Aarogya Anka

स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

कमल(lotus) के फूल से कुछ रोगों का निवारण-

कमल (lotus)-

कमल (lotus) पानी मे पैदा होनेवाली वनस्पति है|यह अत्यंत नाजुक होता है| इसका प्रकांड लता की तरह फैलने वाला होता है| इसके पत्ते गोल, बड़े-बड़े उयले के आकार के तथा अरवी के पत्तों की तरह होते है| इसके पत्तों पर पानी की बूँद नहीं ठहरती |ये चौडे- चौड़े पत्ते पानी मे थाली के तरह तैरते दिखाई देते है|पत्तों के नीचे दो दांडी होतो है, उसको मृणाल अथवा कमल की नाल कहते है|कमल के फूल अत्यंत सुंदर होते है और बड़े आकार के दिखते है|इस पुष्पों मे जो पीला जीरा होता है उसे कमल केसर कहते है|इसके पत्ते को कमलकोश और उसके बीज को कमलगट्टे कहते है|कमल सफेद, लाल, आदि कई रंग और कई प्रकार के होते है| 

(कमल)lotus flowers

यह शीतल और मधुर होता है तथा रक्तविकार, विस्फोट, विसर्फ़ तथा विष को दूर करने वाला होता है|

  1. नील कमल शीतल, सुस्वाद,पितनाशक,रुचिकारक,रसायन-कर्म मे उत्तम, देह के जड़ को दृढ़ करने वाला , बालों को बढ़ाने वाला होता है|
  2. रक्त कमल चरपरा ,कड़वा,मधुर,ठंडा,रकतशोधक, पित ,कफ और वात को शांत करनेवाला तथा वीर्यवर्धक है|
  3. सफेद कमल शीतल,स्वादिष्ठ,नेत्रों को लाभदायक तथा रुधिर- विकार, सूजन, व्रण और सब प्रकार के विस्फोट को दूर करने वाला होता है|

कमल के कोमल पत्ते शीतल एवं कडवे होते है|ये शरीर क जलन को दूर करने वाला तथा प्यास, अश्मरी, बवासीर और कुष्ठ मे लाभदायक है|

कमल(lotus) के जड़

 कड़वी, कफ-पित मे लाभदायक और प्यास को बुझाने वाली वाली होती है|इसके केसर शीतल, वीर्यवर्धक,संकोचक और कफ,पित,प्यास,विष,सूजन तथा खूनी बवासीर मे लाभदायक है|इसके पुष्प शीतल, रक्तविकर,चर्मरोग और नेत्र रोग मे लाभदायक है|

कमल के गट्टे अर्थात कमलगट्टे स्वादिष्ट,रुचिकारक तथा पाचक,गर्भ संस्थापक तथा पित, रक्तदोष, वमन और रक्तपित को नाश करने वाले होते है|इसका शहद अत्यंत पोस्टिक, त्रिदोष नाशक और सब प्रकार के नेत्ररोग को दूर करने वाला होता है|

  1. बवासीर– खूनी बवासीर मे इसके केशर को शक्कर और मक्खन के साथ देने से लाभ होता है|
  2. गुदद्वार के निगमन– कमल के कोमल पत्ते सुबह शक्कर के साथ लेना चाहिए|
  3. गर्भ गिरने की शिकायत– जिन स्त्रियों को हमेशा गर्भ गिरने की सिकायत  हो उनके लिए इसके बीज बहुत लाभकर है|
  4. रक्त प्रदर– कमल की केशर, मुल्तानी मिटती और मिश्री के चूर्ण की फाँकी देने से रक्तप्रदर और रक्तकर्स मे लाभ होता है|
  5. गर्भस्त्राव– कमल डंडी और नागकेशर को पीसकर दूध के साथ पिलाने से महीने मे होनेवाला गर्भ स्त्राव मीट जाता है|
  6. वमन – कमल गट्टे को आग पर सेक कर उसका छिलका उतरकर उसके भीतर का सफेद मगज पीसकर शहद मे चाटने से वमन बंद होती है|
  7. सर्फ-विष– कमल के मादा केशर को काली मिर्च के साथ पीसकर पीने और लगाने से सांप के विष मे लाभ होता है|
  8. दाद- कमल की जड़ को पानी मे घिसकर लेप करने से दाद और त्वचा-रोग मिटते है|
  9. हैजे की मायूस अवस्था- कमलगट्टे के भीतर जो विषैली हरी पती रहती है, उसका अर्क गुलाब के अंदर घिसकर देने से हैजे की मायूस अवस्था मे लाभ होता है|
  10. पुराना ज्वर– रक्ततिसारयुक्त पुराने ज्वर मे उत्पल, अनार का छिलका और कमल का केसर- ये तीनों बराबर- बराबर मात्रा मे लेकर पीसकर चावल के पानी के साथ लेना चाहिए|
  11. चेचक– चेचक की बीमारी मे इसके पुष्प का शर्बत शांतिदायक होता है|
  12. नेत्र-रोग– कमल के फूल की पंखुडीओ को तोड़ने समय शहद के समान एक तरह का रस निकलता है, जिसको पाध्य -मधू कहते है,इस मधू को नेत्र मे आजने से नेत्रों के अनेक रोग मिटते है|
  13. गर्भाशय से निकलने वाला खून- नील कमल, स्वेत कमल और रक्त कमल के तन्तु 2-2 तोला,मुलेठी 2 तोला, इस सब चीजों को लेकर 127 तोला पानी और 32 तोला घी के साथ औटाना चाहिए|औटाते- औटाते जब पानी जलकर घी मात्र शेष रह जाए तब उतार कर छन लेना चाहिए इस घृत को उत्पलादी घृत कहते है|     यह घी खूनी बवासीर, रक्तप्रदर और गर्भाशय से निकलने वाले खून को रोकने से लिए बहुत असरदार माना जाता है|जिस स्त्री को हमेस गर्भपात होने का डर होता है, उस स्त्री को गर्भपात के लक्षण शुरू होते ही फौरन यह घई देना चाहिए | इसके देने से गर्भपात रुक जाता है|इसी प्रकार इसस घृत को पीने से और शरीर पर मालिश करने से विस्फोट और जलन वाले रोग मीट जाते है|
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