शीशा निगलना/चोट,खून बहना एवं हड्डी टूटना का उपचार-
1. शीशा निगलना-
प्रायः बच्चों को कोई भी वस्तु मुंह मे दल लेने की आदत होती है|मुंह मे डालने पर कभी-कभी अचानक वह वस्तु पेट क अंदर चली जाती है|निगली हुई यह वस्तु कांच के बड़े या छोटे टुकड़ों के रूप मे , लोहे की नुकीली कील या ऐसी ही कोई हानिप्रद वस्तु हो सकती है|कभी-कभी कांच के पीस चुरा खा लेने की भी घटना हो जाती है|कांच पेट मे जाकर आमाशय तथा आंतों के दीवारों को काट देता है, जिससे गंभीर स्तिथि उत्पन्न हो जाती है|
उपयोग-
- शीशा आदि नुकीली वस्तु या शीशा की चुरा निगले जाने की स्तिथि मे ब्रेड के बीच मे मक्खन और रुई की तह बिछाकर खिला दे|यह रुई पेट मे जाकर शीशे के टुकड़े के चारों ओर लिपट जाएगी, जिससे आंतों के कटने का डर कम हो जाएगा|
- शीशा निगले हुए रोगी को पका केला ,खिचड़ी, दलीया , साबूदाना, आलू आदि अधिक से अधिक खिलाए|रेडी(cestraloil) पिलाए या मैगसल्फ पानी मे घोलकर पिलाए|मल के साथ कांच बाहर आ जाएगा|
- घी हल्का गर्म करके पिलाए|जुलाब आदि देकर वह हर संभव उपाय करे जिससे वमन या दस्त हो जाए|
2. चोट, खून बहना एवं हड्डी टूटना-
हमारे शिरीर मे रक्त संचालन करने वाली नसों का जाल-सा बिछा हुआ है|ये नसे तीन प्रकार की है- धमनी, शिरा और महीन कोशिकाए | धमनी का कार्य पूरे शरीर मे शुद्ध रक्त की आपूर्ति करना तथा शिरा का कार्य शरीर से अशुद्ध रक्त इकट्ठा करके हृदय मे वापस शुद्ध करने हेतु भेजना है|कोशिकाए बारीक धागे जैसी होती है|
ये शिर और धमनी से संबंध होती है|और त्वचातमक इनका प्रसार होता है|चोट लग जाने पर धमकी का रक्त शरीर के बाहर उछल -उछलकर निकलता है|इसका रंग सुर्ख चमकीला लाल होता है|शिर का रक्त गहरे रंग का होता है और समान रूप से बाहर निकलता है|कोशिकाओ का रक्त छोटी-छोटी बूंदों के रूप मे धीरे-धीरे निकलता है|
- दुर्घटना मे चोट लगने पर यदि धमनी का रक्त रहा हो तो घायल अंगों को ऊपर करके रखना चाहिये| यदि शिरा से रक्त निकाल रहा हो तो उसस अंग को नीचे करके रखे | इससे खून निकलना जल्दी बंद हो जाएगा|
- घाव को ठंढे पानी से धोकर उसपर बर्फ रखे और ठंढे पानी मे भीगे कपड़े की पत्ती बांधे |इससे खून बहना जल्दी बंद हो जाएगा|
- चोट के समीप ऊपर की ओर से दबाब रखने पर रक्त की कम मात्रा निकलेगी|पट्टी बांधने तक चोट को दबाकर खून को बंद करने का प्रयास करे|
- सामान्य कोशिकाओ से खून बह रहा हो तो उंगली से कुछ देर तक दबाकर रखे और detol या antibiotic घोल से साफ करके उसपर फिटकरी रखकर हल्की पट्टी बाँध दे|सामान्य चोट पर फिटकरी छिड़क कर पट्टी बांध देने से खून रुक जाता है|
- यदि नाक से खून बह रहा हो तो स्वच्छ हवादार स्थान मे रोगी को बैठा दे | सिर को पीछे की ओर लटकाकर रखे|हाथों को ऊपर की ओर कर दे|गले और वक्ष स्थल के कपड़ों को ढीला कर दे|नाक और गर्दन पर बर्फ का ठंढा पानी रखे| मुह को खुला रखकर श्वास ले और पैरों को गर्म पानी मे रख दे|नाक का खून तुरंत ही रुक जाएगा|
प्रायः दुर्घटनाओ मे अत्यधिक चोट लग जाने से खून अधिक बहने के साथ ही कभी-कभी हड्डी भी टूट जाया करती है| टूटी हड्डी के संदर्भ मे कोशिस यह करना चाहिए की बिना छेद-छड़ किए जल्दी से अस्पताल ले जाए|हिलने- डुलने से अधिक हानी पहुच सकती है|कभी-कभी टूटी हड्डी मांस को फाड़कर बाहर निकाल जाती है|
ऐसी स्तिथि मे अत्यंत सावधानी रखने की जरूरत पड़ती है|हड्डी टूटने की पहचान यह है की टूटे स्थान मे दर्द होता है|वह अंग वेकबू हो जाता है|टेड़ा, लंबा या छोटा हो सकता है|भित्री रक्तस्त्राव एवं मांशपेशिओ के सिकुड़ने से सूजन आ जाती है|हड्डी टूटने पर x- rey करके ही सही स्तिथि का आकलन कर प्लास्टर आदि करना पड़ता है|हड्डी टूटने की स्तिथि मे उपचार इस प्रकार करना चाहिए-
- यदि जांघ, पैर या हाथ की हड्डी टूटी हो तो बिना हिलाए-डुलाए टूटे अंग पर स्केल या लकड़ी की खपच्ची दोनों ओर रखकर बाँध दे और निकलवर्ती चिकित्सालय ले जाने की व्यवस्था करे|रक्त निकाल रहा हो तो उसे रोकने का प्रयास करना चाहिए|
- हड्डी का शिर टूटकर बाहर निकाल गया हो तो ऐसी स्तिथि मे बीना हिलाए-डुलाए रखे और डॉक्टर को बुलाए|
- सिर की हड्डी टूट गई हो तो सिर ऊंचा करके लिटा दे , घाव पोंछकर हल्की पट्टी बाँध दे|सीने और गर्दन कर वस्त्र ढीले कर दे|उसे शांत और गर्म रखने का प्रयास करे|तथा रोगी को सन्तवना दे|
- यदि रीड या कमर की हड्डी टूटी हो तो पड़ा ही रहने दे|डॉक्टर को बुलाए नहीं तो अधिक हानी पहुच सकती है|