Aarogya Anka

स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

नकसीर(nosebleed),दाद-खाज (itching), टी.बी. (T.B.),कैंसर(cancer),कुकुर खाँसी(whooping) के लिए आयुर्वेदिक औषधिये उपाय-

1.नकसीर(nosebleed)[नाक से खून बहना]-

home remedies

नकसीर(nosebleed) शुरू होते ही रोगी के सिर पर ठंडा पानी या भिंगा कपड़ा डाल दे|ठंडे पानी से उसकी नाक को मस्तक समेत बार-बार धोए| शुद्ध ठंडे पानी मे भिंगो कर शुद्ध रुई या कपड़े की बटी बनाकर नाक मे डाले| चिकनी मिट्टी की डली पर पानी डालकर सुँघाए| खून बहना बंद हो जाता है|

कभी-कभी चोट से यदि नाक मे व्रण हो गया हो, पिंकी ( लाल दवाई)- का घोल नाक मे डाले| भिंगी रुई या कपड़े की बटी नाक मे डालने से आराम हो जाता है|

बार-बार होने के हालात मे ऐसे रोगियों के मस्तक पर श्वेत चंदन, गेरू या आंवले के ठंडे पानी से बना पतला-पतला लेप करे|आराम देगा|सौवीर, धात्री, गुलसुर्ख,मुलेठी, सरज खटिक , ठंडे पानी से गूकन्द, अर्क केवड़ा, गुलाब या मूण्डी आदि के साथ विकारी, मूँगाभस्म ,पेठा, कहरवा, वासावहेल आदि सेवन कराए| नकसीर (nosebleed)मेअवश्य आराम होगा| 

2. दाद-खाज,चम्बल (itching)-

दाद-खाज(itching)

10 gm गंधक आंवला सार, 20 gm राल सफेद, 2 gm तूतिया( नीला थोथा), 4 gm फिटकरी, 8 gm सुहागा- इन सभी वस्तुओ को पीसकर छानकर बारीक चूर्ण तैयार कर ले| थोड़े से पानी, दही या लस्सी मिलाकर खुजली की जगह पर धीरे-धीरे मालिश करने से खारिज(खुजली,itching) ठीक हो जाती है|1/2 दिन आराम होने पर भी इसे लगाते रहे|ताकि दुबारा न हो जाए|

नोट-

इसके लगाने से यदि जलन रहे तो थोड़ी सी वेसलीन या पैराफिन लगाने से तुरंत आराम हो जाता है|

चम्बल या एग्जीमा के लिए इस चूर्ण मे 2 गुना नाग भस्म मिल ले और पैराफिन मे मिलाकर लगाए|

नोट– दाद-खाज(itching), या चम्बल इत्यादि पर किसी साबुन का प्रयोग न करके उसपर मुल्तानी मिट्टी,दही,दूध,गाय का गोबर लगाए| धोने के लिए साफ पानी ले| 

3. टी.बी.(T.B.)-

टीबी

लक्षण-

अतिभोजन, दुस्साहस अर्थात अपनी सामर्थ्य से अधिक परिश्रम करना, लापरवाही, कुसमय भोजन एवं श्वास, शौच, मूत्र आदि के वेगों को रोकना, सदाचारहीनता , अति वीर्यपात आदि से शक्ति क्षीण होकर राजयक्ष्मा हो जाता है| इससे फुफ्फुस मे छेद, खाँसी, ज्वर, निर्बलता, असमर्थता आदि लक्षण है|

चिकित्सा- जीवन नियमित रूप से निर्वाह करे| निम्नलिखित औषधियों का किसी योग्य अनुभवी चिकित्सक की देखभाल मे सेवन करे- च्यवनप्राश, लक्षमिविलासनारदीय, रसराज- जैसे रससिंदूर, अभ्रकभस्म, मूंगा, मुक्ता, सुवर्ण, चांदी, वंग,शुद्ध केसर, सितोपलादि, तालीसादी, वरीचूर्ण, बला अतिबला-चूर्ण मिलाकर वसावहेल , कुँकुमावहेल , खमीरा गाजवान , जवाहिर मोहरा, अकीक आदि|

यदि वेदना हो तो शुद्ध घी, नारायण तेल, माहानारायण तेल , लक्षादीतेल ,वलातेल आदि शरीररक्षक योगों का सेवन करे| वसंतमालती -रस, वसंतकुसुमाकर-रस, नरदीय महालक्ष्मी विलास रस, च्यवनप्राश, अवहेल, कुँकुमावहेल मे मिलाकर सेवन करे| साथ मे शतावरी-सिद्ध दूध का सेवन करे|

इससे खाँसी , नजला, जुकाम, सिरदर्द अथवा छाती का दर्द, बल या सामर्थ्यहीनता , शीघ्र ही ज्वरसहित विदा हो जाते है|

उपर्युक्त चूर्णों को घी, खोवा और देशी खांड मे मिलाकर पाक बना ले बहुत लाभ देंगे| पानी मे अश्वगंधा रिष्ट, लोहावन, दक्षारिष्ट , दशमुलारिष्ट , पुनर्नवाधारिष्ट आदि का सेवन करे| इससे टी.बी(T.B.) मे अवश्य आराम होगा|     

4. कैंसर(cancer)-

cancer एक भयानक रोग है, जो शरीर के किसी भी भाग मे पैदा हो सकता है|यह शोथ का एक भेद है, जिसका मूल कारण रक्तपित- प्रधनता से है| इसमे कभी-कभी जलन , शुल आदि अन्य परेशानी भी नहीं होती|

साधारण शोथ चिकित्सा से यह प्रायः कब्जे मे नहीं आता| कुछ रोगियों को निम्न विधि से दीर्घ जीवन और आराम मिलता है-

चिकित्सा सूत्र– शोथ की अवस्था मे इमली का बीज पीसकर सुहागा, हल्दी, सेंधा नमक, थोड़ा-थोड़ा इमली चूर्ण मे पानी डालकर पुल्टस बनाकर सुहाता-सुहाता रोज बांधने से रोगी को आराम और शोथ कम होने लगता है| यदि व्रण हो तो भरता चला जाता है| शुल भी घट जाती है| खाने मे वराटिका , प्रवाल, अकीक, नरसार मिश्रित चूर्ण 1 gm काफी है|बलाबल देख करके कुछ ज्यादा भी दे सकते है|

 बिक्रेट के बीच के द्रव्यों का यथोचित मात्रा मे चूर्ण बना ले| धूर्तबीजचूर्ण , हिरमजी , काली मिर्च, सौवीर की 4 मात्रा सुबह, दोपहर, शाम और रात के समय| पीने के लिए वासकासव , पानी युक्त 3 बार भोजन के साथ ले|अजीर्णवश किसी-किसी रोगी के पेट मे शुल देखा गया है| ऐसी अवस्था मे कुमर्यासव देने से तुरंत शुल घट गया|

किसी-किसी रोगी के गले से हलक मे cancer होने की अवस्था मे रक्तसत्राव देखा गया है| प्रायः औषधि सेवन करते ही रक्तसत्राव बंद हो गया| ऐसा देखा गया है, घबराए नहीं|ऐसे रोगी को अगर बहुत कमजोरी हो तो अनार् खिलावे, उसका रस पिलाए| 

धीरे-धीरे बल मिलने पर साधारण रोटी दूध मे भिगोकर खिलाए|लौकी, आलू,आंवला, अमरूद, मूली आदि ठंडे या मातदिलमिजाज की सब्जी अथवा बहुत पतली दाल मूंग(उरद, चना मिली हुई) दे सकते है| दूध सर्वश्रेष्ठ है| अमरूद, आंवला, अनार आदि फल भी स्वास्थ्यवर्धक होते है| भगवान की कृपा से cancer मे अवश्य लाभ होगा|     

5. कुकुर खाँसी(whooping)-

कुकुर खाँसी(whooping)

कुकुर खाँसी (whooping) एक बड़ा दुखदायी रोग है| यह प्रायः बालकों मे होता है|क्योंकि वे जहा से जो मिले सभी अज्ञानवश खा पी जाते है|

इस रोग मे बलगम प्रायः गले मे ज्यादा चिपका रहता है|इसलिए खाँसी उठती है|खाँसते-खाँसते दम रुकने लगता है|रोगी बहुत बेचैन रहता है|जबतक उलटी होकर बलगम निकल नहीं जाता | साँस नहीं आती|

चिकित्सा सूत्र- रोगी को जो खान-पान दे, उसमे कोई लेसदार और खट्टी, तीखी, चटनी वगैरा तथा खुश्की करने वाला खुराक या दवा न दे|हर चीज तरावट देने वाली मिट्ठी तथा स्वादिष्ट हो| प्रायः जो दवाइयाँ साधारण खाँसी मे देते हो|उनमे भी बहुत थोड़ा स उपयुक्त मात्रा मे लेस को दूर करने वाला कोई खार- जैसे –

नौसादर, जौखार, अपमार्गक्षार आदि मिलाकर दे| औषधि आराम करेगी| 

अजमोदादी कंठ, नरसार , शहद और खांड से या वरा सितोपलादि यावक्षार और देशी खांड मिलाकर गर्म पानी से या तालीसादी चूर्ण अपमार्ग क्षार और खांड शहद मिलाकर या शृंगयादी चूर्ण मे नरसार शहद मे मिलाकर चटाये या एलादी चूर्ण , क=सौभाग्य चूर्ण शहद और खांड मे मिलाकर चटाये या वासकादी कास चूर्ण मे यावक्षार शर्वत वनकशा मे मिलाकर चटाये|

इसी प्रकार पीने मे दक्षरिष्ट मे नरसार मिलाकर भोजन के साथ या बाद मे पानी मिलाकर पिलाए| 

इसी तरह खदिरा रिष्ट या दशमुलारिष्ट या कोई और आसव अथवा अरिष्ट भी प्रयोग करे|वासकासव थोड़ा गर्म पानी मिलाकर सेवन कराए|आराम होगा|

खाने मे वासी रखा हुआ, खराब हुआ भोजन कभी न दे| ताजा गर्म मीठा, जायकेदार थोड़ा-थोड़ा भोजन सेवन कराए| कड़वा, खट्टा, कसैला, लाल मिर्चवाला, लस्सी, दही, खटाई वगैरा ठीक नहीं| हवादार तेज सर्दी या गर्मी से बचे|     

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