Aarogya Anka

स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

सभी रोगों को खत्म करने वाला टॉनिक(पंचगव्य):-

पंचगव्य के अद्भुत फायदे सभी रोगों मे-

1. गैस्टिक (गैस)-

♥पावरोटी, बिस्कुट,पकोड़े, फास्टफूड, खिलाने से पेट दर्द, गैस, खट्टी डकार, अम्लपित, जैसे रोज बहुत प्रचलित है| doctors गोलीया तथा मिक्स्चर देते है लेकिन रोग स्थायी हो जाता है|  ड्यूडानम की सूजन के कारण अल्सर होने पर Opration होता है | 

यदि starting  से गोमूत्र सेवन कराया जाय तो पचनतंत्र धीरे-धीरे सबल बन जाएगा|और रोग मुक्ति जरूर मिलेगी|अगर गैस के रोगी को  खट्टी उलटी हो तो उसे अविपतिकर चूर्ण मिलाकर गोमूत्र का सेवन कराना चाहिए|

गोमूत्र सार अथवा गोमूत्र क्षार वटी घी मे मिलाकर भोजन से पहले सेवन करना चाहिए|गर्मी के मौसम मे गोमूत्र-वटी ग्लूकोस के शर्बत के साथ ले| जाड़े मे शहद मिलाकर सेवन करे, पेप्टिक अल्सर होतो 2 गोली आरोग्यवर्धनी 2  गोली जल से खिलाकर आधा घंटा के बाद गोमूत्र पिलाए| लंबे समय तक किया गया गोमूत्र का सेवन पेट के सभी बीमारियों को दूर कर देता है|

पंचगव्य

2. जुकाम,सर्दी,सांस फूलना, दमा-

♥तवे को खूब गर्म करके, फिटकरी तोड़कर गर्म तवे पर डालकर उसका नमी (जलिएअंस) सूखा दे| चाकू से खुरेच कर सफेद पाउडर को सीसी मे स्टोर करके रख ले इसे आयुर्वेद मे टंकण(बलसुधा) कहते है|आधा कप गोमूत्र मे चौथाई चम्मच इस पाउडर मिलाकर खाली पेट पीने से पुराना जुकाम ठीक होता है| दमा के पुराने रोगियों को वसाचूर्ण 4 gm मिलाकर पिलाए | दमा के रोग मे चावल,आलू,चीनी,उरद की दाल ,दही ,nonvase तथा धूम्रपान न करे|

3. वात रोग-

♥घुटने,केहुनियों, पैर की पिंडलियों मे साइटिका रोग होने पर, मांशपेसियों मे दर्द,सूजन होने पर , गोमूत्र से बढ़कर दूसरी कोई औषधि नहीं है| संधिवात ,हड़फूटन,रुमेटिक फीवर तथा अर्थराइटिक्स मे सभी दवाइयाँ फेल हो जाती है| 80 टाइप की वाटरोगों की एक मात्र औषधि है गोमूत्र| आधा कप गोमूत्र मे शुद्ध शिलाजीत 2 gm ,रास्त्रादी क्वाथ ,रासत्रात्दि चूर्ण ,सोंठ -चूर्ण , शुद्ध गुलगुल अथवा महायोगराज गुगउल 2 गोली मिलाकर पिलाए| 

4. डायबिटीज़-

♥चीनी की बीमारी अनेक बार चाय तथा काफी पीने से एवं पेनक्रियाज की कमजोरी से होती है| बीमारी का पता लगते ही चावल , आलू, चीनी, गुड, मिठाई, nonvase बंद कर दे| सुबह खाली पेट स्वर्णयुक्त चंद्रप्रभावती 2 गोली चबाकर गर्म जल तथा एक घंटे के बाद ताजा गोमूत्र पिलाए| सायं के नासता और चाय बंद करके शिलाजीत कैप्सल खिलाकर गोमूत्र पिलाए| 

मेथी पाउडर एक चम्मच पानी के साथ दे| जामुन के हरे पत्ते 5, नीम के पत्ते 10,तथा वेलपत्र 5 , आम के पीले या हरे पत्ते 5 , इन सबको पीसकर रस निकाले , इसी रस के साथ शिलाजीत कैप्सल का उपयोग करे| blood sugar ज्यादा बढ़ हो तो स्वर्ण-वसंत-कुसुमाकर दोनों समय गोमूत्र के साथ दे| डाईवीटिस के कारण गुर्दे, लिवर,तथा हार्ट, कमजोर हो जाते है | जिन्हे केवल गमूत्र और शिलाजीत ही ठीक कर सकते है| 

5. कब्ज-

♥पेट का साफ न होन सभी रोगों को बढ़ाता है| पेट के कब्ज मे गोमूत्र दोनों टाइम पिलाए,  शाम को त्रिफला चूर्ण गर्म पानी के साथ दे फिर गोमूत्र पिलाए| बच्चों के मल अच्छे से साफ न होने पर गोमूत्र मे शहद मिलाकर दे| गाय के गर्म दूध मे 1 spoon  गाय का घी मिलाकर देने से गर्भवती महिला को कभी कब्ज नहीं होगा|

6. बवासीर-

♥खूनी तथा वादी दोनों बवासीर गोमूत्र पीने से ठीक होते है| शाम को खाली गोमूत्र मे कलमी शोरा घोल कर पिलाए| कब्ज की स्तिथि मे त्रिफला चूर्ण मिलाकर गोमूत्र पिलाए, जलोदर मे 2 gm  यवक्षार मिलाकर गोमूत्र पान करना चाहिए|अन्न खाना बंद करदे| फल तथा सब्जियों का रस पिलाए, दूध भी ले सकते है|

7. खाज-खुजली-

♥खुजली, एग्जिमा , सफेद दाग, कुष्ट रोग, दोनों टाइम गोमूत्र पिलाए| गिलोय के रस मे गोमूत्र मिलाकर पिलाने से शीघ्र लाभ होता है|चावल मोगरा का तेल गोमूत्र मे मिलाकर स्किन पर मालिश करे| 

8. हृदय रोग-

♥गोमूत्र पीने से खून मे थक्के नहीं जमते| high और  low blood pressure मे गोमूत्र का लेक्टोज असर करता है| हृदय रोग मे गोमूत्र अच्छा टॉनिक है| यह शिराओ और धमनियों मे कोलेस्ट्रॉल जमने नहीं देता है| 10 gm  अर्जुन छाल का चूर्ण गोमूत्र मे मिलाकर पिलाए| अर्जुन छाल की चाय बनाकर पिलाने से भी बहुत लाभ होता है| मिठास के लिए चीनी क जगह किसमिश,खजूर,सेब का रस उपयोग मे ले|  

और आगे पढे पंचगव्य, गोमूत्र के उपयोग से रोगों का निवारण –

9. हाथीपाव(फिलपांव)-

♥100 gm  गोमूत्र मे हल्दी पाउडर 5 gm ,शहद अथवा पुराना गुड मिलाकर पिलाए| फाइलेरिया मे अंडकोश , हाथ की नशों मे सूजन आ जाती है| सुबह सायं दोनों टाइम नित्यानंदरस दो दो गोली गर्म पानी से खिलाकर आधा घंटा के बाद गोमूत्र पिलाए|कब्ज मे एरंड का तेल मिलकर गोमूत्र पिलाए| चाय, काफी,नोनवेग तथा धूम्रपान बंद कर दे| 

10. किडनी रोग-

♥किडनी मानव के रक्त से अशुद्धियों को छानकर मूत्र द्वारा शरीर का विष निकालती है |किडनी फेल होने पर इसका प्रत्यारोपण होता है| डायलिसिस एक महंगा इलाज है| जिनका किडनी कमजोर हो, रात मे बार बार पेशाब लगे, पोस्टेट ग्रन्थि बढ़ गई हो, उन्हे नियमित गोमूत्र पीना चाहिए|

गोमूत्र से बढ़कर कोई औषधि नहीं है| बाल्यावस्था से वृद्धावस्था तक बिना किस रोग के गोमूत्र पिना स्वास्थ रहने के लिए सर्वोउतम है| गोमूत्र पीने के बाद तुरंत पानी पीने से गला मीठा हो जाता है|

ये थे कुछ पंचगव्य के उपयोग से रोग का निवारण |

5/5 - (7 votes)
Scroll to Top