कमल (lotus)-
कमल (lotus) पानी मे पैदा होनेवाली वनस्पति है|यह अत्यंत नाजुक होता है| इसका प्रकांड लता की तरह फैलने वाला होता है| इसके पत्ते गोल, बड़े-बड़े उयले के आकार के तथा अरवी के पत्तों की तरह होते है| इसके पत्तों पर पानी की बूँद नहीं ठहरती |ये चौडे- चौड़े पत्ते पानी मे थाली के तरह तैरते दिखाई देते है|पत्तों के नीचे दो दांडी होतो है, उसको मृणाल अथवा कमल की नाल कहते है|कमल के फूल अत्यंत सुंदर होते है और बड़े आकार के दिखते है|इस पुष्पों मे जो पीला जीरा होता है उसे कमल केसर कहते है|इसके पत्ते को कमलकोश और उसके बीज को कमलगट्टे कहते है|कमल सफेद, लाल, आदि कई रंग और कई प्रकार के होते है|
यह शीतल और मधुर होता है तथा रक्तविकार, विस्फोट, विसर्फ़ तथा विष को दूर करने वाला होता है|
- नील कमल शीतल, सुस्वाद,पितनाशक,रुचिकारक,रसायन-कर्म मे उत्तम, देह के जड़ को दृढ़ करने वाला , बालों को बढ़ाने वाला होता है|
- रक्त कमल चरपरा ,कड़वा,मधुर,ठंडा,रकतशोधक, पित ,कफ और वात को शांत करनेवाला तथा वीर्यवर्धक है|
- सफेद कमल शीतल,स्वादिष्ठ,नेत्रों को लाभदायक तथा रुधिर- विकार, सूजन, व्रण और सब प्रकार के विस्फोट को दूर करने वाला होता है|
कमल के कोमल पत्ते शीतल एवं कडवे होते है|ये शरीर क जलन को दूर करने वाला तथा प्यास, अश्मरी, बवासीर और कुष्ठ मे लाभदायक है|
कमल(lotus) के जड़–
कड़वी, कफ-पित मे लाभदायक और प्यास को बुझाने वाली वाली होती है|इसके केसर शीतल, वीर्यवर्धक,संकोचक और कफ,पित,प्यास,विष,सूजन तथा खूनी बवासीर मे लाभदायक है|इसके पुष्प शीतल, रक्तविकर,चर्मरोग और नेत्र रोग मे लाभदायक है|
कमल के गट्टे अर्थात कमलगट्टे स्वादिष्ट,रुचिकारक तथा पाचक,गर्भ संस्थापक तथा पित, रक्तदोष, वमन और रक्तपित को नाश करने वाले होते है|इसका शहद अत्यंत पोस्टिक, त्रिदोष नाशक और सब प्रकार के नेत्ररोग को दूर करने वाला होता है|
- बवासीर– खूनी बवासीर मे इसके केशर को शक्कर और मक्खन के साथ देने से लाभ होता है|
- गुदद्वार के निगमन– कमल के कोमल पत्ते सुबह शक्कर के साथ लेना चाहिए|
- गर्भ गिरने की शिकायत– जिन स्त्रियों को हमेशा गर्भ गिरने की सिकायत हो उनके लिए इसके बीज बहुत लाभकर है|
- रक्त प्रदर– कमल की केशर, मुल्तानी मिटती और मिश्री के चूर्ण की फाँकी देने से रक्तप्रदर और रक्तकर्स मे लाभ होता है|
- गर्भस्त्राव– कमल डंडी और नागकेशर को पीसकर दूध के साथ पिलाने से महीने मे होनेवाला गर्भ स्त्राव मीट जाता है|
- वमन – कमल गट्टे को आग पर सेक कर उसका छिलका उतरकर उसके भीतर का सफेद मगज पीसकर शहद मे चाटने से वमन बंद होती है|
- सर्फ-विष– कमल के मादा केशर को काली मिर्च के साथ पीसकर पीने और लगाने से सांप के विष मे लाभ होता है|
- दाद- कमल की जड़ को पानी मे घिसकर लेप करने से दाद और त्वचा-रोग मिटते है|
- हैजे की मायूस अवस्था- कमलगट्टे के भीतर जो विषैली हरी पती रहती है, उसका अर्क गुलाब के अंदर घिसकर देने से हैजे की मायूस अवस्था मे लाभ होता है|
- पुराना ज्वर– रक्ततिसारयुक्त पुराने ज्वर मे उत्पल, अनार का छिलका और कमल का केसर- ये तीनों बराबर- बराबर मात्रा मे लेकर पीसकर चावल के पानी के साथ लेना चाहिए|
- चेचक– चेचक की बीमारी मे इसके पुष्प का शर्बत शांतिदायक होता है|
- नेत्र-रोग– कमल के फूल की पंखुडीओ को तोड़ने समय शहद के समान एक तरह का रस निकलता है, जिसको पाध्य -मधू कहते है,इस मधू को नेत्र मे आजने से नेत्रों के अनेक रोग मिटते है|
- गर्भाशय से निकलने वाला खून- नील कमल, स्वेत कमल और रक्त कमल के तन्तु 2-2 तोला,मुलेठी 2 तोला, इस सब चीजों को लेकर 127 तोला पानी और 32 तोला घी के साथ औटाना चाहिए|औटाते- औटाते जब पानी जलकर घी मात्र शेष रह जाए तब उतार कर छन लेना चाहिए इस घृत को उत्पलादी घृत कहते है| यह घी खूनी बवासीर, रक्तप्रदर और गर्भाशय से निकलने वाले खून को रोकने से लिए बहुत असरदार माना जाता है|जिस स्त्री को हमेस गर्भपात होने का डर होता है, उस स्त्री को गर्भपात के लक्षण शुरू होते ही फौरन यह घई देना चाहिए | इसके देने से गर्भपात रुक जाता है|इसी प्रकार इसस घृत को पीने से और शरीर पर मालिश करने से विस्फोट और जलन वाले रोग मीट जाते है|