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स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

रैबीज(rabies) क्या है? लक्षण और उपचार-

1. rabies(रैबीज)क्या है?

रैबीज(Rabies)-

यह वायरस से होने वाला तेजी से फैलने वाला रोग है|जो पागल कुठे,बिल्ली,सियार, बंदर आदि के काटने से हो जाता है|वायु और कफ के विकृत हो जाने से इन जानवरों के धातुओ मे क्षोभ उत्पन्न हो जाता है|हाईड्रोरोफोबिया से पीड़ित कुत्ते के काटने से मनुष्य मे इसका वायरस लार के द्वारा संक्रमित हो जाता है|लारयुक्त मामूली खरोंच से भी वायरस का संक्रमण हो सकता है|यह तक की अगर पागल कुत्ते ने चाट लिया तो भी सावधानी के लिए उपचार आवश्यक है|इसका विष तेजी से शरीर मे फैलता है|काटने के एक वर्ष बाद तक भी रोग की उत्पति हो सकती है|

पागल कुत्ते की पहचान यह है की उसकी पुंछ,कंधे और जबड़े ढीले पड़कर लटक जाते है|लार निकलती रहती है|वह मुह एक ओर को टेड़ा करके लटकाए रहता है|जो भी सामने आता है उसे काटने दाड़ता है|एक-दो दिन के बाद पिछले पैरों मे पक्षाघात हो जाता है|बाद मे गले आदि मे पक्षाघात होता है|और 6-8 दिन मे वह मर जाता है|पागल कुत्ते को देखकर अन्य कुत्ते भोंकते है|तथा उससे दूर रहते है|

पागल कुत्ते से काटे गए व्यक्ति की केवल प्रतिसेधक चिकित्सा ही होती है|लक्षण प्रकट होने के 2-5 दिन के भीतर मृत्यु भी हो जाती है| 

rabies(रैबीज)

लक्षण(Symptom)-

  • यदि पागल कुठे ने कभी काटा हो और रैबीज वैक्सीन का इन्जेक्शन न लगाया गया हो तो कुछ समय बाद जलसंत्रासका का रोग आरंभ हो जाता है|
  • घाव मे दर्द एवं जलन होता है|काटा हुआ स्थान सुन्न सा हो जाता है|खुजली होती है तथा छाले पड़ जाते है|घाव मे से गहरे रंग का खून निकलते है|
  • बेचैनी,चिंता तथा उतेजना होने लगती है|
  • रोगी की प्रवृति संघर्पूर्ण तथा आक्रामक हो जाती है और वह अभद्र व्यवहार करने लग जाता है|
  • पानी देखते ही डर लगता है यह एक बड़ा लक्षण है|
  • निगलने मे कठिनाई होती है, लार बाहर गिरने लग जाता है|
  • सिर दर्द होता है , नाड़ी की गति तेज हो जाती है|भूख मर जाती है|
  • मुख, गले, कंठ की मांसपेशिओ मे स्तम्भ उत्पन्न हो जाता है| पानी गले से नीचे नहीं उतरता है|
  • मस्तिष्क और सुषुम्णा मे इतनी असहनशीलता हो जाती है की हवा के हल्के झोंके से भी दौरे पड़ने लगते है|
  • श्वास गती तेज हो जाती है , आवाज भद्दी और भूकने जैसे हो जाती है|
  • ज्वर हो जाता है शरीर मे आक्षेप आने लगते है|क्रमशः आपेक्ष का दौरा जल्दी-जल्दी पड़ने लगते है|
  • पेशिओ मे जड़ता,गतिरहित्य , दौरे पड़ना, धुंधला दिखाई पड़ना- ये लक्षण उत्पन्न होने पर बचना मुश्किल सा हो जाता है|    ये थे rabies (रैबीज) के कुछ लक्षण|

उपचार(Treatment)-

  1. कुत्ते के काटने पर उसे मारना नहीं चाहिये|यह निश्चय करना आवश्यक है की वह पागल है अथवा नहीं, इसलिए उसका निरीक्षण करता रहे| पागल कूता 10 दिन मे स्वयं मर जाता है|
  2. कटे स्थान पर तत्काल ऊपर की ओर रस्सी से कसकर बांधे|
  3. घाव को अच्छी तरह पानी से धोकर चिरा लगाए तथा पोटाइसियम परमैगनेट(लाल दवा) भर दे|
  4. जितनी जल्दी हो सके रैबीज का इन्जेक्शन ( एंटिरैबिक सीरम ) लगवा लेना चाहिए|साथ ही टिटनेस का भी इन्जेक्शन लगवाए, चाहे कुता पागल है अथवा नहीं|
  5. बंदर आदि के काटने पर भी यही करे|रोग की उत्पत्ति हो जाने पर बचाव मुश्किल हो जाता है|अतः चाहे घाव गहरा हो या नहीं, सुरक्षात्मक उपचार के रूप मेrabies( रैबीज) का इन्जेक्शन अवश्य लगवाना चाहिए| 

rabies(रैबीज) के असर खत्म होने का लक्षण-

वैसे rabies (रैबीज) से संक्रमित जानवरों के काटने के बाद 23 दिन तक rabies(रैबीज) का लक्षण नहीं दिखता मगर जब दिखता है तो फिर प्रामाणिक तौर पर इसका कोई इलाज नहीं होता | लेकिन क्योंकि दुनिया गोल है यहां तरह तरह के लोग हमेशा अजीबोगरीब कारनामे करते रहते हैं दुनिया में असंभव नाम का कोई चीज नहीं होता बस मेहनत करके उसको ढूंढना पड़ता है | ऐसे ही हमारे गुरुजी ने भी अपने जीवन में काफी कुछ मेहनत करके जड़ी बूटियों का खोज करके रेबीज का सफल चिकित्सा ढूंढ निकाला है हालांकि सभी रोगी के ऊपर यह दवाई काम कर पाएगा ऐसा तो हम नहीं कह सकते काफी हद तक इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया है।

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