गोमूत्र क्या होता है?: Gomutra kya hota hai?
गाय के मूत्र मे कार्बोलिक एसिड होता है, जो किटाणु नाशक है| अतः यह शुद्धि और स्वच्छता को बढ़ाता है|प्राचीन ग्रंथों मे गोमूत्र को अति पवित्र कहा गया है|आधुनिक दृष्टि से गोमूत्र मे नाइट्रोजन, फास्फेट,यूरिया,यूरिक एसिड, पोटैसियम और सोडियम होता है|जिन महीनों मे गाय दूध देती है, उनमे उसके मूत्र मे लेक्टोज़ होता रहता है|जो हृदय और मस्तिष्क के विकारों मे बहुत हितकारी है| इसमे स्वर्णक्षार भी मौजूद रहता है जो रसायन है|
गोमूत्र का सही उपयोग मात्रा :gomutra ka sahi upyog matra:
जो गाय गोमूत्र सेवन के लिए रखी जाती है वह निरोगी और युवा होनी चाहिए| जंगली क्षेत्रों और चट्टानों , जहा गाय के चरने के लिए प्राकृतिक वनस्पति खाद्य रूप मे मिल सके वह की गायों का मूत्र अधिक अच्छा है|
गोमूत्र को स्वच्छ वस्त्र से छान कर सुबह मे खाली पेट पीना चाहिए| गोमूत्र पीने के 1 घंटे तक कुछ खाना -पीना नहीं चाहिए|स्तन पान करने वाले बच्चों को गोमूत्र देते समय उसकी माता को भी गोमूत्र देनी चाहिए|मासिक धर्म के दौरान स्त्रिया यदि गोमूत्र सेवन करे तो शांति और शक्ति मिलती है| समान्यतः युवा व्यक्ति एक छटांक से एक पाव की मात्रा मे गोमूत्र सेवन कर सकते है|
गोमूत्र का उपयोग विभिन्न रोगों मे कैसे किया जा सकता है उसे यह संक्षेप मे दिया गया है-
- कब्ज की रोगी को उदर की शुद्धि के लिए गोमूत्र कई बार कपड़े से खूब छान कर पीना चाहिए|
- गाय के मूत्र मे हरड़ का चूर्ण भिगोकर धीमी आंच से गर्म करना चाहिए|जलीय भाग जल जानेपर इसका चूर्ण उपयोग मे लिया जाता है|गोमूत्र का सीधा सेवन जो नहीं कर सकता है उसे इस हरड़ का सेवन करने से गोमूत्र का लाभ मिलेगा|
- जीर्ण ज्वर, पांडु,सूजन आदि मे किराततिक्त ( चिराईता) -के पानी मे गोमूत्र मिलाकर, 7 दिन तक सुबह और शाम पीना चाहिए|
- खाँसी, दमा, जुकाम आदि विकारों मे गोमूत्र सीधा ही उपयोग मे लाने से तुरंत ही कफ निकलकर विकार-शमन होता है|
- पाण्डु रोग मे हररोज सुबह खाली पेट ताजा और स्वच्छ गोमूत्र कपड़े से छानकर नियमित पीने से एक माह मे अवश्य लाभ होता है|
- बच्चों को खोखली होने पर गोमूत्र को छानकर उसमे हल्दी का चूर्ण मिलाकर पिलाना चाहिए|
- उदर के किसी भी रोग मे गोमूत्र सेवन से लाभ होता है|
- जलोदर मे रोगी को केवल गो दुग्ध सेवन करना चाहिए और साथ-साथ गोमूत्र मे शहद मिलाकर नियमित पीना चाहिए|
- चरक के मतानुसार लोहे के बारीक चूर्ण को गोमूत्र मे भिंगोकर और उसे खूबछानकर दूध के साथ उसका सेवन करे तो पाण्डु रोग मे जल्दी लाभ होता है|
- शरीर की सूजन मे केवल दूध पीकर साथ मे गोमूत्र का सेवन करना चाहिए|
- गोमूत्र मे नमक और शक्कर समान भाग मे मिलाकर सेवन करने से उदर रोग का शमन होता है|
- गोमूत्र मे सेंधव नमक और राई का चूर्ण मिलाकर पीने से उदररोग मिटता है|
- आँखों की जलन, कब्ज शरीर मे सुस्ती और अरुचि मे गोमूत्र मे शक्कर मिलाकर लेना चाहिए|
- खाज, फुंसी तथा विचर्चि का गोमूत्र मे आबा हल्दी का चूर्ण मिलाकर पिना चाहिए|
- प्रसूति के बाद सुवा रोग मे स्त्री को गोमूत्र पिलाने से अच्छा लाभ होता है|
- चर्म -रोगों मे हरताल, बकुची तथा मालकँगनी को गोमूत्र मे मिलाकर सोगठी बनाकर इसे दूषित त्वचा पर लगाना चाहिए|
- सफेद कुष्ट मे बावची के बीज को गोमूत्र मे अच्छी तरह पीसकर लेप करनी चाहिये|
- कान मे दर्द आदि विकारों मे गोमूत्र को गर्म करके इसकी बूँद डालनी चाहिए|
- शरीर मे खुजली होने पर गोमूत्र की मालिश करनी चाहिए| और स्नान करना चाहिए|
- कृष्णजीरक को गोमूत्र मे पीसकर इसका शरीर पर मालिश और गोमूत्र स्नान से चर्म रोग मिटते है|
- ईट को खूब तपाकर गोमूत्र मे इसे बुझाने तथा इसके बाद उसे कपड़े मे लपेटकर यकृत और प्लीहा(तिल्ली) की सूजन पर सेंक करने से लाभ होता है|
- कृमि रोग मे डिकामाली का चूर्ण गोमूत्र के साथ देना चाहिए|
- सुवर्ण, लौह, वत्सनाभ, कुचला आदि का शोधन करने के लिए और भस्म बनाने के लिए औषध निर्माण मे गोमूत्र का उपयोग होता है|गोमूत्र विषैले द्रव्यों का विषप्रभाव नष्ट करता है| शिलाजीत की शुद्धि मे गोमूत्र से होती है|
- चर्म रोग मे उपयोगी महमरिच्यादी तेल और पंचगव्य घृत बनाने मे गोमूत्र उपयोग मे लाया जाता है|
- हाथी पाँव( फाइलेरिया) – रोग गोमूत्र सुबह खाली पेट लेने से मीट जाता है|
- गोमूत्र का क्षार उदर- वेदना मे, मूत्ररोध तथा वायु का अनुलोमन करने मे दिया जाता है|
- गोमूत्र सिर मे लगाकर उसे अच्छी तरह मिलकर थोड़ी देर तक रखना चाहिए| सूखने के बाद धोने से बाल सुंदर होते है|
- कामला रोग मे गोमूत्र अतीव उपयोगी है|
- गोमूत्र मे पुराना गुड़ और हल्दी का चूर्ण मिलाकर पीने से दाद, कुष्ठ और हाथपाँव ठीक होते है|
- गोमूत्र के साथ अरंड तेल 1 मास तक पीने से संधिवात और अन्य वातविकार नष्ट होते है|
- बच्चों को उदर वेदना तथा पेट फूलने पर 1 चम्मच गोमूत्र मे थोड़ा नमक मिलाकर पिलाना चाहिए|
- शरीर मे खाज-खुजली हो तो गोमूत्र मे नीम के पत्ते पीसकर लगाना चाहिए|
- गोमूत्र के नियमित सेवन से शरीर मे स्फूर्ति रहती है|भूख बढ़ती है और रक्त का दबाव स्वभाविक होने लगता है|
- क्षय रोगी के क्षय जन्तु का नाश गोबर और गोमूत्र की गंध से होता है|अतः क्षय के रोगी को गौशाला मे रखना चाहिए और उसकी खाट को गोमूत्र से बार-बार धोना चाहिए|
- दाद(ring-worm) पर धतूरे के पत्ते गोमूत्र मे पीसकर गोमूत्र मे ही उबाले| गाढ़ा होने पर लगावे|
- टाइफाइड या किसी भी दवाई के खाने से सिर या किसी स्थान के बाल उड़ जाते है तो गोमूत्र मे तंबाकू को पीसकर डाल दे| 10 दिन के बाद पेस्ट जैसा बन जानेपर अच्छी तरह रगड़कर बाल-झड़े स्थान पर लगाए तो बाल फिर आ जाते है| सिर मे भी लगा सकते है|
ये थे गोमूत्र के अन्य रोगों मे उपयोग , thanks for reading 🙂🙏🏻
गोमूत्र क्या होता है?
गाय के मूत्र मे कार्बोलिक एसिड होता है, जो किटाणु नाशक है| अतः यह शुद्धि और स्वच्छता को बढ़ाता है|प्राचीन ग्रंथों मे गोमूत्र को अति पवित्र कहा गया है|आधुनिक दृष्टि से गोमूत्र मे नाइट्रोजन, फास्फेट,यूरिया,यूरिक एसिड, पोटैसियम और सोडियम होता है|जिन महीनों मे गाय दूध देती है, उनमे उसके मूत्र मे लेक्टोज़ होता रहता है|जो हृदय और मस्तिष्क के विकारों मे बहुत हितकारी है| इसमे स्वर्णक्षार भी मौजूद रहता है जो रसायन है|
खुजली मे गोमूत्र का उपयोग कैसे करे? सीक्रेट रेमिडी ?
शरीर मे खाज-खुजली हो तो गोमूत्र मे नीम के पत्ते पीसकर लगाना चाहिए|
बालों को उगाने के लिए गोमूत्र का उपयोग?
टाइफाइड या किसी भी दवाई के खाने से सिर या किसी स्थान के बाल उड़ जाते है तो गोमूत्र मे तंबाकू को पीसकर डाल दे| 10 दिन के बाद पेस्ट जैसा बन जानेपर अच्छी तरह रगड़कर बाल-झड़े स्थान पर लगाए तो बाल फिर आ जाते है| सिर मे भी लगा सकते है|