Aarogya Anka

स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

अंजीर के द्वारा कुछ रोगों का इलाज(Treatment of some disease through Anjir)-

Anjir

अंजीर-

→अंजीर(Anjir) 2 प्रकार का होता है|एक बोया हुआ , जिसके फल और पत्ते बड़े होते है और दूसरा जंगली,जिसके फल और पत्ते इससे छोटे होते है|यह वृक्ष 8 से 9 फुट तक उचा होता है| तोड़ने से या चिरा देने से इसके हर एक अंग से दूध निकलता है| इसके पत्ते ऊपर की ओर से अधिक खुरदरे होते है|और फल का आकार प्रायः गूलर के फल के समान होता है|कच्चे फल का रंग हरा एवं पक्के फल का रंग पीला या बेंगनी और अंदर से बहुत लाल होता है , यह फल मीठा और स्वादिष्ट होता है|

अंजीर अत्यंत शीतल,तत्काल रक्तपितनाशक,सिर और खून की बीमारी मे तथा कुष्ट और नकसीर मे लाभकारी होता है|

उपयोगिता(utility)-

1. रुधिर का जमाव- अंजीर के लकड़ी के राख को पानी  के अंदर घोलकर बर्तन मे उसका गाद नीचे बैठ जाने क्व बाद उसका निथरा हुआ पानी निकालकर उसमे फिर वही राख घोल देना चाहिए, ऐसा 7 बार करके राख घोल-घोलकर निथरा हुआ पानी पिलाने से रुधिर का जमाव बिखर जाता है|

2. श्वास– अंजीर और गोरख इमली का चूर्ण समान भाग मे लेकर प्रातः काल 6 मटर की दाने के समान (मटर के जितना साइज़)खुराक मे खाने से दमे के रोग मे लाभ मिलता है|

3. बवासीर– 2 सूखे अंजीर को सायं को पानी मे भिगोना और सुबह उसे खा लेना चाहिए , इसी प्रकार सुबह  को भिगाया हुआ अंजीर सायं को खा लेना चाहिए| इसी प्रकार 6/9 अंजीर रोज खाने से खूनी बवासीर मे अंदर तक लाभ होता है|

4. श्वेत कुष्ठ( white leprosy)– सफेद कोढ़ मे शुरुआत से ही अंजीर के पत्तों का रस लगाने से उसका बढ़ना बंद होकर आराम होने लगता है|

5. गांठ और फोड़े- सूखे या हरे अंजीर को पीसकर तथा जल मे औट कर गुनगुना लेप करने से गाठों तथा फोड़ो की सूजन कम हो जाती है|

6. पौरुष शक्तिवर्धक( virility enhancer)– दो सेर सूखे अंजीर लेकर गर्म पानी से 2 या 3 बार धोकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लेना चाहिए, फिर बदामकी मगज एक सेर लेकर ऊपर छिलका उतार कर उसके भी बारीक टुकड़े कर लेने क बाद एक कलई दर कढ़ाई मे अंजीर और बादाम मगज के टुकड़े डालकर उस मे 4 सेर शक्कर तथा 2.5 तोला, केशर-1 तोला , चिरोंजी-10 तोला, पिस्ते -10 तोले , सफेद मूसली-4 तोला, अभ्रक भस्म-1.5 तोला,प्रवाल भस्म-2.5 तोला, मुगलई बेदाना-2 तोला,शीतल चीनी-1.5 तोला- इन सब चीजों को कूटकर के थोड़ी देर तक उसे अग्निपर चढ़ा दे , जब घी अच्छी तरह से पिघल जाय और वे सभी छीजे मिल जाय तब उसे उतारकर चीनी की बार्निया मे भर देना चाहिए| इस औषधि को अपनी प्रकृति के अनुसार दोनों समय खाने से खून और त्वचा की गर्मी, पितविकार, रक्तविकार, कब्जियत ,बवासीर और अनेक प्रकार वीर्य-दोष नष्ट हो जाते है|यह औषधि जीवन-शक्तिवर्धक और अत्यंत पौस्टिक है|

                                                                                     अंजीर की जड़ पोस्टिक है तथा श्वेत कुष्ठ और दाद पर उपयोगी है| इसका फल मीठा , ज्वरनाशक, रेचक , विष नाशक, सूजन मे लाभदायक, अश्मरी को दूर करनेवाला और कमजोरी, लकवा, प्यास,यकृत,तथा तिल्ली की बीमारी और सीने के दर्द को दूर करता है| कच्चा अंजीर क्रांतिकारी और सुखा अंजीर शीतोत्पादक है|जलके अंश की कमी के कारण यह पहले दर्जे का गर्म है| इससे पतला खून उत्पन्न होता है|यह पसीना लनेवाला तथा गर्मी को शांत करने वाला है|

                                                                                     भुने हुए अंजीर का पुलिस्ट सांघातिक फोड़े, बलतोड़,तथा मसूड़े के ऊपर के फोड़े पर बांधा जाता है|सूखे हुए अंजीर का पुलिस्ट दूध के साथ मे पिबदार जख्म और नासूर की दुर्गंध को दूर करने के काम मे लिया जाता है| बड़े सबेरे खाली पेट इसको खाने से अन्नप्राणाली को यह आश्चर्यजनक लाभ दिखाता है| अंजीर बादाम और पिस्ते के साथ खाने से बुद्धिवर्धक, अखरोट के साथ खाने से उतेजक तथा बादाम के साथ खाने से विष को दूर करने का  काम करता है|

अंजीर पुरानी खासी मे लाभ पहुचाता है|क्योंकि यह खासी केवल बलगम से ही पैदा होती है|इसका दूध तीक्ष्णता के कारण रेचक है|

                                                                                      पथ्यरूप से अंजीर बहुत शीघ्र पच जाने वाला और औषधि रूप मे उपयोग करने पर किडनी और वस्तिसम्बंधी पथरियों को तथा यकृत और प्लीहा के रोगों को दूर करने वाला है|गठिया और बवासीर मे यह लाभकारी है|

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