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स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

कुछ महत्वपूर्ण औषधियाँ, उनके घटक तथा बनाने की विधि

1. महत्वपूर्ण औषधियाँ-

औषधियाँ

1. त्रिफला चूर्ण-

घटक-

हरड़, बहेड़ा, आंवला- प्रत्येक 1-1 भाग लेकर सूक्ष्म चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख ले|

मात्रा और अनुपात-

3-6gm  गरम पानी , दूध के साथ|

गुण और उपयोग-

यह चूर्ण उतम रसायन एवं मृदु विरेचक है|इस चूर्ण का प्रयोग करने से प्रमेहरोग, शोथ, पांडुरोग नष्ट होते है|यह चूर्ण(औषधियाँ) अग्निप्रदीपक,कफ,पित, कुष्ठ और वलिपलित नाशक है|इस चूर्ण को रात मे गर्म पानी या दूध के साथ सेवन करने से सुबह दस्त खुलकर होता है|

हिंग्वाष्टक चूर्ण-

घटक-

सोंठ, मिर्च,पीपल, अजवायन, सेंधा नमक, सफेद जीरा, काला जीरा प्रत्येक 100-100 gm  हिंग(घी मे भुनी हुई) 12gm  लेकर महीन चूर्ण कर ले|

मात्रा और अनुपात-

3 gm  गरम जल या घी के साथ|

गुण और उपयोग-

इस चूर्ण को भोजन के समय प्रथम ग्रास मे घी मे मिलाकर खाने से अग्नि प्रदीप्त होती है|पेट मे गैस बनना , खट्टी डकारे आना, भूख न लगना, अजीर्ण आदि की यह उत्तम दवा है|

सितोपलादि चूर्ण-

घटक- 

मिश्री या चीनी 160 gm , वंशलोचन 80 gm , पिप्पली 40 gm, छोटी इलाईची 20 gm , दालचीनी 10 gm – सबको कूटकर छानकर चूर्ण बना ले|

मात्रा और अनुपात-

1-3 gm  सुबह-शाम मधू के साथ या मधू-घी के साथ|

गुण और उपयोग-

सभी प्रकार के कास, श्वास, क्षय , राजयक्ष्मा , मुंह से खून गिरना, साथ-साथ थोड़ा ज्वर रहना, जुकाम आदि मे इस चूर्ण से लाभ होता है| 

 

मरीच्यादी चूर्ण-

घटक-

काली मिर्च का महीन चूर्ण तथा बराबर मात्रा मे चीनी या मिश्री पीसकर मिलाकर रख ले|

मात्रा एवं अनुपात-

1-2 gm  सुबह-शाम मधू से|

गुण एवं उपयोग-

इस चूर्ण के सेवन से खांसी एवं श्वास रोग दूर होता है|जब खांसी या श्वास का दौरा मालूम पड़े , सुखा चूर्ण ही मुख मे डालने से श्वास का दौरा रुक जाता है|इसके सेवन से आवाज भी साफ एवं मधुर होता है|

वसावहेल-

घटक-

वासा (अड़ूसा)- का काढ़ा 800 gm , चीनी 400 gm , पिप्पली 100 gm , गाय का घी 200 gm , शहद 400 gm. 

विधि-

सबसे पहले अड़ूसे की जड़ 800 gm  को छोटे टुकड़े कर साढ़े तीन लीटर पानी मे पकाये|जब पानी पकते-पकते चौथाई रह जाय तो छान कर काढ़ा अलग कर इसमे चीनी मिलाकर चाशनी तैयार करे| चाशनी तैयार हो जाय तो पिप्पली चूर्ण और घी मिलाकर उतार ले|जब यह ठंडा हो जाए तो शहद मिलाकर सीसी मे रख ले|

मात्रा- 

6-12 gm  सुबह-शाम |

गुण और उपयोग-

यह सब तरह की खांसी, श्वास, रक्तपित, राजयक्ष्मा आदि रोगों को दूर करता है|पुरानी खांसी की यह अचूक दवा है|  

कल्याणावहेल-

घटक-

हल्दी,बच,कुठ । पीपल,सोंठ,जीरा,अजोमद, मुलेठी, सेंधा नमक प्रत्येक 1-1 भाग लेकर महीन चूर्ण करके सुरक्षित रख ले|

मात्रा और अनुपात-

2-4 gm सुबह-शाम गाय के घी के साथ|

गुण और उपयोग- 

इसका पथ्यपूर्वक 21 दिनतक सेवन करने से मनुष्य श्रुतिधर( सुनकर ही बातों को स्मरण करने वाला) और कोयल के समान स्वरवाला हो जाता है|आवाज साफ हो जाती है|

 

गुलकंद-

घटक-

गुलाब की पंखुड़िया 1 भाग, चीनी 2 भाग|

विधि-

कलाईदार बर्तन मे थोड़ी- थोड़ी पंखुड़िया और चीनी मिलाकर हाथ से मसलकर फिर चीनी मिट्टी की बर्तन मे रख देवे|कुछ दिन रखा रहने पर गुलकंद तैयार हो जाता है|बर्तन का मुह बंद करके 1 month  के लिए रख दे|

मात्रा और अनुपात- 

गुलकंद को 1-2 तोला जल या दूध से |

गुण और उपयोग-

इसका प्रयोग करने से दाह ,पितदोष,जलन,गर्मी से छुटकारा मिलता है| मस्तिष्क को शीतलता देता है|गर्मी के कारण घमौरिओ मे लाभ पहुचाता है|

शिलाजित्वादी वटी -

घटक-

त्रिवन्ग-भस्म 30 gm , नीम की पती तथा गुड़मार की पत्ती का चूर्ण 100-100 gm , शिलाजीत 150 gm|

विधि- 

पहले शिलाजीत मे त्रिवंग -भस्म मिलाए, पीछे अन्य चूर्ण मिलाकर आधा-आधा ग्राम की गोली बना ले|

मात्रा एवं अनुपात-

2-2 गोली दिन मे तीन बार|

गुण और उपयोग-

मूत्र की अधिकता, इक्षुमेह ,मधुमेह(sugar)- मे इसके प्रयोग से (aushadhi)अच्छा लाभ होता है|  

ये थी आज की महत्वपूर्ण औषधियाँ|

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