमरूद खाना बंद कर दे|1-2 दिन मे जुकाम खूब झड़ जाय तब रात को सोते समय पचास ग्राम गुड खाकर बिना पानी पिए सिर्फ कुल्ला करके सो जाय|जुकाम ठीक हो जाएगा|
  2. खाँसीएक पूरा अमरूद(guava) आग की गर्म राख मे दबाकर सेक ले| 2-3 दिन तक प्रतिदिन इस प्रकार एक अमरूद खाने से कफ ढीला होकर निकाल जाता है|और खांसी मे आराम हो जाता है|अमरूद के पत्ते पानी से धोकर साफ कर ले और फिर पानी मे उबाले|जब उबलने लगे तब उसमे दूध और शक्कर डाल दे, फिर उसे छान ले| इसको पीने से खांसी मे आराम मिलता है|इसके बीज को  ‘बहिदाना ‘ कहते है|इन बीजों को सुखाकर पीस ले और थोड़ी मात्रा मे शहद के साथ सुबह शाम चाटे|इससे खांसी ठीक हो जाएगी|इस दौरान तेल और खटाई का सेवन न करे|
  3. सुखी खांसी– इसमे पके हुए अमरूद को खूब चबा -चबाकर खाने से लाभ होता है|
  4. कब्ज- प्रयाप्त मात्रा मे अमरूद खाने से मल सुखा हुआ कठोर नहीं हो पाता और आसानी से शौच हो जाने से कब्ज नहीं रहता| अमरूद काटने के बाद उसपर सोंठ, काली मिर्च और सेंधा  नमक छिड़क ले| फिर इसे खाने से स्वाद बढता है|और पेट का अफरा गैस तथा अपच दूर होता है|इसे सुबह खली पेट खाना चाहिए|या भोजन के साथ खाना चाहिए|
  5. मुख के रोग इसके कोमल हरे ताजे पत्ते चबाने से मुंह के छाले नरम पड़ते है|मसूड़े तथा दांत मजबूत होते है|मुह के दुर्गंध का नाश होता है|पत्ते चबाने के बाद इसका रस मुख मे थोड़ी देर रखकर इधर-उधर घुमाते रहे, फिर थूक दे| पत्तों को उबालकर इसके पानी से कुल्ला और गरारा करने पर दांत का दर्द दूर होता है|एवं मसूड़ों की सूजन तथा पीड़ा नष्ट होता है|
  6. शिशु- संबंधी रोग–  अमरूद के पत्तों को पीसकर उनकी लुगदी बनाकर बच्चों के गुदा के मुख पर रखकर बांधने से उनका गुदभ्रंश यानि कांच निकलने का रोग ठीक होता है|बच्चों को पतले दस्त बार-बार लगते हो तो इसके कोमल तथा ताजे पत्ते एवं जड़ के छाल को उबालकर काढ़ा बनाले और 2-2 चम्मच सुबह-शाम पिलाए|इससे पुराना अतिसार भी ठीक हो जाता है|इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर पिलाने से उलटी तथा दस्त होन बंद हो जाता है|
  7. सूर्यावर्त– सुबह सूर्योदय से सिर दर्द शुरू हो, दोपहर मे तीव्र पीड़ा हो एवं सूर्यास्त हो तब सिर दर्द मीट जाए- इस रोग को सूर्यावर्त कहते है|इस रोग मे रोज सुबह पके हुए अमरूद खाने एवं कच्चे अमरूद को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर ललाट पर लेप करने से लाभ होता है|
  8. दाह-जलन- पके हुए अमरूद पर मिश्री छिड़क कर रोज सुबह एवं दोपहर खाने से जलन कम होती है|यह प्रयोग वायु एवं पित दोष से उत्पन्न शारीरिक दुर्बलता मे भी लाभदायक है| 
  9. पागलपन एवं मानसिक उतेजना-मानसिक उतेजना , अतिक्रोध, पागलपन अथवा अतिविषय वासना के रोग मे भिगोए हुए 3-4 पके अमरूद सुबह खाली पेट खाना लाभदायक है|दोपहर के समय भी भोजन के एक घंटे बाद अमरूद खाए| इससे मस्तिषक की उतेजना का शमन होता है|एवं मानसिक शांति मिलती है|
  10. स्वप्नदोष- कब्जियत अथवा शरीर की गर्मी के कारण होने वाले स्वप्न दोष मे सुबह और शाम अमरूद का सेवन करना लाभप्रद है|
  11. खूनी दस्त( रक्तितिसार)- अमरूद के मुरब्बा का पके हुए या कच्चे अमरूद की सब्जिय का सेवन खूनी दस्त मे लाभप्रद है|
  12. मलेरिया ज्वर- तीसरे तथा चौथे दिन आने वाला विषम ज्वर(मलेरिया) – मे रोज नियम से सीमित मात्रा मे अमरूद का सेवन लाभदायक है|     
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