पंचगव्य के अद्भुत फायदे सभी रोगों मे-
1. गैस्टिक (गैस)-
♥पावरोटी, बिस्कुट,पकोड़े, फास्टफूड, खिलाने से पेट दर्द, गैस, खट्टी डकार, अम्लपित, जैसे रोज बहुत प्रचलित है| doctors गोलीया तथा मिक्स्चर देते है लेकिन रोग स्थायी हो जाता है| ड्यूडानम की सूजन के कारण अल्सर होने पर Opration होता है |
यदि starting से गोमूत्र सेवन कराया जाय तो पचनतंत्र धीरे-धीरे सबल बन जाएगा|और रोग मुक्ति जरूर मिलेगी|अगर गैस के रोगी को खट्टी उलटी हो तो उसे अविपतिकर चूर्ण मिलाकर गोमूत्र का सेवन कराना चाहिए|
गोमूत्र सार अथवा गोमूत्र क्षार वटी घी मे मिलाकर भोजन से पहले सेवन करना चाहिए|गर्मी के मौसम मे गोमूत्र-वटी ग्लूकोस के शर्बत के साथ ले| जाड़े मे शहद मिलाकर सेवन करे, पेप्टिक अल्सर होतो 2 गोली आरोग्यवर्धनी 2 गोली जल से खिलाकर आधा घंटा के बाद गोमूत्र पिलाए| लंबे समय तक किया गया गोमूत्र का सेवन पेट के सभी बीमारियों को दूर कर देता है|
2. जुकाम,सर्दी,सांस फूलना, दमा-
♥तवे को खूब गर्म करके, फिटकरी तोड़कर गर्म तवे पर डालकर उसका नमी (जलिएअंस) सूखा दे| चाकू से खुरेच कर सफेद पाउडर को सीसी मे स्टोर करके रख ले इसे आयुर्वेद मे टंकण(बलसुधा) कहते है|आधा कप गोमूत्र मे चौथाई चम्मच इस पाउडर मिलाकर खाली पेट पीने से पुराना जुकाम ठीक होता है| दमा के पुराने रोगियों को वसाचूर्ण 4 gm मिलाकर पिलाए | दमा के रोग मे चावल,आलू,चीनी,उरद की दाल ,दही ,nonvase तथा धूम्रपान न करे|
3. वात रोग-
♥घुटने,केहुनियों, पैर की पिंडलियों मे साइटिका रोग होने पर, मांशपेसियों मे दर्द,सूजन होने पर , गोमूत्र से बढ़कर दूसरी कोई औषधि नहीं है| संधिवात ,हड़फूटन,रुमेटिक फीवर तथा अर्थराइटिक्स मे सभी दवाइयाँ फेल हो जाती है| 80 टाइप की वाटरोगों की एक मात्र औषधि है गोमूत्र| आधा कप गोमूत्र मे शुद्ध शिलाजीत 2 gm ,रास्त्रादी क्वाथ ,रासत्रात्दि चूर्ण ,सोंठ -चूर्ण , शुद्ध गुलगुल अथवा महायोगराज गुगउल 2 गोली मिलाकर पिलाए|
4. डायबिटीज़-
♥चीनी की बीमारी अनेक बार चाय तथा काफी पीने से एवं पेनक्रियाज की कमजोरी से होती है| बीमारी का पता लगते ही चावल , आलू, चीनी, गुड, मिठाई, nonvase बंद कर दे| सुबह खाली पेट स्वर्णयुक्त चंद्रप्रभावती 2 गोली चबाकर गर्म जल तथा एक घंटे के बाद ताजा गोमूत्र पिलाए| सायं के नासता और चाय बंद करके शिलाजीत कैप्सल खिलाकर गोमूत्र पिलाए|
मेथी पाउडर एक चम्मच पानी के साथ दे| जामुन के हरे पत्ते 5, नीम के पत्ते 10,तथा वेलपत्र 5 , आम के पीले या हरे पत्ते 5 , इन सबको पीसकर रस निकाले , इसी रस के साथ शिलाजीत कैप्सल का उपयोग करे| blood sugar ज्यादा बढ़ हो तो स्वर्ण-वसंत-कुसुमाकर दोनों समय गोमूत्र के साथ दे| डाईवीटिस के कारण गुर्दे, लिवर,तथा हार्ट, कमजोर हो जाते है | जिन्हे केवल गमूत्र और शिलाजीत ही ठीक कर सकते है|
5. कब्ज-
♥पेट का साफ न होन सभी रोगों को बढ़ाता है| पेट के कब्ज मे गोमूत्र दोनों टाइम पिलाए, शाम को त्रिफला चूर्ण गर्म पानी के साथ दे फिर गोमूत्र पिलाए| बच्चों के मल अच्छे से साफ न होने पर गोमूत्र मे शहद मिलाकर दे| गाय के गर्म दूध मे 1 spoon गाय का घी मिलाकर देने से गर्भवती महिला को कभी कब्ज नहीं होगा|
6. बवासीर-
♥खूनी तथा वादी दोनों बवासीर गोमूत्र पीने से ठीक होते है| शाम को खाली गोमूत्र मे कलमी शोरा घोल कर पिलाए| कब्ज की स्तिथि मे त्रिफला चूर्ण मिलाकर गोमूत्र पिलाए, जलोदर मे 2 gm यवक्षार मिलाकर गोमूत्र पान करना चाहिए|अन्न खाना बंद करदे| फल तथा सब्जियों का रस पिलाए, दूध भी ले सकते है|
7. खाज-खुजली-
♥खुजली, एग्जिमा , सफेद दाग, कुष्ट रोग, दोनों टाइम गोमूत्र पिलाए| गिलोय के रस मे गोमूत्र मिलाकर पिलाने से शीघ्र लाभ होता है|चावल मोगरा का तेल गोमूत्र मे मिलाकर स्किन पर मालिश करे|
8. हृदय रोग-
♥गोमूत्र पीने से खून मे थक्के नहीं जमते| high और low blood pressure मे गोमूत्र का लेक्टोज असर करता है| हृदय रोग मे गोमूत्र अच्छा टॉनिक है| यह शिराओ और धमनियों मे कोलेस्ट्रॉल जमने नहीं देता है| 10 gm अर्जुन छाल का चूर्ण गोमूत्र मे मिलाकर पिलाए| अर्जुन छाल की चाय बनाकर पिलाने से भी बहुत लाभ होता है| मिठास के लिए चीनी क जगह किसमिश,खजूर,सेब का रस उपयोग मे ले|
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9. हाथीपाव(फिलपांव)-
♥100 gm गोमूत्र मे हल्दी पाउडर 5 gm ,शहद अथवा पुराना गुड मिलाकर पिलाए| फाइलेरिया मे अंडकोश , हाथ की नशों मे सूजन आ जाती है| सुबह सायं दोनों टाइम नित्यानंदरस दो दो गोली गर्म पानी से खिलाकर आधा घंटा के बाद गोमूत्र पिलाए|कब्ज मे एरंड का तेल मिलकर गोमूत्र पिलाए| चाय, काफी,नोनवेग तथा धूम्रपान बंद कर दे|
10. किडनी रोग-
♥किडनी मानव के रक्त से अशुद्धियों को छानकर मूत्र द्वारा शरीर का विष निकालती है |किडनी फेल होने पर इसका प्रत्यारोपण होता है| डायलिसिस एक महंगा इलाज है| जिनका किडनी कमजोर हो, रात मे बार बार पेशाब लगे, पोस्टेट ग्रन्थि बढ़ गई हो, उन्हे नियमित गोमूत्र पीना चाहिए|
गोमूत्र से बढ़कर कोई औषधि नहीं है| बाल्यावस्था से वृद्धावस्था तक बिना किस रोग के गोमूत्र पिना स्वास्थ रहने के लिए सर्वोउतम है| गोमूत्र पीने के बाद तुरंत पानी पीने से गला मीठा हो जाता है|
ये थे कुछ पंचगव्य के उपयोग से रोग का निवारण |