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स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

गोमूत्र के लाभ एवं महत्व: Benefits and importance of cow urine:

1. गोमूत्र के महत्व:importance of cow urine:-

⇒शास्त्रों मे ऋषियों-महाऋषियों ने गौ की अनंत महिमा लिखी है| उनके दूध, दही, मक्खन,घी, छाछ , मूत्र आदि से अनेक रोग दूर होते है|गोमूत्र एक महाऔषधि है| इसमे पोटैशियम, ,मैग्रीशियम क्लोराइड, फास्फेट, अमोनिया, कैरोटीन,स्वर्णक्षार आदि पोषकतत्व विद्यमान रहते है|इसलिए इसे औषधिए गुणों की दृष्टि से महाऔषधि माना गया है|     

2. गोमूत्र के लाभ:benefits of cow urine:

18 रोगों मे गोमूत्र का उपयोग-

  1. जोड़ों का दर्द-
  2. दाँत दर्द-
  3. मोटापा-
  4. पुराना,जुकाम,नजला, श्वास-
  5. हृदयरोग-
  6. मधुमेह- 
  7. पीलिया-
  8. high blood pressure(उच्च रक्तचाप)-
  9. दमा-
  10. यकृत , प्लीहा बढ़ना-
  11. कब्ज,पेट फूलना-
  12. गैस-
  13. गले का केंसर-
  14. चर्मरोग-
  15. आँख के रोग-
  16. पेट मे कृमि-
  17. कब्ज-
  18.  केंसर-

1. जोड़ों का दर्द-

  • दर्द के स्थान पर गोमूत्र का सेक करे|
  • सर्दी मे 1 gm सोंठ के चूर्ण के साथ गोमूत्र का सेवन करे|

2. दाँत-दर्द-

⇒दाँत-दर्द एवं पायरिया मे गोमूत्र से कुल्ला करने से लाभ होता है|

⇒आधे ग्लास ताजे पानी मे 4 चम्मच गोमूत्र, 2 चम्मच शहद तथा 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर नित्य सेवन करे| मोटापा से अवश्य राहत पाएंगे|

4. पुराना,जुकाम,नजला,श्वास-

⇒गोमूत्र एक चौथाई मे एक चौथाई फुली हुई फिटकरी मिलाकर सेवन करे|अवश्य लाभ होगा|

5. हृदयरोग-

⇒4 चम्मच गोमूत्र का सुबह-शाम सेवन करे|

6. मधुमेह-

⇒बिना ब्यायी गाय का डेढ़ तोला गोमूत्र प्रतिदिन सेवन करे|

7. पीलिया-

⇒200-250 ml गोमूत्र 15 दिन तक पिए, पीलिया मे अवश्य लाभ होगा|

8.उच्च रक्तचाप-

⇒एक चौथाई प्याले गोमूत्र मे एक चौथाई चम्मच फुली हुई फिटकरी डालकर सेवन करे|

9. दमा-

⇒दमा के रोगी को छोटी बछड़ी का 1 तोला गोमूत्र daily पीना चाहिए|

10. यकृत,प्लीहा बढ़ना-

  1. 5 तोला गोमूत्र मे एक चुटकी नमक मिलाकर पिए|
  2. पुनर्नवा के क्वाथ को समान भाग गोमूत्र के मिलाकर ले|
  3. गर्म ईट पर उससे गोमूत्र मे कपड़ा भिंगोकर लपेटे तथा प्रभावित स्थान पर हल्की हल्की सिकाई करे|

11. कब्ज,पेट फूलना-

  • तीन तोला ताजा गोमूत्र छानकर उसमे आधा चम्मच नमक मिलाकर पिलाए|
  • बच्चे का पेट फूल जाय तो एक चम्मच गोमूत्र पिलाए|पेट ठीक हो जाएगा|

12. गैस-

  1. प्रातः काल आधे कप गोमूत्र मे नमक तथा नींबू का रस मिलाकर पिलाए|
  2. पुराने गैस के रोग के लिए गोमूत्र को पकाकर प्राप्त किया गया क्षार भी गुणकारी है|

13. गले का केंसर-

  1. ⇒100 ml गोमूत्र तथा सुपारी के बराबर गाय का गोबर दोनों को मिलाकर स्वच्छ बर्तन मे छान ले|सुबह नित्यकर्म से निर्वित होकर , खाली पेट 6 महीने तक प्रयोग करे|

14. चर्मरोग-

  • नीम,गिलोय क्वाथ के साथ सुबह-शाम गोमूत्र का सेवन करने से रक्तदोषजन्य चर्मरोग नष्ट हो जाता है|
  • चर्म रोग पर जीरे को महीन पीसकर गोमूत्र मिलाकर लेप करे|

15. आँख के रोग-

⇒आँख के धुंधलेपन एवं रतौधि मे काली बछिया के मूत्र को तांबे के बर्तन मे गर्म करे|चौथाई भाग बचने पर छान ले और उसे कांच की शीशी मे भर ले|उससे सुबह-शाम आँख धोए| 

16. पेट मे कृमि-

⇒आधा चम्मच अजवाइन के चूर्ण के साथ 4 चम्मच गोमूत्र एक सप्ताह तक सेवन करे, अवश्य लाभ होगा|

17. कब्ज-

⇒हरड़ के चूर्ण के साथ गोमूत्र का सेवन करे|

18. कैंसर(cancer)-

⇒गौ माता की सेवा, गौ माता के दर्शन तथा गोंदुग्ध एवं गोदधि के प्रयोग से मानव पूर्ण निरोग तथा सुखी समृद्ध रह सकता है|

सामग्री-

  1. भारतीय नस्ल की गाय का दूध का एक पाव से आधा किलो दही,
  2. 4 चम्मच गोमूत्र,
  3. 5-10 पत्ते तुलसी पत्र,
  4. कुछ शुद्ध मधू|

विधि-

इन चारों पदार्थों को एक पात्र मे मिलाकर, मथकर प्रातः काल खाली पेट केवल एकबार पीने से तथा 1 वर्ष तक के इस प्रयोग से प्रारम्भिक अवस्था का कैंसर पूरी तरह दूर हो जाता है|

गौ माता के शरीर पर हाथ फेरने से, उसके श्वास से अनेक प्रकार के किटाणु नष्ट हो जाते है|गोबर की कंडो के राख से दुर्गंध देखते ही काफ़ुर हो जाती है|

कब्ज,खाँसी,दमा,जुकाम,जीर्णज्वर,उदररोग तथा चर्मरोग आदि मे गोमूत्र रामबाण दवा का काम करता है|

गोमूत्र मे कार्बोलिक एसिड भी होता है जो किटाणु नाशक है|इसमे हृदय और मस्तिष्क के विकारों को भी दूर करने की अद्भुत क्षमता है|

गोमूत्र मे हरड़(हर्रे) भिगोकर धीमी आंच पर गर्म करे|जलीय भाग जल जानेपर उस हरड़ का चूर्ण बना ले|यह चूर्ण अनेक रोगों की रामबाण दवा है|

गोमूत्र सेवन मे सावधानियाँ-

  1. देशी गाय का गोमूत्र ही सेवन करे|
  2. जंगल मे चरने वाली गाय का मूत्र सरवॉटम है|
  3. गाय गर्भवती या रोगी न हो|
  4. बिना ब्यायी गाय का मूत्र अधिक लाभकारी है|
  5. 1 वर्ष से कम की बछिया का मूत्र सर्वोतम है|
  6. मालिश के लिए 2-7 दिन पुराना गोमूत्र अच्छा होता है|
  7. पीने हेतु गोमूत्र को कपड़े से 5-8 बार छानकर प्रयोग करना चाहिए|
  8. बच्चों को 5-5 gm और बड़ों को 10-20 gm की मात्रा मे सेवन करनी चाहिए|

पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ ऊपर बताई विधि के अनुसार गोमूत्र का सेवन करने से गोमाता की कृपा से चमत्कारी लाभ होगा|

गोमूत्र क्या है?

गाय के मूत्र मे कार्बोलिक एसिड होता है, जो किटाणु नाशक है| अतः यह शुद्धि और स्वच्छता को बढ़ाता है|प्राचीन ग्रंथों मे गोमूत्र को अति पवित्र कहा गया है|आधुनिक दृष्टि से गोमूत्र मे नाइट्रोजन, फास्फेट,यूरिया,यूरिक एसिड, पोटैसियम और सोडियम होता है|जिन महीनों मे गाय दूध देती है, उनमे उसके मूत्र मे लेक्टोज़ होता रहता है|जो हृदय और मस्तिष्क के विकारों मे बहुत हितकारी है| इसमे स्वर्णक्षार भी मौजूद रहता है जो रसायन है|   

गोमूत्र का प्रयोग बहुत सारे रोगों मे किया जाता है| जैसे-

  1. जोड़ों का दर्द-
  2. दाँत दर्द-
  3. मोटापा-
  4. पुराना,जुकाम,नजला, श्वास-
  5. हृदयरोग-
  6. मधुमेह- 
  7. पीलिया-
  8. high blood pressure(उच्च रक्तचाप)-
  9. दमा-
  10. यकृत , प्लीहा बढ़ना-
  11. कब्ज,पेट फूलना-
  12. गैस-
  13. गले का केंसर-
  14. चर्मरोग-
  15. आँख के रोग-
  16. पेट मे कृमि-
  17. कब्ज-
  18.  केंसर- इत्यादि|

गोमूत्र मे कार्बोलिक एसिड भी होता है जो किटाणु नाशक है|इसमे हृदय और मस्तिष्क के विकारों को भी दूर करने की अद्भुत क्षमता है|

औषधि बनाने की विधि-

गोमूत्र मे हरड़(हर्रे) भिगोकर धीमी आंच पर गर्म करे|जलीय भाग जल जानेपर उस हरड़ का चूर्ण बना ले|यह चूर्ण अनेक रोगों की रामबाण दवा है|

 
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