चाय(tea)-
आज कल चाय (tea)हमारे देश मे सभ्यता का आवश्यकता का पार्ट बन गई है | घर आए अतिथि का स्वागत बिना चाय के अधूरा-सा लगता है| जिस चाय से अधिकांश लोगों को इतना स्नेह है , वे संभवतः यह नहीं जानते की चाय स्फूर्तिदायक तथा लाभप्रद ड्रिंक न होकर अवगुणों से भरा है| वैज्ञानिकों द्वारा खोज करने पर पता चला ही की चाय मे प्रमुख प्रकार के 3 विष पाए जाते है|
1. थीन –
चाय(tea) पीने से जो एक हल्का सा आनंद प्रतीत होता है, वह इसी थीन नामक विष का प्राभव है| ज्ञान तंतुओ के संगठन पर इसका बहुत ही विषैला प्रभाव पड़ता है|
2. टेनिन-
यह कब्ज करने वाला एक तीव्र पदार्थ है|यह पाचनशक्ति को बिल्कुल नष्ट कर देता है| इसमे नींद को भी नष्ट करने की भी शक्ति होती है|शरीर पर विष का प्रभाव शराब से मिलता-जुलता पड़ता है| इसकी वजह से चाय पीने के बाद शुरू मे तो ताजगी अनुभव होता है|परंतु थोड़ी देर मे नशा उतार जाने पर खुश्की तथा थकान उत्पन्न होती है| जिसके कारण और अधिक चाय पीने की इच्छा होती है|
3.कैफीन–
यह एक महभयंकर विष है| इसका प्रभाव शराब या तंबाकू मे पाए जाने वाले विष ‘निकोटिन’-के समान होता है| यह शरीर को बहुत जल्द निर्बल करता है, शरीर खोखला हो जाता है| यह दिल की धड़कन को बढाता है और सेवन मे मात्रा की अधिकता होने पर धड़कन एकदम बंद हो जाती है| तथा व्यक्ति मौत का शिकार हो जाता है|’कैफीन’ विष ही चाय का वह अंश है जिसके नशे के वशीभूत होकर व्यक्ति चाय की आदि बन जाता है|
उपर्युक्त विषों के होने से चाय का प्रभाव अत्यधिक उतेजनाप्रद होता है| इनका शरीर और मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है|आज कल जो भी हृदय या रक्तवाहिनियों मे वृद्धि दिखाई दे रही है , उसका प्रमुख कारण चाय के प्रचार मे वृद्धि का होन है|विशेषज्ञों का मतलब है की चाय का नशा अंदर-ही-अंदर अपना कार्य करता है और धीरे-धीरे कुछ ही दिनों मे शरीर को घुन की भांति चाट जाता है|
चाय पीने से ‘कैफीन’ विष के कारण मूत्र की मात्रा मे लगभग तीन गुनी वृद्धि हो जाती है| परंतु उसके द्वारा शरीर की दूषित मल जिसका शरीर की शुद्धि कए लिए मूत्र द्वारा निकाल जाना आवश्यक है , वह शरीर के अंदर ही बना रहता है , उसके फलस्वरूप गठिया का दर्द, किडनी, हृदय- संबंधी रोग का शिकार बनना पड़ता है| ‘ जब चाय का खूब सेवन किया जाता है तो उसके नशीले प्रभाव की अपेक्षा टेनिन एसिड कारण पेट मे गड़बड़ी बहुत होती है|
बड़ी,पेट फूलना, पेट दर्द, कब्ज, बदहजमी,हृदय-गतिका अनियमित रूप से चलना और नींद का न आना आदि चाय चाय पीने वालों के प्रमुख लक्षण है|’ इसके अतिरिक्त चाय पीने से दाँतों एवं नेत्रों के विभिन्न रोग पैदा होने लगती है|चाय के सेवन से चेहरे के कान्ति नष्ट हो जाती है| चाय के व्यापारियों ने चाय के प्रचार के लिए लाखों पैकेट मुफ़्त बाटकर तथा चाय के संबंध मे झूठी प्रशंसा के पूल बांधकर गरीबों को भी चाय की चस्का लगा दिया है, और अब तो चाय गरीबों तथा अमीरों दोनों की आवश्यक ड्रिंक बन गया है|
भोजन चाहे न मिले लेकिन चाय समय से मिलनी चाहिए | परंतु चाय के अवगुणों का अवलोकन करने के बाद इस विनाशकारी चाय का सेवन बिना देर किए छोड़ देने मे ही सबका भला है|