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स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

Diabetes(sugar) – 4 important औषधि

मधुमेह(Diabetes) क्या है?

यह एक दीर्घकालिक स्थिति है जो तब होती है जब रक्त शर्करा का स्तर बहुत अधिक हो जाता है। यह तब विकसित होता है जब अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन या बिल्कुल भी इंसुलिन का उत्पादन करने में विफल हो जाता है, या जब शरीर इंसुलिन के प्रभावों पर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करता है। इंसुलिनअग्न्याशय द्वारा संश्लेषित एक हार्मोन, ऊर्जा उपयोग के लिए ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करने के लिए एक कुंजी के रूप में कार्य करता है।

मधुमेह(Diabetes) के लक्षण:

मधुमेह रोग के लक्षण रक्त शर्करा के स्तर और मधुमेह के प्रकार के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। 

  • सामान्य संकेत और लक्षणों में प्यास का बढ़ना, लगातार पेशाब आना, और थकान। 
  • लोगों को धुंधली दृष्टि का भी अनुभव हो सकता है, अस्पष्टीकृत वजन घटाने, और धीरे-धीरे ठीक होने वाले घाव। 
  • हाथों या पैरों में सुन्नता या झुनझुनी तथा बार-बार त्वचा या योनि में फंगल संक्रमण हो सकता है।
  • गर्भावधि मधुमेह में आमतौर पर कोई लक्षण नज़र नहीं आते। डॉक्टर गर्भावस्था के 24 से 28 हफ़्तों के बीच इस स्थिति की जांच करते हैं।
  • टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित बच्चों में अत्यधिक भूख या प्यास, अधिक पेशाब (बिस्तर गीला करना सहित) और थकान की समस्या हो सकती है। 
  • व्यवहार में परिवर्तन, योनि में फंगल संक्रमण, चिड़चिड़ापन, पेट में दर्द और यौवनपूर्व लड़कियों में विकास में देरी भी हो सकती है। 
  • टाइप 2 मधुमेह में, बच्चों में एकैन्थोसिस के समान लक्षण देखे जा सकते हैं, जिसमें गर्दन, कमर और बगल के आसपास की त्वचा का काला पड़ना एक विशिष्ट लक्षण है।

मधुमेह(diabetes):

मधुमेह(diabetes)का रोग अभी के समय मे बहुत तेजी से बढ़ रहा है| शारीरिक श्रम का अभाव तथा खान-पान मे असंतुलन इस रोग का सामान्य कारण है| शारीरिक एवं मानसिक श्रम का संतुलन बने रहने पर शुगर( diabetes) होता ही नहीं है|

 भूख-प्यास बढ़ जाना, मूत्र अधिक तथा बार-बार होना , थकान बने रहना, त्वचा खुश्क एवं खुरदरी होन , चर्म विकार- खुजली, फोड़ा-फुंसी होना, घावों का शीघ्र न भरना, दृष्टि शक्ति की क्षीणता, स्मृतिह्रास , मानसिक थकान, बालों का झड़ना, लिवर खराब हो जाना आदि इसके लक्षण है| 

diabetes मे क्लोम ग्रन्थि( पैन्क्रियाज )- रस( insulin ) – का श्राव कम हो जाता है, कभी-कभी यह अत्यंत कम हो जाता है| इसके कारण पक्षाघात, हृदय-विकार , रक्तचाप, अदीठ (कारबंकल) आदि तथा पुरुषत्व- क्षीणता का लक्षण देखने को मिलता है| इससे diabetes के रोगी का मनोबल गिरा हुआ रहता है| 

ऐसे मे मूत्र शर्करा एवं रक्त शर्करा परीक्षण करा लेना चाहिए| blood sugar fasting – 80- 120 mg  normal range तथा पी.पी. 160 तक नार्मल माना जाता है| जांच से यदि शर्करा की मात्रा नार्मल से अधिक हो तो नीचे लिखा हुआ औषधोपचार करना लाभप्रद होगा- 

solutions to some diseases ,(sugar)

 औषधि- 1 

गुड़मार की पत्ती 30 gm , नीम की पत्ती 30 gm, तुलसी की पत्ती 30 gm , सदाबहार की पत्ती- फूल 30 gm , बेल की पत्ती 30 gm , जामुन की गिरी 50 gm , तजकलमी असली 20 gm , वंशलोचन असली 20 gm , जायफल 10 gm , जावित्री 10 gm , इलाईची छोटी 10 gm , रूमी मस्तगी असली 10 gm , बिनौली की गिरी 20 gm , काली मिर्च 30gm , तेजपत्र असली 30 gm , करेला-बीज 20 gm , मामज्जक(नाय) 30 gm – इन सभी को सूखा ले और बारीक चूर्ण बनाकर रख ले|

मात्रा- इस चूर्ण को 3 gm सुबह-शाम पानी से ले| यदि गोली बनाना हो तो बबूल के गोंद के पानी से 3gm की बना ले| 1 गोली सुबह-शाम पानी से ले|

औषधि -2 

गिलोय,  तुख्महयात ( पनिरडोडे), असली चिरायता कड़वा, देशी बबूल  की छाल, गूलर की पत्ती, गोरखमुंडी, अर्जुन के पत्ते- सभी को समान भाग मे लेके अदकुटा कर के 8 गुने जल मे 24 घंटे भिंगो दे| फिर काढ़ा बनाए, चौथाई पानी शेष रहने पर छानकर पुनः पकाये, गढ़ा हो जानेपर थोड़ी-सी पीसी हुई हल्दी का चूर्ण मिलाकर 1 gm की गोली बना ले| 

मात्रा- 2 गोली सुबह-शाम मेथी के पानी से ले| 10 gm  मेथी रात को आधा कप पानी मे भिगो दे, सुबह इसी पानी से ले, शाम को भी ऐसे ही ले| 

औषधि -3 

असली शिलाजीत 20 gm , त्रिबंगभस्म  10 gm , बंगभस्म 10 gm , लौहभस्म 10 gm , स्वर्णमाक्षिकभस्म 10 gm , मकरध्वज या रससिंदूर 10 gm , अफीम 3 gm , कपूर 3 gm , असली सोने का वर्क बड़ा 10 अदद , असली चांदी का वर्क 60 अदद- सभी को खरल मे डालकर अदरक के रस की 7 भावना दे तथा धतूरे के पत्ते की रस की 7 भावना दे[ रस मे भिगोकर 8 घंटे तक रख दे, यही भावना दे]  भलीभांति घोंटकर 240  गोली बनाकर सुखाकर रख ले|

मात्रा- 2 गोली सुबह तथा 2 गोली रात को चिनिरहित दूध के साथ ले|   

औषधि-4 

नीम की पत्ती , गूलर की पत्ती, सदाबहार की पत्ती, संभालु की पत्ती, लाल मिर्च- सबकी चटनी पीस ले| इसमे 3 बूँद अमृतबिन्दु की मिला दे तथा इसमे अदीठव्रण ( कारबंकल) पर लगाए| यह लेप कारबंकल का विष नष्ट करता है| शोधन एवं रोपण है| शुद्ध होनेपर पंचगुण तैल का फाया लगाना चाहिए| अंदर से diabetes नाशक प्रयोग चलाते रहना चाहिए|

(अमृत बिन्दु, पिपरमेंट, सत अजवायन, कपूर को बराबर लेकर शीशी मे रखे तरल होगा|) 

आसन-व्यायाम- diabetes के रोगी को सुबह भ्रमण बहुत लाभकारी है| 5-7 km घूमना अति उत्तम है| भस्त्रिकासन-हलासन एवं सर्वाग्डासन सीखकर करना चाहिए| भस्त्रकासन करने से यह लाभ होता है की इससे इंसुलिन का निर्माण होता है|

पथ्यापथ्य- diabetes मे जौ-चना -गेंहू की रोटी, पुराना चावल, मूंग-मसूर-चना – अरहर की दाल, पत्तियों की सब्जी, परवल, बैंगन, करेला, आदि लाभदायक है| कंद शाक , मीठे फल, चीनी-चाय-कफकारक चीज़े हानिप्रद है| स्थूल रोगियों को मोटापा कम करना चाहिए|

जो लोग किसी अन्य पैथी  की दवा ले रहे हो, वे उसे धीरे-धीरे कम करे, लाभ पूरा होनेपर अन्य दवा छोड़ दे| औषधि रोगमुक्त होने तक चलानी चाहिए| उसके बाद समान्य उपचार जारी रखना चाहिए|    

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