दातौन-
स्वास्थ और मुख के सौन्दर्य के लिए दांतों की सफाई अत्यंत आवश्यक है| इसके लिए दातौन का उपयोग प्राचीन काल से ही होता आ रहा है|थोड़े से प्राकृतिक नियमों का पालन करके दांतों को स्वाभाविक रूप से स्वास्थ रखा जा सकता है|
आयुर्वेद के अनुसार दांतों को दातौन से साफ करना सर्वश्रेष्ठ होता है|क्योंकि दातौन अनेक रोगों मे लाभ पहुचाते है|सामान्यतः कषाय, तिक्त या कटु रसवाले किसी भी हरे पेड़-पौधे के डंठल या टहनी से दातौन बनाया जा सकता है; पर नीम, बबूल ,करंज,खैर,महुआ,कीकर,अर्जुन,आक,मौलसीरी,वट ,इमली तथा कनेर के दातौन का विशेष महत्व है|
टूथ-पेस्ट तथा टूथ-पाउडर की अपेक्षा ज्यादा गुणकारी है|क्यू की दातौन से दांतों एवं मसूड़ों का अत्यधिक व्यायाम हो जाता है|इससे मसूड़ों मे खून का दौरा तेज हो जाता है|
दातौन बनाने के लिए वृक्ष की ताजी, साफ, छोटी तथा नरम शाखा ले , जो करीब छोटी उंगली जितनी मोटी हो| उसका एक किनारा लगभग 2cm लंबा, बार-बार दाँतों से घुमाते हुए कुचलकर नरम ब्रश स बना ले , ताकि दांतों के बीच फसे कण उससे आसानी से निकाल सके तथा मसूड़ों को हानी न पहुचे|फिर इस दाँतों और मसूड़ों पर हल्के-हल्के चलाकर दाँत साफ करे|
1. नीम की दातौन-
नीम एक शक्तिशाली ऐन्टिसेप्टिक है| इसकी दातौन से दाँत मजबूत और चमकदार बनते है, दाँतों के किटाणु नष्ट होते है|तथा पायरिया एवं दाँत क्षय नहीं होता| नीम के रसायन दाँतों के सड़न रोकते है तथा दाँतों मे कीड़े नहीं लगने देते है|यह मसूड़ों के पीप तथा घाव मे लाभप्रद रहता है|नीम की दातौन मधुमेह, कुष्ट तथा त्वचा-रोगवाले व्यक्ति के लिए विशेष लाभकारी रहती है|
2. बबूल की दातौन-
बबूल की दातौन मसूड़ों को विशेष लाभ पहुचाती है|इससे मसूड़े सिकुड़ते नहीं और वे दाँतों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखते है|मसूड़ों से बहने वाला रक्त और पीप भी इससे रुकता है|बबूल की दातौन का रस दातौन करते समय शरीर मे प्रवेश कर जाता है, जो शरीर के लिए लाभकारी रसायन है|इससे मुंह की दुर्गंध दूर हो जाती है|
3. करंज की दातौन-
करंज के वृक्ष दक्षिण भारत ,मध्य-पूर्वी हिमालय तथा श्रीलंका मे बहुताय पाए जाते है|करंज की दातौन तिक्त,कटु, कसाय रसवाली , तीक्ष्ण , गुणकारी एवं उष्ण होती है|इसके दातौन से दाँतों के किटाणु मर जाते है| कुष्ठ,गुल्म,प्रमेह,कृमि,मंदाग्नि,अर्श,ग्रहणी तथा शीत-पित के रोगी के लिए इसकी दातौन विशेष लाभकारी रहती है|
4. खैर की दातौन-
खैर की दातौन मुख दुर्गंध दूर करने , दाँतों से खून निकलने , बार-बार मसूड़े फूलने आदि बीमारी मे लाभकारी रहती है|यह मसूड़े को मजबूत बनाकर मुह का स्वाद ठीक कर देती है|नित्य दातौन से दाँतों को कीड़ा लगने की खतरा नहीं रहती है|इसकी दातौन श्वास, खांसी, कृमि-रोग, पित-विकार, प्रमेह, अतिसार तथा कुष्ठ रोग मे विशेष लाभकारी रहती है
5. अर्जुन(आमता ) की दातौन-
यह रक्त शुद्ध करती है| मधुमेह, हृदय तथा टीवी के रोगी के लिए यह विशेष गुणकारी है|
6. कीकड़ की दातौन-
इसमे कड़वापन रहता है|यह दूगन्ध नाशक एन्टीसेप्टिक होती है|दाँतों तथा मसूड़ों के लिए यह बहुत अच्छी रहती है|
7. आक की दातौन-
आक की दातौन दाँतों को दृढ़ करने वाली , दाँतों के किटाणु नष्ट करने वाली तथा दाँतों की सड़न मिटाने वाली होती है|आक की दातौन करने से पहले उसकी टहनी छीलकर धो लेनी चाहिए ताकि आक का दूध मुह मे न जाने पाए|आक के दूध से मुह मे घाव हो जाते है|
8. महुआ की दातौन-
महुआ की दातौन गर्म प्रदेशों मे बार-बार गला सूखने पर तथा मुह मे रहने वाली कड़वाहट मिटाने के लिए फायदे मंद रहती है|
9. वट की दातौन-
वट की दातौन से दांत तथा मसूड़े मजबूत बनते है|
10. मौलसिरी ,इमली,कनेर की दातौन-
इन सबकी दातौन करने से कमजोर दाँतों को मजबूत बना देती है|