Aarogya Anka

स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

Emergency Treatment(आकस्मिक चिकित्सा)-

emergency treatment-

कभी-कभी अनायास ऐसी घटना हो जाती है, जो व्यक्ति को क्षणभर मे मृत्यु के कगार पर पहुच देती है| उस समय तत्काल आवश्यक उपचार की आवश्यकता पड़ती है, जिससे वह व्यक्ति मृत्यु के मुख से निकालकर स्थायी उपचार योग्य बन सके, यहा हम इसी तरह कुछ emergency treatment के बारे मे बताए है-

1. पानी मे डुबना-

emergency treatment

पानी मे डूब जाना एक समान्य दुर्घटना है| पानी मे डूबा व्यक्ति बचने के लिए हाथ-पैर फेंकता है, छटपटाता है जिससे नाक और मुह के द्वारा पेट मे पानी भर जाता है|पानी भर जाने से श्वास रुक जाती है और बेहोशी आ जाने के कारण मृत्यु हो जाती है|

 पहला उपचार-

  1. डूबे व्यक्ति को सुरक्षित ढंग से पानी से बाहर निकालकर उसके पेट के अंदर भरा हुआ पानी को निकालने का कोशिस करना चाहिए|नाक मे कीचड़ आदि लगा हो तो उसे कपड़े से साफ कर दे| दांतों के बीच कोई कड़ी वस्तु फसा दे ताकि दाँत-पर-दाँत बैठकर मुह न बंद हो जाए|रोगी को पेट के बल लेटाकर उसके कमर के नीचे दोनों हाथ डालकर बार-बार ऊपर उठाये|इससे फेफड़ों मे फसा पानी बाहर निकाल आएगा| डूबे व्यक्ति को पेट के बल अपने सिर पर रख कर एक ही स्थान पर गोलाई मे घूमने से पेट मे गया पानी निकाल आएगा|
  2. देखे श्वास ठीक से चल रही है की नहीं| नाड़ी की गति है की नहीं , हृदय धडक रहा है की नहीं |श्वास रुक-रुक कर चल रही हो तो सुँघनी आदि कोई ऐसी वस्तु सुँघाए की छींक आ जाए|चुने मे नौसादर मिलाकर सूंघा सकते है|छींक आने से श्वास ठीक से चलने लगेगी|सीने को बार-बार दबाए एवं छोड़े| पेट के बल उलट लेटाकर पेट के नीचे गोल तकिया रख दे|पीठ को लगातार दबाए तथा छोड़े|इससे फेफड़े की हवा बाहर निकलेगी|छोड़ने पर हवा भीतर जाएगी| यदि इससे भी पूरी तरह से श्वास न चले तो मुंह-मे-मुंह लगाकर कृत्रिम श्वास देकर श्वास चलाने की प्रयास करे|पानी मे डूबे व्यक्ति का यह उपचार तभी सार्थक होता है जबकि डूबे व्यक्ति के बाहर निकलने पर उसका शरीर गरम हो , और हाथ-पैर सिथिल न पड़ गए हो|सफलता के signal न दिखाई पड़ने पर नजदीकी hospital मे रोगी को पहुचाए|

2. आग से जलना-

प्रायः लोग चूल्हा, स्टोव या गैस जलाते समय अग्नि की चपेट मे आ जाते है| असावधानीवश कपड़े को अग्नि पकड़ लेती है| कोई जलकर आत्महत्या की चेष्टा करते है|कभी-कभी मकान आदि के जल जाने पर लोग आग की चपेट मे आ जाते है| यह एक संकटकालीन अवस्था होती है| जले व्यक्ति को बचाने के लिए पहले उपचार क्या करना चाहिए, इसकी जानकारी अछि तरह से होन आवश्यक है-

  1. आग की लपेट मे आ जानेपर दौड़ना-भागना नहीं चाहिए| आग से सुरक्षित स्थान पर लेटकर इधर-उधर लुड़कना चाहिए| इससे आग जल्दी बुझ जाती है|जलते हुए कपड़ों को बड़ी सावधानी से ब्लेड या चाकू से कपड़े को काटकर अलग कर देना चाहिए|
  2. जलते हुए व्यक्ति पर मिट्टी, कंबल आदि डालकर आज बुझाने का प्रयास करना चाहिए|कंबल से इस प्रकार ढाक दे की हवा बंद हो जाए|इससे आग तुरंत बुझ जाएगी|कंबल आदि डालकर आग बुझाने से घाव की गहराई बढ़ जाती है और त्वचा काफी अंदर तक झुलस जाती है|पानी डालकर बुझाने से छाले पड जाते है|पर घाव गहरे नहीं होते है|यथाशीघ्र जो भी साधन उपलब्द हो उससे आग बुझाना चाहिए|
  3. जले हुए स्थानपर नारियल का तेल लगाना चाहिए| यदि गर्म घी तेल आदि गिरने से छाले पड़ गए हो तो यह उपचार प्रायप्त है|
  4. यदि शरीर का अधिक भाग झुलस गया हो तो चिकित्सालय मे रोगी को ले जाना चाहिए|शरीर के अधिक भाग जल गया हो तो व्यक्ति के बचने की संभावना कम होती है|
  5. जले हुए स्थान को हल्के हल्के रुई से साफ करके नारियल या जैतून तेल आदि लगाना चाहिए|संक्रमण आदि से बचाने के लिए जीवाणु नाशक घोल-जैसे सोडा-बाई-कार्ब  के घोल से धोना उचित है|मलहम लगाने से घाव देरी से भरते है|
  6. खुले घाव मे रुई चिपक जाती है| चिपकने पर उसे छुड़ाने की चेष्टा न करे, क्योंकि ऐसा करने से घाव बढ़ जाएगा|
  7. घाव को सदैव ढक कर रखे|जिससे मच्छर, मक्खी आदि के बैठने से संक्रमण न हो|
  8. छाले को फोड़े नहीं|इसपर तीसी या नारियल का तेल अथवा मक्खन लगाए|भूलकर भी मिट्टी की तेल, पेट्रोल या स्प्रिट न लगावे|
  9. यदि छोटा बच्चा गलती से आग से झुलस जाए तो जले हुए हिस्से को पानी मे तबटक डुबाए रखे जब तक जलन शांत न हो जाए|असली शहद का लेप करने से भी जलन शांत हो जाएगा|
  10. रोगी को मुलायम आरामदायक बिस्तर पर लेटाए तथा प्रयप्त मात्रा मे जल पिलाते रहे|पौष्टिक आहार दे तथा मानसिक रूप से तसल्ली देते रहे |वह जल्द ठीक हो जाएगा|शरीर मे जल का संतुलन बना रहे, इसके लिए ग्लूकोस चढाने की आवश्यकता पड़ सकती है|डॉक्टर का राय लेना भी आवश्यक है|

3. जल जानेपर-

अगर छोटा बच्चा गलती से आग से झुलस जाए तो असली शहद जाली हुई जगह पर लेप कर देने से जलन शांत हो जाती है|

अगर जलने से शरीर कही सफेद हो जाए तो त्रिपला (हरड़,बहेड़ा, आंवला) पानी मे पीसकर उसस जगह पर लगाने से मे कुछ दिनों मे असली रंग आ जाएगा|

जल जाने पर अगर शरीर पर सफद दाग पड़ जाए तो जामुन की पत्तिया उस जगह पर लगाने से दाग मीट जाती है|

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