Aarogya Anka

स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

पुदीना- :दैनिक जीवन मे उपयोगी:

पुदीना-

 एक सुगंधित एवं उपयोगी औषधि है|आयुर्वेद के अनुसार यह स्वादिष्ट,रुचिकर,पचने मे हल्का, तीक्ष्ण,तीखा,कड़वा,पचनकर्ता और उलटी मिटाने वाला,हृदय को उतेजीत करने वाला,विकृत कफ को बाहर लाने वाला तथा गर्भाशय संकोचक एवं चित को प्रसन्न करने वाला, जख्मों को भरने वाला और कृमि, ज्वर, विष, अरुचि,मंदाग्नि,अफरा,दस्त,खासी,श्वास,नीम रक्तचाप,मूत्राल्पता, त्वचा के दोष,हैजा,अजीर्ण,सर्दी-जुकाम आदि को मिटाने वाला है|

पुदीना मे विटामिन’ए’ प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है|इसमे रोग प्रतिकारक शक्ति उत्पन्न करने की अद्भुत सामर्थ है|एवं पाचन रासो को उत्पन्न करने की भी क्षमता है|पुदीना मे अजवायन के सभी गुण पाए जाते है|पुदीना के बीज से निकलने वाला तेल स्थानिक एनेस्थेटिक,पीड़ानाशक एवं जन्तु नाशक होता है|इसके तेल के सुगंध से मच्छर भाग जाते है|

पुदीना

1. विशेष-

पुदीना का ताजा रस लेने की मात्रा है 5 -20 gm  तथा इसके पत्तों के चूर्ण को लेने की मात्रा तीन से छह ग्राम, काढ़ा लेने की मात्रा 10-40 gm  और अर्क लेने की मात्रा 10-40 gm तथा बीज का तेल लेने की मात्रा आधी से तीन बूँद है|

2. औषधि के रूप मे प्रयोग-

  1. मलेरिया– पुदीना एवं तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-सायं लेने से अथवा पुदीना एवं अदरक का रस एक -एक चम्मच सुबह-सायं लेने से लाभ होता है|
  2. वायु एवं कृमि-पुदीना के 2 चम्मच रस मे एक चुटकी काला नमक डाल कर पीने से गैस तथा वायु एवं पेट के कृमि नष्ट हो जाते है|
  3. पुराना सर्दी-जुकाम एवं निमोनिया– पुदीना के रस की दो तीन बुँदे नाक मे डालने एवं पुदीना तथा अदरक के एक -एक चम्मच रस मे शहद मिलाकर दिन मे दो बार पीने से लाभ होता है|
  4. अनार्तव -अल्पार्तव- मासीक-धर्म न आनेपर या कम आने पर अथवा वायु एवं कफ दोष के कारण बंद हो जाने पर पुदीना के काढ़े मे गुड़ एवं चुटकी भर हिंग डालकर पीने से लाभ होता है|इससे कमर की पीड़ा मे भी आराम होता है|
  5. आंत का दर्द- अपच,अजीर्ण,अरुचि,मंदाग्री,वायु आदि रोग मे पुदीना के रस मे शहद डालकर ले अथवा पुदीना का अर्क ले|
  6. दाद– पुदीना के रस मे नींबू मिलाकर लगानेसे दाद मीट जाता है|
  7. उलटी,दस्त, हैजा- पुदीना के रस मे नींबू का रस , अदरक का रस एवं शहद पिलाने अथवा अर्क देने से ठीक होता है|
  8. बिच्छू का दंश– पुदीना का रस दंश वाले स्थान पर लगाए एवं उसके रस मे मिश्री मिलाकर पिलाए| यह प्रयोग तमाम जहरीले जन्तुओ के दंश के उपचार मे काम आता है|
  9. हिस्टीरिया- रोज पुदीना का रस निकालकर उसे थोड़ा गर्म करके सुबह-सायं नियमित रूप से देने पर लाभ होता है|
  10. मुख-दुर्गंध- पुदीना के रस मे पानी मिलाकर अथवा पुदीना के काढ़े का घूंट मुहमे भर कर रखे, फिर उगल दे|इससे मुह दुर्गंध का नाश होता है|   
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