यह अनुभव किया गया है की घर मे रात-दिन उपयोग मे आनेवाली वस्तुओ से कुछ रोगों का निश्चित रूप से निदान संभव है, अस्तु उनमे से कुछ प्रयोग सभी के लाभ हेतु home remedies के साथ यहाँ प्रस्तुत है|
1. नकसीर-
जिस व्यक्ति को नकसीर की शिकायत रहती हो, उसे प्याज का सेवन निम्न विधि से लगभग 15 दिन तक करना चाहिए| अवश्य ही लाभ होगा|
विधि-
बड़े आकार के नींबू के बराबर का प्याज लेकर उसे रात को आग पर भून ले| इस प्याज को ऊपर छत मे रात भर खुले मे छोड़ दे|सुबह शौच से निवृत होकर खाली पेट इस प्याज को छीलकर खा ले, फिर 1 घंटे तक कुछ न खाए| नकसीर मे अवश्य लाभ होगा| यह प्रयोग 15 दिन तक करे|
2. एग्जीमा-
यह भी एक प्रकार का रोग है, इसके लिए एक बहुत ही अनुभूत home remedies इस प्रकार है-
कुरंज के बीज लगभग 100 gm लेकर इन्हे बकरी के कच्चे दूध मे रात को भिगो दे| दूसरे दिन सुबह बीज धो ले| फिर ताजा कच्चा बकरी का दूध लेकर उसमे ये बीज छीलकर घिस ले|घिसने से चंदन के तरह लेप या मरहम जैसा तैयार हो जाएगा| इस मरहम को तांबे के बर्तन मे रखे| दोनों समय एग्जिमा वाले स्थान पर लगाए| मरहम का रंग नीला होने पर डरे नहीं| मरहम सूखने पर फिरसे नया बना ले|
3. पायरिया, दाँत का दर्द-
पायरिया, दाँत दर्द, मसूड़े से खून आना आदि मे निम्न प्रयोग रामबाण की तरह अचूक है| एकदम बारीक सेंध नमक मे थोड़ी- सी पीसी हल्दी मिलाए| इस मिश्रण को शुद्ध सरसों के तेल मे पेस्ट बना ले| सुबह-शाम इस पेस्ट को मसूड़ों पर हल्की-सी मालिश करे| मालिश 5 min तक करे| इस बीच बनने वाली लार को न निगले न थूके| लगभग 20 min तक मुंह मे रखे, बाद मे थूक दे एवं कुल्ला कर ले| दाँत एवं मसूड़ों मे अवश्य लाभ होगा इस home remedies से|
4. तुलसी के कुछ महत्वपूर्ण प्रयोग-
- तुलसी, काली मिर्च, अदरक और गुड़ का काढ़ा बनाए| इसमे नींबू का रस मिलाकर पीने से मलेरिया बुखार मे आराम होता है|
- सोंठ, तुलसी, मुलहठी, 4-5 लौंग एवं मिश्री का काढ़ा अत्यंत गुणकारी है| सुबह-शाम 7 दिन पीने से खाँसी एवं बुखार मे लाभ होता है|
- तुलसी के रस मे जीरा पीसकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से स्त्रियों को प्रदर रोग मे आराम मिलता है|
- तुलसी की जड़ कमर मे बांधने से प्रसव वेदना कम होती है तथा प्रसूति भी सरलता से होती है|
- तुलसी का पंचांग, केसर, गंगेरन , श्वेत दूर्वा, पुत्रकंदा , शतावर- इन सभी को पीसकर रख ले| स्त्री के रजस्वला होने के बाद इस दिनतक बछड़े वाली गाय के धरोष्ण दूध के साथ इस चूर्ण का सेवन करने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है|
- तुलसी दलों का कुछ दिन तक सेवन करने से मूत्र कृच्छ की बीमारी से लाभ होता है|
- तुलसी के बीज , सुधा मूली, छोटी इलाईची के बीज, मूसली एवं सफेद गोखरू प्रत्येक 5 gm लेकर पीस ले| बराबर शक्कर मिलाकर सुबह-शाम 5 gm दूध से लेने पर धातु की दुर्बलता दूर होती है|
- तुलसी पत्र, कालीमिर्च, सोंठ, मुलहठी बराबर मात्रा मे पीसकर छोटी-छोटी गोलिया बना ले| दिन मे 3-4 बार चूसने से खाँसी मे लाभ होगा|
5. वातरोग-
250 gm पानी मे 1 चम्मच पीसी सोंठ डालकर खूब उबाले| जब पानी लगभग 100 gm रह जाय तब छान ले, इसमे 1 चम्मच अरंडी का तेल डालकर सुबह पी ले| रोग सुबह यह प्रयोग लगभग 2-3 महीने करने पर वातरोगों मे अवश्य लाभ होता है| पेट साफ होने मे यदि परेशानी हो तो रात को दूध के साथ ईसबगोल की भूसी ले| ज्यादा परेशानी हो तो, बीच-बीच मे 2-4 दिन बंद कर सकते है|