1. जुकाम(cold)-
जुकाम से बार-बार आक्रांत होने की व्याधि असंख्यों नर-नारियों मर पाई जाती है| इसका कारण है आहार-विहार का प्रदूषण, भोजन मे अम्ल और मधुर रसों का अतिसेवन| खट्टे, नमकीन, चटपटे, गुड़ , बुरा, अन्यान्य मिठाईया एवं फास्ट फूड्स के ज्यादा सेवन से रस धातु दूषित हो जाती है|उपद्रव्य स्वरूप स्ट्रोफिलिया, एलर्जी एवं ब्रान्कीयल अस्थमा- यक्ष्मा मे परिणत होती है| इससे स्थायी रूप से छुटकारा पाने के लिए अबतक कोई चिकित्सा नहीं है|यह एक important ayurvedic herbs के बारे मे दिया जा रहा है इससे जरूर लाभ होगा-
रसमणिक्य 2 gm , महालक्ष्मी विलास 5 gm , अभ्रकभस्म सहस्त्रपुटित 2 गम्, लघु वसंत मालती 5 gm , बृहत शृंगराभरस 10 gm , प्रवालपिष्टी 10 gm , तालीसादी चूर्ण 40 gm , पुष्कर मूल चुरण 0 gm.
इन समस्त औषधियों को खरल कर चलिश पुड़िया बना ले|1-1 पुड़िया सुबह-शाम मधू से ले| दशमुलारिष्ट और दाक्षारिष्ट 2-2 चम्मच दूना जल मिलाकर खाने के बाद ले| अगस्त्य हरीतकी 1 चम्मच रात को 1 ग्लास उष्ण जल से लेने के बाद आधा kg गाय की दूध 2 बड़ी पीपर उबालकर पिए| पित प्रकृति हो या उष्णता अधिक प्रतीत हो तो एक छोटी पीपर उबालकर पिए| आवश्यकतानुसार 2-4 महीने तक ईसंके सेवन से जीवनभर के लिए जुकाम(cold ) से निर्वित हो जाती है|
2. रक्तचाप की वृद्धि(blood pressure)-
यदि आप high blood pressure के रोगी है एवं नियमित रूप से एलोपैथी दवाये लेनी पड़ती है तो साथ मे निम्न प्रयोग भी करे| स्थायी रूप से high blood pressure से मुक्ति प लेंगे-
जटा मांसी 300 gm लेकर उसमे 30 हिस्से करे|रात को 10 gm जटामांसी 100 gm पानी मे भिगो दे| सुबह मसलकर छान ले और 2 चम्मच शहद मिलाकर पिए|7 दिन के सेवन द्वारा पूर्ण रोग से छुटकारा मिल जाएगा|
3. पेट के रोगों के लिए 2 योग(stomach problem)-
- वर्तमान युग मे पेट के रोगों की बहुताय है| इसमे जीर्ण प्रवाहिका के रोगियों की संख्या तो विश्व मे करोड़ों मे है| इस व्याधि के निवारनार्थ एक सिद्ध प्रयोग दिया जा रहा है- सत ईसबगोल 3 gm , जीरा सफेद 1 gm ,इलाईची खुर्द आधा gm , इन्द्र जौ कड़वी 2 रती , कूड़ासन 1 gm , सुबह-शाम पानी से ले|पेट मे वायु अधिक हो तो 4-4 रती मस्तंगी मिला दे|
- पेट की गैस– कलई का बढ़िया सूखा चुना लेकर ग्वारपाठे के रस मे घोंटकर 2-2 रती की गोली बनाकर छाया मे सूखा ले|2-2 गोली दिन मे 2 या 3 बार ले|सधारण दिखने वाला यह प्रयोग गुण मे अद्वितीय है| ये थे कुछ ayurvedic herbs.
4. शय्या- मूत्र-
अनेक लोगों को और प्रायः बच्चों को शय्या- मूत्र की आदत पड जाती है| रात को उरद की खड़ी दाल एक मुट्ठी पानी मे भिगोकर रख दे|सुबह पानी निकालकर थोड़ी शक्कर दाल दे| इसे चबा-चबाकर खाए|इससे 1 महीने मे रोग से छुटकारा मिल जाएगा|
5. पेशाब रुकनेपर( Urinary incontinence)-
गर्मी के तीव्र आघात से मूत्रावरोध हो जाता है| इसके लिए शीशम की पती 50 gm , सांभर नमक 10 gm , दोनों को पियकर पेडू पर लेप करने से 10-20 मीन मे पेशाब हो जायगा|
ये important ayurvedic herbs की अवश्य लाभ उठाये| जरूरत के अनुसार|