Aarogya Anka

स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

migraine(माइग्रेन)/आधासीसी

migraine (माइग्रेन) वर्तमान समय का तेजी से बढ़ता हुआ एक दुखदायी रोग है| आयुर्वेदीय ग्रंथों के अनुसार रूखा भोजन करने से, भोजन-पर-भोजन करने पर, बर्फ-दही आदि शीतल चीजों का ज्यादा सेवन करने से, मल-मूत्र के वेग को रोकने से , बहुत चलने से, ज्यादा कसरत करने पर और अति सहवास से इस रोग की उत्पत्ति होती है| 

इन कर्णो के साथ-साथ मेरे अनुभव से पानी कम पीने से , बस आदि की कष्टदायक यात्रा से, समय से भोजन न करने पर या कच्ची नींद से जागने पर,वंशानुक्रम से या महिलाओ मे महावारी की गड़बड़ी से भी यह रोग होता है| शारीरिक मेहनत और मजदूरी, खेती करने वाले लोगों मे यह रोग कम होता है|लिखा-पढ़ी का अधिक कार्य करने वाले और बुद्धिजीवियों को भी यह रोग हो सकता है| 

migraine(माइग्रेन /आधासीसी) मे वायु प्रधान है| कभी-कभी कफ भी मिला होता है| 25%मामलों मे इस रोग का कारण त्रिदोषज भी होता है| दोषों की जानकारी से इसकी सफल चिकित्सा की जा सकती है| इस रोग का एक विशेष लक्षण है की यदि उलटी हो जाय या आधा-एक घंटा नींद आ जाए तो रोग तत्काल शांत हो जाता है|एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति मे इस रोग मे दर्द को केवल महसूस नहीं होने देने का उपाय है, पर रोग जड़ से नष्ट नहीं हो पाता|

सबसे पहले रोगी से इस संबंध मे पूरी जानकारी लेनी चाहिए| जिस कारण से migraine (माइग्रेन)उत्पन्न हो, उसे दूर करना जरूरी है| बहुत-से लोगों को दोपहर के भोजन मे देरी होने या बहुत जल्दी कर लेने पर इस प्रकार की शिकायत हो जाती है|कुछ महिलाओ को भीड़ भरी बसों मे यात्रा करनेपर इस रोग का दौरा पड़ता है| अतः प्रथम मूल कारण दूर करना जरूरी है|

migraine (माइग्रेन)के उपचार मे सर्वप्रथम रोगी को चाहे स्त्री हो या पुरुष पेट साफ करने की हल्की दवा देनी चाहिए| जिस दिन पेट साफ की दवा डी जाय उस दिन दोपहर एवं रात्री के भोजन मे केवल मूंग की खिचड़ी गाय के घी के साथ एवं कढ़ी मीठे दही की लेनी चाहिए|खिचड़ी मे 10 से 20gm तक इकच्छानुसार घी लिया जा सकता है|फिर उस दिन रात को सोते वक्त मधूकादी चूर्ण या स्वादिष्ठ विरेचन चूर्ण 5 gm की मात्रा मे 5 gm ईसबगोल सत के साथ देना चाहिए| डॉ-एक दस्त हो सकते है|

 कोई डर की चिंता की बात नहीं| इस चूर्ण को 2 ग्लास गर्म पानी से ही लेना चाहिए|दूध या ठंडे पानी से कब्ज की दवा लेना ठीक नहीं|इससे दस्त साफ नहीं लगते|इसका वास्तविक अनुपान गर्म पानी है|उपयुक्त चूर्ण मे मुख्य द्रव्य मुलहठी 2 तोला, सनाय 1 तोला, सौफ 6 माशा, शुद्ध आंवलासार गंधक 6 माशा और मिस्त्री 6 तोला है|इनको महीन पीस लेना चाहिए|

जब दो या तीन साफ दस्त हो जाय तो अगले  दिन से दवा शुरू करनी चाहिए| दस्त वाले दिन भी भोज खिचड़ी, कढ़ी का ही करे|थोड़ा-थोड़ा निवाया पानी धीरे-धीरे कई बार पीना चाहिए| दवा केवल पथ्यादी  क्वाथ है|पथ्यादी क्वाथ दो तरह के है|एक यकृत पालिहा के लिए दूसरा शिरोरोग-हेतु| यह दूसरा लेना है| बाजार मे बना-बनाया भी उपलब्द रहता है|

इसका नुस्खा इस प्रकार है- 

हरड़+ बहेड़ा+आमला+चिरायता+ हल्दी+नीम की छाल+गिलोय- 

इन सब औषधियों को बराबर बराबर मात्रा मे लेकर मोटा-मोटा कूट ले|नीम की छाल और गिलोय अगर ताजा मिल जाय तो काढ़ा ज्यादा तेज और गुणकारी बनता है| 15 gm या सवा तोला तैयार उपयुक्त चूर्ण को 200 gm पानी मे उबालना चाहिए|50 gm पानी शेष रहने पर मसलकर छान ले| छानने के बाद इस काढ़े मे 10 gm गुड़ या चीनी या 5 gm काला नमक मिला ले|काढ़ा बनाते समय बर्तन को ढके नहीं | 

इस काढ़े को प्रातः जल्दी खाली पेट और रात को सोते वक्त लेना चाहिए| काढ़ा लेने के बाद 30 मिनट आराम करे|यदि काढ़ा लेते ही उलटी हो जाय तो बहुत अच्छा है| उसी क्षण सिर दर्द ठीक हो जायगा|वैसे इसे गुग्गुल के साथ लेना चाहिए|, पर शुद्ध गुग्गुल हर जगह नहीं मिलता| अतः इसके स्थान पर तीन गोली योगराज गुग्गुल की दी जा सकती है|पथ्यादी क्वाथ शिरोरोग के साथ-साथ कनपट्टी का दर्द सूर्यावर्त( सूरज बढ़ने के साथ-साथ जोर पकड़ने वाला दर्द) , दंतशुल, नेत्ररोग एवं नेत्रशूल तथा कान-संबंधी रोगों मे भी लाभ करता है| 

साधारण और नया सिरदर्द केवल एक सप्ताह या 10 दिन दवा लेने से ठीक हो जाता है|पुराने रोग मे 20 दिन या इससे ज्यादा दिन पथ्यादी क्वाथ लेना चाहिए|इस क्वाथ के सभी घटक शरीर के लिए उपयोगी और रसायन है|इससे migraine(माइग्रेन) मे बहुत लाभ होगा|

1. migraine(माइग्रेन) को ठीक करने का एक चमत्कारी नुस्खा-

migraine(माइग्रेन/आधासीसी) के लिए लहसुन की 4 कली और अदरक का एक 1/2 inch का टुकड़ा एक ग्लास पानी मे उबाले , जब पानी आधी ग्लास बच जाए तो इसे गुनगुना ही सुबह खाली पेट पी लेना है| ऐसा 21 दिन कीजिए| 3 दिन से ही आराम महसूस होगा|

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