Aarogya Anka

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

बिना औषधि के रोग ठीक करे :

1. सिर दर्द को ठीक करे :

सिर दर्द होने पर दोनों हाथों के केहुनी के ऊपर रस्सी से खूब कस के बांध देना चाहिए |इससे 5-7 मिनट मे सिर दर्द ठीक हो जाएगा |ऐसा बांधना चाहिए की रोगी को हाथ मे अत्यंत दर्द महसुश हो |सिर दर्द अच्छा होते ही बांह खोल देनी चाहिए |

सिर दर्द दूसरे प्रकार का भी होता है ,जिसे साधारणतः अधकपाली कहते है |यह कपाल के मध्य से लेकर आधा भाग मे होता है |यह प्रायः सूर्योदय के time से लेकर शुरू होती है और दिन चढ़ने के साथ ये व बढ़ती जाती है |दोपहर के बाद घटना प्रारंभ होती है और सायं तक नहीं होती है , फिर सायं से लेकर रात तक ठीक रहती है फिर अगले सुबह होती है |इस रोग के होने पर सर के जिस भी हिस्सा मे दर्द हो (left /right )उस तरफ के हाथ के केहुनी के ऊपर रस्सी बंधनी चाहिए |थोड़े ही देर मे दर्द ठीक हो जाएगा |

2. दांत की रोग (tooth diseases ):

प्रतिदिन जितनी बार मल -मूत्र का त्याग करे ,उतनी बार दाँतों के दोनों पंक्तियों को मिलाकर जोर से दबाए रखे |जब तक मल -मूत्र निकलता रहे तब तक दांतों को मिलाकर दबाए रखना चाहिए |दो -चार दिन ऐसा करने से कमजोर दांतों के जड़ मजबूत हो जाएगी |नियमित अभ्यास करने से दाँत बहुत मजबूत हो जाता है |और दाँत लंबी समय तक काम देते है |तथा दाँतों मे किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं होती है |

बिना औषधि

इसी प्रकार आप बिना औषधि का भी लाभ प्राप्त कर सकते है| ये तो थे बिना औषधि के दांतों के problems को ठीक करने का तरीका| अब हम एक बहुत ही करकर नुस्खे के बारे मे आपको बताए है| 

ये इस प्रकार है-

दाँत दर्द निवारक अनुभूत नुस्खे-

खड़ी सोंठ को पानी मे शीला(पत्थर) -पर घिसकर लेप तैयार कर ले एवं लेप को गर्म करके( सहन करने योग्य गर्म) जिस दाँत या दाढ़ मे दर्द हो उसी तरफ गालपर लगाकर सूखने तक रहने दे| तत्काल लाभ होगा| लेप को 4-5 घंटे तक रहने दे|

विशेष- ध्यान रहे , इस लेप का प्रयोग मुंह के अंदर की तरफ नहीं करे| लेप का प्रयोग लाभ के लिए 3 दिन लगातार करे|

3. स्नायविक वेदना-

छाती ,पीठ या बगल मे , चाहे जिस भी स्थान पर स्नायविक वेदना या अन्य किसी प्रकार का वेदना हो तो , वेदना मालूम चलते ही जिस नासिक से स्वास चलता हो , उसे बंद कर देना चाहिए| 2-4 min  मे अवश्य ही वेदना चली जाएगी|

4. प्लीहा-

रात को बिछौने पर सोकर और सबेरे शय्या के समय हाथ और पैर को सिकोड़ कर छोड़ देना चाहिए|फिर कभी इस  करवट कभी उस करवट टेड़ा-मेड़ा शरीर करके सारे शरीर को सिकोड़ना और फैलाना चाहिए|प्रतिदिन 4-5 मिनट ऐसे करने से प्लीहा-यकृत (तिल्ली-लिवर) रोग दूर हो जायगा|हमेशा इसका प्रयोग करने से प्लीहा तथा यकृत रोग की पीडा नहीं भोगनी पड़ेगी|

5. अन्तरिया ज्वर-

श्वेत अपराजिता अथवा पलाश के पत्तों को हाथ से मलकर ,कपड़े से लपेट कर एक पोटली बना लेनी चाहिए|और जिस दिन लगे की ज्वर जैसा महसूस हो रहा है उस दिन सुबह से ही सूंघना शुरू कर देना चाहिए|शरीर के अंदर की ज्वर( अन्तरिया ज्वर) बंद हो जाएगा|

बिना औषधि के सिर दर्द कैसे ठीक करे?

सिर दर्द होने पर दोनों हाथों के केहुनी के ऊपर रस्सी से खूब कस के बांध देना चाहिए |इससे 5-7 मिनट मे सिर दर्द ठीक हो जाएगा |ऐसा बांधना चाहिए की रोगी को हाथ मे अत्यंत दर्द महसुश हो |सिर दर्द अच्छा होते ही बांह खोल देनी चाहिए |

प्रतिदिन जितनी बार मल -मूत्र का त्याग करे ,उतनी बार दाँतों के दोनों पंक्तियों को मिलाकर जोर से दबाए रखे |जब तक मल -मूत्र निकलता रहे तब तक दांतों को मिलाकर दबाए रखना चाहिए |दो -चार दिन ऐसा करने से कमजोर दांतों के जड़ मजबूत हो जाएगी |नियमित अभ्यास करने से दाँत बहुत मजबूत हो जाता है |और दाँत लंबी समय तक काम देते है |तथा दाँतों मे किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं होती है |

छाती ,पीठ या बगल मे , चाहे जिस भी स्थान पर स्नायविक वेदना या अन्य किसी प्रकार का वेदना हो तो , वेदना मालूम चलते ही जिस नासिक से स्वास चलता हो , उसे बंद कर देना चाहिए| 2-4 min  मे अवश्य ही वेदना चली जाएगी|

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