1. महत्वपूर्ण औषधियाँ-
1. त्रिफला चूर्ण-
घटक-
हरड़, बहेड़ा, आंवला- प्रत्येक 1-1 भाग लेकर सूक्ष्म चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख ले|
मात्रा और अनुपात-
3-6gm गरम पानी , दूध के साथ|
गुण और उपयोग-
यह चूर्ण उतम रसायन एवं मृदु विरेचक है|इस चूर्ण का प्रयोग करने से प्रमेहरोग, शोथ, पांडुरोग नष्ट होते है|यह चूर्ण(औषधियाँ) अग्निप्रदीपक,कफ,पित, कुष्ठ और वलिपलित नाशक है|इस चूर्ण को रात मे गर्म पानी या दूध के साथ सेवन करने से सुबह दस्त खुलकर होता है|
हिंग्वाष्टक चूर्ण-
घटक-
सोंठ, मिर्च,पीपल, अजवायन, सेंधा नमक, सफेद जीरा, काला जीरा प्रत्येक 100-100 gm हिंग(घी मे भुनी हुई) 12gm लेकर महीन चूर्ण कर ले|
मात्रा और अनुपात-
3 gm गरम जल या घी के साथ|
गुण और उपयोग-
इस चूर्ण को भोजन के समय प्रथम ग्रास मे घी मे मिलाकर खाने से अग्नि प्रदीप्त होती है|पेट मे गैस बनना , खट्टी डकारे आना, भूख न लगना, अजीर्ण आदि की यह उत्तम दवा है|
सितोपलादि चूर्ण-
घटक-
मिश्री या चीनी 160 gm , वंशलोचन 80 gm , पिप्पली 40 gm, छोटी इलाईची 20 gm , दालचीनी 10 gm – सबको कूटकर छानकर चूर्ण बना ले|
मात्रा और अनुपात-
1-3 gm सुबह-शाम मधू के साथ या मधू-घी के साथ|
गुण और उपयोग-
सभी प्रकार के कास, श्वास, क्षय , राजयक्ष्मा , मुंह से खून गिरना, साथ-साथ थोड़ा ज्वर रहना, जुकाम आदि मे इस चूर्ण से लाभ होता है|
मरीच्यादी चूर्ण-
घटक-
काली मिर्च का महीन चूर्ण तथा बराबर मात्रा मे चीनी या मिश्री पीसकर मिलाकर रख ले|
मात्रा एवं अनुपात-
1-2 gm सुबह-शाम मधू से|
गुण एवं उपयोग-
इस चूर्ण के सेवन से खांसी एवं श्वास रोग दूर होता है|जब खांसी या श्वास का दौरा मालूम पड़े , सुखा चूर्ण ही मुख मे डालने से श्वास का दौरा रुक जाता है|इसके सेवन से आवाज भी साफ एवं मधुर होता है|
वसावहेल-
घटक-
वासा (अड़ूसा)- का काढ़ा 800 gm , चीनी 400 gm , पिप्पली 100 gm , गाय का घी 200 gm , शहद 400 gm.
विधि-
सबसे पहले अड़ूसे की जड़ 800 gm को छोटे टुकड़े कर साढ़े तीन लीटर पानी मे पकाये|जब पानी पकते-पकते चौथाई रह जाय तो छान कर काढ़ा अलग कर इसमे चीनी मिलाकर चाशनी तैयार करे| चाशनी तैयार हो जाय तो पिप्पली चूर्ण और घी मिलाकर उतार ले|जब यह ठंडा हो जाए तो शहद मिलाकर सीसी मे रख ले|
मात्रा-
6-12 gm सुबह-शाम |
गुण और उपयोग-
यह सब तरह की खांसी, श्वास, रक्तपित, राजयक्ष्मा आदि रोगों को दूर करता है|पुरानी खांसी की यह अचूक दवा है|
कल्याणावहेल-
घटक-
हल्दी,बच,कुठ । पीपल,सोंठ,जीरा,अजोमद, मुलेठी, सेंधा नमक प्रत्येक 1-1 भाग लेकर महीन चूर्ण करके सुरक्षित रख ले|
मात्रा और अनुपात-
2-4 gm सुबह-शाम गाय के घी के साथ|
गुण और उपयोग-
इसका पथ्यपूर्वक 21 दिनतक सेवन करने से मनुष्य श्रुतिधर( सुनकर ही बातों को स्मरण करने वाला) और कोयल के समान स्वरवाला हो जाता है|आवाज साफ हो जाती है|
गुलकंद-
घटक-
गुलाब की पंखुड़िया 1 भाग, चीनी 2 भाग|
विधि-
कलाईदार बर्तन मे थोड़ी- थोड़ी पंखुड़िया और चीनी मिलाकर हाथ से मसलकर फिर चीनी मिट्टी की बर्तन मे रख देवे|कुछ दिन रखा रहने पर गुलकंद तैयार हो जाता है|बर्तन का मुह बंद करके 1 month के लिए रख दे|
मात्रा और अनुपात-
गुलकंद को 1-2 तोला जल या दूध से |
गुण और उपयोग-
इसका प्रयोग करने से दाह ,पितदोष,जलन,गर्मी से छुटकारा मिलता है| मस्तिष्क को शीतलता देता है|गर्मी के कारण घमौरिओ मे लाभ पहुचाता है|
शिलाजित्वादी वटी -
घटक-
त्रिवन्ग-भस्म 30 gm , नीम की पती तथा गुड़मार की पत्ती का चूर्ण 100-100 gm , शिलाजीत 150 gm|
विधि-
पहले शिलाजीत मे त्रिवंग -भस्म मिलाए, पीछे अन्य चूर्ण मिलाकर आधा-आधा ग्राम की गोली बना ले|
मात्रा एवं अनुपात-
2-2 गोली दिन मे तीन बार|
गुण और उपयोग-
मूत्र की अधिकता, इक्षुमेह ,मधुमेह(sugar)- मे इसके प्रयोग से (aushadhi)अच्छा लाभ होता है|
ये थी आज की महत्वपूर्ण औषधियाँ|