1. fever (बुखार)-
सिंधुवार की जड़ हाथ मे बांधने से बुखार(fever) उतर जाता है|
2. त्रिफला का उपयोग( uses of triphala)-
50 gm त्रिफला(triphala) ( आंवला,हर्रे , बहेड़ा)- का चूर्ण, शहद और तिल के तेल मे मिलाकर चाटने से खाँसी, दमा, बुखार, धातुक्षीणता , पेट के समस्त रोग जड़ से समाप्त हो जाते है|सुजाक, बवासीर मे पूरा आराम मिलता है| स्त्रियों का प्रदर रोग, प्रसूत तथा मासिक की गड़बड़ी जड़ से चली जाती है| त्रिफला के बारे मे ऋषियों ने यह तक कहा है की सुबह-शाम सेवन करने से शरीर का कायापलट जाता है|
3. खाँसी-सर्दी(cough -cold)-
बाक्स(अड़ूसा)- का रस 11 gm 664 ml , शहद 11 gm 664 ml के साथ सेवन करे तो यह खाँसी, सर्दी,(cough -cold ), पुराने बुखार आदि को जड़ से खत्म कर देता है|
4. आँख की फुली, धुंधलापन(swelling, burning of the eye)-
गदहपुरना का रस आँख मे डालने से आँख की फुली( eye swelling ), माणी , धुंधलापन(burning ) आदि रोग दूर हो जाते है|
5. गर्भ न गिरना(do not fall the womb)-
अशोक के बीज का एक दाना लेकर सिलपर घिसकर बछड़ेवाली गाय के दूध मे मिलाकर स्त्री को देने से गर्भपात रुक जाता है, पुत्रवती हो जाती है|
6. स्त्री का गर्भ न टिकता हो(the woman pregnancy does not last)-
आम के वृक्ष का अंदर का छाल गाय के घी मे पुराना गुड़ तथा एक फूल लौंग गर्भवती स्त्री को खिला देने से गर्भ धारण हो जाएगा| ये बहुत ही effective home remedies है|
7. दर्द( pain )-
सहिजन के जड़ की छाल को बिना पानी के पीसकर दर्द मे लगाने से शीघ्र लाभ होता है|
8. फाइलेरिया(filaria)हाथी-पाँव)-
फाइलेरिया के रोगी को जब दर्द हो, ज्यादे सूजन हो जाय तो सहिजन और सिंधुवार( सेंधाकचरी) – के पत्तों को किसी कच्चे मिट्टी के बर्तन मे गर्म करे, जब गर्म हो जाय तो जहा पर फाइलेरिया हो वहा बांधने से तुरंत आराम हो जाता है| यह बहुत Efffective home remedies है|
9. टूटी हुई हड्डी को जोड़ना, गुप्त चोट मे आराम(connecting a broken bone , relief in secret injury )-
- नागफनी का एक पूरा टुकड़ा आग मे डाल दे, भून जाने पर कांटे छील डाले और बीच मे फाड़ कर अबाहलदी , खारी, सेंधा नमक का चूर्ण छान कर उसे दे और चोट पर बांध दे|24 घंटे के बाद खोले, उसी तरह फिर तैयार कर बांधे| 7 दिन मे टूटी हड्डी जुड़ जायगी|
- हड़जोड़ जो पेड़ों पर पलता है बिना जड़के, कही-कही इसे चौराहाजी कहते है|अगर महुआ के पेड़ पर का मिल जाय तो अति उत्तम, न मिले तो कही किसी पेड़ पर हो, उसे पीसकर शुद्ध घी मे भून ले और अबाहलदी , खारी, सेंधा नमक का चूर्ण मिलकर बांधने तथा हड़जोड़ की पकौड़ी(माजिये ) सेवन करने से टूटी हड्डी तथा गुप्त चोट( connecting a broken bone, relief in secret injury) ठीक होती है|
10. दाँत रोग तथा दर्द( tooth diseases and pain )-
- मदार(आक) या थूहर के दूध को रुई मे भिंगोकर दांतों के घाव पर रखने से दाँत का दर्द (tooth pain )और घाव भी भर जाता है|
- गुलाईची वृक्ष का या छितवन का दूध रुई मे रखकर दांतों पर रखने से दाँत का दर्द चला जाता है|
11. दाँतमंजन(toothpest )-
बादाम के छिलके तथा नीम के डाल का कोयले बना ले| डंबर का बीज, बबूल की छाल, काली मिर्च, सफेद इलाईची, चूल्हे की मिट्टी तथा लाहोरी नमक- इन्हे समान भाग मे लेकर कूट-छानकर रोज मंजन करे| यह पायरिया तथा हिलते दांतों को मजबूत तथा साफ रखता है| ये बहुत ही effective home remedies है|
12. पायरिया एवं दाँत हिलना(pyuria , moving teeth)-
तूतिया और फिटकरी 1 kg पानी मे पकाये| जब एक भाग जल जाय और तीन भाग बच जाय तो शीशी मे रख ले, रोज थोड़े गर्म करके कुल्ला करे तो pyuria ठीक हो जायगा|
13. कान का दर्द तथा बहना(earache and ear discharge)-
नीम की मुलायम पत्ती का रस तथा इसके बराबर शहद मिलाकर कान मे डालने से earache and ear discharge तथा बहरापन दूर हो जाता है| नीम के पत्ती का रस हथेली द्वारा निकलना चाहिए|
14. खाज, गजकर्ण, अपरस, खुजली का मरहम(itching)-
अकवन का दूध, नीला थोथा का दूध, गंधक, फिटकरी, सोहागा, नौसादर- प्रत्येक वस्तु को 11 gm 664 ml लेकर लोहे के बर्तन मे खरल कर खूब बारीक मरहम जैसे बना ले| घाव को नीम के पत्ते सहित पानी से अच्छी तरह साफ कर ले|जब घाव का पानी सुख जाय तो मरहम को नारियल के तेल मे मिलाकर लगाए| ये effective home remedies जरूर लाभकारी होगा|
15. श्वेत कुष्ठ( सफेद कोढ़)(white leprosy)-
तिल के तेल मे नौसादर मिलाकर लगाने से सफेद कोढ़( white leprosy) के दाग मीट जाते है|
16. तेज ज्वर(high fever)-
- काली मिट्टी की पट्टी पेट पर लगाने से आधे घंटे मे high fever शांत हो जायगा|
- तेज ज्वर मे ठंडे पानी से सिर धोए या ठंडे पानी मे कपड़ा भिगोकर सर पे रखने से ज्वर कम हो जाता है|
17. दमा या श्वास रोग(Asthma)-
- आम के कच्चे पत्तों को सुखाकर चिलम मे भरकर पीने से दमा(asthma) रोग नष्ट हो जाता है|
- बेर के पत्तों को पीसकर घी मे भूनकर तथा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा रोगी को आराम मिलता है|
- अजवाइन को पान मे डालकर चूसने से खाँसी तथा श्वासरोग नष्ट हो जाते है|
- मदार के 4-5 पत्तों को आग मे रख करके उस राख को रात भर पानी मे रहने दे| सुबह छानकर पीने से श्वासरोग हमेशा के लिए नष्ट हो जाता है|