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स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

पेट के बल लेट के करने के आसन(योगा):Easy to do while lying on your stomach:-

पेट के बल लेट के करने के आसन-

1. मस्तक-पादांगुष्ठासन-

आसन

→पेट के बल लेटकर,सारे शरीर को मस्तक और पैरों के अंगूठे के बलपर उठाकर कमान के सदृश शरीर को बना दे|शरीर को उठाते हुए पूरक,ठहराते हुए कुम्भक और उतारते हुए रेचक करे|

फायदे(benefits)-मस्तक, छाती ,पैर,पेट की आंते तथा सम्पूर्ण शरीर की नाड़िया शुद्ध ,निरोग और बलवान होती है|

2. नभ्यासन-

आसन

पेट के बल समसूत्र मे लेटकर दोनों हाथों को सिर की ओर आगे दो हाथ की दूरी पर एक-दूसरे हाथ से अच्छी तरह फैलावे, दोनों अपिरो को भी दो हाथों की दूरी पर ले जाकर फैलावे|फिर पूरक करके केवल नाभि पर समूचे शरीर को उठावे|पैरों और हाथों को एक या डेढ़ हाथ की उचाई पर ले जाए,सिर और छाती को आगे की ओर उठाये रहे|जब स्वास बाहर निकलना चाहे,तब हाथों और पैरों को जमीन पर रख कर रेचक करे|

फायदे(benefits)-नाभि की शक्ति का विकास होना,मंदाग्री ,अजीर्णता वायु गोल तथा अन्य पेट के रोगों तथा वीर्य दोष का दूर होना|

3. म्यूरासन-

आसन

→दोनों हाथों को मेज अथवा भूमि पर जमाकार, दोनों हाथों की कुहनिया नाभि स्थान के दोनों पार्श्व से लगाकर सारे शरीर को उठाये रहे,पाव जमीन पर बने रहने से हंसासन बनता है |

फायदे(benefits)-जठराग्रिका प्रदीप्त होना,भूख लगना ,वाढ-पितादि तथा पेट के रोगों कब्ज आदि को दूर करना और शरीर निरोग रखना|वस्ति तथा एनीमा के पश्चात इसके करने पानी तथा आँव जो पेट मे रह जाते है, वह निकाल जाते है,मेरुदंड सीधा होता है| 

4. सर्पासन -

सर्पासन के निम्न 3 भेद होते है-

(क) उत्थितैकपाद-सर्पासन-

आसन/योगा

(ख)भुजङ्गडासन-

योगा

(ग)सरलहस्त-भुजङ्गडासन-

योगा

5. शलभासन-

आसन

→शलभ टिड्डी को कहते है|पेट के बल लेटकर दोनों हाथों की अंगुलियों को मुट्ठी बांध कर कमर के पास लगावे, तत्पश्चात धीरे -धीरे पूरक करके छाती तथा सिर को जमीन मे लगाए हुए हाथों के बल एक पैर को यथाशक्ति एक डेढ़ हाथ की उचाई पर लेजाकर ठहराए रहे,जब स्वास निकालना चाहे ,तब धीरे-धीरे पैर को जमीन पर रख कर शनै:-शनै: रेचक करे|इसी प्रकार दूसरे पैर को उठावे फिर दोनों पैरों को उठावे|

फायदे(benefits)-जांघ,पेट, बाहु  आदि भागों को लाभ पहुचाता है|पेट के आँते मजबूत होती है और सभी प्रकार के पेट के रोग दूर होते है|  

6. धनुरासन-

आसन

पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को पीठ की ओर करके दोनों पैरों को लेवे और शरीर को वक्र-भाव से रखे|कही-कही इस आसन को व्रजासन भांति एड़ियों पर बैठ कर पीछे की ओर झुक कर करना बताया है|

फायदे(benefits)– कोष्ठबद्धदी उदर के सब विकारों का दूर होना, भूख तथा जठराग्नि प्रदीप्त होना | 

7. निरालंबासन या मकरासन-

मकर याने मगर है। यह आसन पानी के अंदर रहने वाले मगर के आकार में होता है। इसलिए यह मकरासन कहलाता है।

विधि –

भुजंगासन की स्थिति में रहे। दोनों हथेलियों पर ठोढ़ी रख कर दोनों कुहनियाँ मिला कर ज़मीन पर टिकावें। श्वास सामान्य रहे। 2 मिनट इस स्थिति में रहे, बाद सिर नीचे उतारें। गर्दन और रीढ़ की हड़ी पर ध्यान दें।

सूचना –

प्रातः उठने ही इसे अपने विस्तर में ही करें। कम्प्यूटर के आपरेटरों, हिसाब आदि लिखनेवालों, पुस्तके पढ़नेवालों सिर झुका कर काम करने वालों को हर रोज़ रात के वक्त भोजन के पहले यह आसन अवश्य करना चाहिए।

8. विपरीत मेरुदंडासन-

विपरीत मेरुदंडासन

रीढ़ की हड़ी से संबंधित मेरुदंडासन की क्रिया पेट के बल लेट कर करते हैं, अतः यह विपरीत मेरुदंडासन /मेरुदंड आसन कहलाता है।

विधि –

पेट के बल लेटें । दोनों हाथ जोड़ कर सीधे आगे की और पसारें। घुटनों के पास पैर ऊपर उठावें। एड़ियाँ मिलावें। शरीर को इधर-उधर हिलावें। पैरो की छोटी ऊंगलियां जमीन को छूती रहे। सांस सामान्य रहे।

लाभ –

रीढ़ की हड़ी सुदृढ़ होगी। पेट की चरबी कम होगी।

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