बालकोंके लिये यहाँ कुछ ऐसी दवाइयोंके नुस्खे लिखे जाते हैं, जिनका निर्भयरूपसे बालकोंकी बीमारीमें प्रयोग करनेसे निश्चित लाभ होता है। जहाँ डॉक्टर-वैद्य न हों, वहाँ तो इनसे काम होता ही है; साधारण रोगोंपर भी ये दवाएँ बहुत काम करनेवाली होनेके कारण डॉक्टर-वैद्योंकी आवश्यकताको कम कर देती हैं। जल्दी आराम होता है और पैसे बचते हैं। विश्वासी पंसारी और दवा बेचनेवालोंके यहाँसे दवा बनानेकी असली चीजें खरीदनी चाहिये।
1. बच्चों के पसली या डिब्बारोग(ब्रान्को न्यूमोनिया) मे-
फुलाया हुआ सुहागा छः रत्ती गुनगुने पानीके साथ बीमारीकी प्रबलताके अनुसार बार-बार देनेसे भयंकर स्थितिमें पहुँचा हुआ रोग भी मिट जाता है। औषधि बिलकुल सादी है; पर लाभ बहुत अधिक।
2. खाज तथा फोड़े फुंसी के लिए अक्सीर मलहम-
असली घी 10 तोला, जिंक ऑक्साइड 2॥ तोला, संगेजराहत 2 ॥ तोला, बोरिक एसिड 2 ॥ तोला, कपूर खूब महीन पीसा हुआ आधा तोला, हाइड्रोजरी ऑक्साइड-रुबरी छः आना भर-इन सब चीजोंको कपड़ेमें छानकर घीमें मिलाकर मलहम बना ले। नीमकी पत्तियाँ उबालकर उस पानीसे घावकी जगहको पहले धो-साफकर दवा लगानी चाहिये। इस बाल-रोग मे लाभ होगा|
3. मुंह मे गर्मी से घाव हो जाने पर-
ग्लिसरीन 4 तोला, टेनिक एसिड 1 तोला- दोनोंको खरलमें खूब घोंटकर एकरस करके शीशी में भर ले। रूईके फाहेसे बालकके मुँहमें लगाकर उसे गोदमें उलटा सुला ले, इससे लार झर जायगी। दो-तीन दिनोंमें आराम हो जायगा। दवा दिनमें दो-तीन बार लगाये। दवा पेटमें चली जानेपर भी हानिकर नहीं है।
4. बालकों के दस्त मरोड़ मे-
जायफल 3 तोला, लौंग 1 ॥ तोला, इलायची १ तोला, चीनी २५ तोला, खड़िया मिट्टी 11 तोला-सभी
चीजोंको महीन कूटकर कपड़छान कर शीशी में भर ले। मात्रा 3 से 30 रत्तीतक अवस्थानुसार पानीके साथ दिन-रातमें तीन बार।
अथवा चूनेका जल (Lime water) – कलीका चूना 4 तोला, चीनी 8 तोला, स्वच्छ जल 60 तोलेमें मिलाकर हिलाकर रख दे। जब चीनी जलमें गल जाय और चूना नीचे बैठ जाय, तब ऊपरसे निथरा हुआ जल अलग शीशीमें रख ले। मात्रा-३ महीनेके बच्चेको 5 से 10 बूँद, एक वर्षतकके बालकको २० से 25 बूँद दूध या जलके साथ मिलाकर दे। इससे चाहे जैसी उलटी हो तुरंत बंद हो जाती है। दूध पचने लगता है। पेटदर्द और कब्ज भी दूर होता है।
5. विसर्प की सूजन के लिए-
जिंक ऑक्साइड, संखजीरा (संगेजराहत), स्वर्ण गेरू और सफेद कत्था बराबर मात्रामें महीन चूर्ण करके गुलाबजलमें मिलाकर दिनमें 5 या 7 बार रूईके फाहेसे लगाये। इससे गाँठ गल जायगी और बच्चेको आराम हो जायगा।
6. बालकों की अमूल्य दवा-
पीपल, नागरमोथा, अतिविष, काकड़ासिंगी-इन्हें बराबर मात्रामें लेकर बारीक चूर्ण कर ले। मात्रा-1 से 3 रत्ती, दिनमें 2 या 3 बार माताके दूधमें या शहदके साथ चटा दे। इससे बालकोंके बुखार, दस्त, कफ, उलटी, खाँसी, जुकाम आदि रोग मिट जाते हैं। यह दवा बालकोंके लिये बाल-वैद्यका सफल कार्य करती है।
7. बाल-बटिका-
जायफल, जावित्री, तज, लौंग, इलायची, अजमोद, सफेद मिर्च, कटभी (करही), बायबिडंग, सोया, संचल नमक, हरड़की छाल, चिरायता, सैका हुआ करंजका बीज, अतिविष, अनारकी छाल, पीपलामूल, बाँसकपूर, हीमेज, हीराबोल, खस, लोबान और केसर-सबको बराबर लेकर महीन चूर्ण करके कपड़छान कर ले। फिर शहदमें मिलाकर मूंगके आकारकी गोली बना ले। बारह महीनेके बालकको 1 से 4 गोली
दे। बड़े बालकको अधिक मात्रामें देनी चाहिये। इस बाल-बटिकासे बच्चोंके पतले दस्त, उलटी, अजीर्ण, वायु, मन्दाग्नि, निर्बलता और कब्ज आदि रोग दूर होते हैं। दूध ठीक पचता है, बालक नीरोग रहता है।
8. बाल- पुष्टियोग-
अभ्रक भस्म 1 तोला, माण्डूर-भस्म 2 ॥ तोला, गिलोय-सत्त्व 2 ॥ तोला, अतिविष, बाँसकपूर, मिर्च, सोंठ, पीपल, बायबिडंग- ये छः चीजें प्रत्येक 1 तोला, मुलहठी 2 ॥ तोला, सेंके हुए करंजके बीज आधा तोला- सभीको महीन कूटकर कपड़छान कर ले, तदनन्तर 30 तोले शहदमें मिलाकर घोंटकर शीशियोंमें भरकर रखे। मात्रा ३ से 12 रत्तीतक दिनमें दो बार देनेसे बालकोंके जीर्ण- ज्वर, पेटकी शिकायतें, रक्तहीनता आदि रोग मिटकर बालक हृष्ट-पुष्ट होता है, कान्ति बढ़ती है और हड्डियाँ मजबूत होती हैं।
9. जलने पर-
तिलका तेल 4 तोला खूब उबाल ले, उसमें कपड़ेसे छाना हुआ रालका खूब महीन चूर्ण 1 तोला डालकर चूल्हेसे नीचे उतारकर हिला दे और तुरंत कपड़ेसे छानकर एक थालीमें डालकर ठंडा होने दे। फिर उसमें थोड़ा-थोड़ा जल डालकर फेंटता जाय और जल बदलता जाय। कुछ देरमें भैंसके मक्खन जैसी सफेद मलहम बन जायगी। तब उसे काँचके बर्तनमें रखकर पानीसे भर दे। मलहम जलमें डूबी रहनी चाहिये। पानी रोज बदल देना चाहिये। नहीं तो मलहम बिगड़ जायगी। इसको जले हुए घावपर लगाना चाहिये। यह निश्चित लाभ करती है। लगानेके साथ ही जलनको मिटा देती है और थोड़े ही समयमें जले हुएका घाव सूख जाता है।
10. कान की बीमारी के लिए-
एक तोला तिलके तेलमें लहसुनके टुकड़े ।) आना भर तथा मरवाके पत्ते ५ से १० तक डालकर उसे खूब गरम कर ले। फिर चूल्हेसे नीचे उतारकर कपड़ेसे छान ले। इस तेलको थोड़ा गुनगुना हो तब इसकी कुछ बूँदें कानमें डालकर कानको रूईसे भर दे। बालकोंके कानका दर्द मिटानेमें यह तेल अद्भुत कार्य करता है।
2. बाल-रोग के नुस्खे
1. ज्वर-
यदि बालकोंको ज्वर हो, दस्त आता हो, खाँसी आती हो, साँस फूल रही हो तथा उलटी होती हो तो नागरमोथा, पीपल, अतीस और काकड़ासिंगी- इन चारोंको कूट-पीस और छानकर शहद (मधु) में मिलाकर बालकोंको चटाना चाहिये।
2. दस्त-
सोंठ, अतीस, नागरमोथा, सुगन्धबाला और इन्द्र जौ-इन सबका काढ़ा बनाकर सुबह बच्चोंको पिलाना चाहिये।
3. हिचकी-
कुटकीके चूर्णको शहदमें मिलाकर बच्चोंको चटानेसे उनकी हिचकियाँ दूर होती हैं।
4. खाँसी-
धनिया और मिस्त्रीको पीसकर चावलके धोवनके साथ पिलानेसे बच्चोंकी खाँसी दूर होती है।
5. उलटी-
सोना गेरूको महीन पीसकर, शहदमें मिलाकर बच्चोंको चटानेसे उलटी, खाँसी दूर होती है।
6. बालकों का रोना और डरना-
त्रिफला चूर्ण और पीपल (छोटी पीपल) के चूर्णको मिलाकर शहदमें मिलायें और बच्चोंको चटायें। इससे रोना, डरना बंद हो जायगा। ये भी एक बाल-रोग ही है|
7. पेट मे कीड़े-
प्याजका रस पिलानेसे पेटके कीड़े नष्ट होते हैं। ये बाल-रोग मे अवश्य लाभ देगा|
8. बच्चे अगर मिट्टी कहा लिए हो-
पका केला शहदमें मिलाकर खिलाना चाहिये।
3 :बाल-रोगों के घरेलू चिकित्सा:
बालोंके असमय सफेद होनेको पलित रोग कहा जाता है। इसमें निम्न योग लाभ करता है-
1. आँवला नग 2 , छोटी हरड़ नग 2, बहेड़ा नग 1, लोहेका चूर्ण १ तोला तथा आमकी गुठलीकी झींगी 5 तोला-इन सबको लोहेके खरलमें डालकर महीन कूट लें। फिर थोड़ा पानी मिलाकर रातभर उसीमें पड़ा रहने दें। दूसरे दिन प्रातःकाल इसे छानकर इस पानीको बालोंमें लगाकर कुछ देर छोड़ दें, फिर धो लें। ऐसा कुछ ही दिन करनेसे सफेद बाल काले हो जाते हैं।
2. भांगरा, सफेद तिल, चीतेकी जड़ और मट्ठा-इन सबको मिलाकर खानेसे भी पलित रोग दूर होता है।
3. लोहेका चूर्ण, काली मिट्टी, त्रिफला एवं भांगरा-इन सबको पीसकर गन्नेके रसमें मिलाकर एक महीनेके लिये जमीनके भीतर गाड़ दें। फिर उस बर्तनको बाहर निकाल लें तथा इस मिश्रणको सफेद बालोंमें लगायें तो वे जड़सहित काले हो जाते हैं।
सिरके बालोंका गिरना या उड़ जाना खालित्य (गंजा) – रोग कहलाता है। इसमें निम्न योग हितकर है-
1. शहदमें कटेरीका रस मिलाकर गंजपर लगानेसे गंजरोग दूर होता है।
2. बकरीके दूधमें हाथीदाँतकी राख तथा रसौत मिलाकर गंजपर लेप करनेसे गंजरोग निश्चित- रूपसे दूर होता है।
3. कुटकोको कड़वे परवलके पत्तोंके रसके साथ पीसकर तीन दिनोंतक लगाते रहनेसे पुराना गंजरोग भी दूर हो जाता है।
4. घोड़े या गधेकी खरकी राखको नारियलके रोलमें मिलाकर गंजपर मलनेसे गंजरोग नष्ट हो जाता है। बालोंको लंबा करनेके लिये निम्न योग बहुत लाभकारी है-
1. आँवलेको नीबूके रसमें पीसकर बालोंकी जड़में मलनेसे बाल लंबे हो जाते हैं।
2. ककोड़ेकी जड़को भैंसके दहीमें पीसकर सिरपर लेप करें। फिर सिरको धोकर तेलकी मालिश करनेसे बाल खूब बढ़ जाते हैं। लेपको 21 दिनोंतक दो-तीन घंटे प्रतिदिन रखना चाहिये।
3. बेर तथा नीमके पत्तोंको पीसकर सिरमें लगायें तथा दो घंटे बाद धो लें। 31 दिनोंमें बाल खूब लंबे हो जायेंगे।
कुछ स्त्रियोंमें पुरुषोंके समान बाल उग आते हैं। आयुर्वेदमें कुछ ऐसे अचूक नुस्खे हैं, जिनका उपयोग करके अनचाहे बालोंको भी हटाया जा सकता है-
1. हरताल एक भाग तथा शंखका चूर्ण 2 भाग पीसकर लेप करनेसे अनचाहे बाल गिर जाते हैं।
2. भिलावे, कपूर, जवाखार, हरताल, शंखका चूर्ण और मैनसिल-इनमें पकाया हुआ तेल शीघ्र ही बालोंको समाप्त कर देता है।
3. कुसुम्बाके तेलकी मालिश करनेसे बाल दूर हो जाते हैं।
ये थे बाल-रोग के कुछ दवाइयों और घरेलू वस्तुओ का प्रयोग करके उपचार|