1. जहर (विष); Poison -
कभी-कभी जाने-अनजाने मे विषपान(poison/जहर) के लेने से जीवन खतरे मे पड़ जाता है|दैनिक जीवन मे ऐसे अनेक अवसर आटे है की कोई न कोई व्यक्ति विष से ग्रस्त हो जाता है|ऐसे अवसर पर तत्काल चिकित्सा न करके समय नष्ट करने से पूरे शरीर मे जहर फैल जाता है|यदि विष रस से संयुक्त होकर हृदय तक पहुच जाए तो मृत्यु हो जाती है|विभिन्न प्रकार के विषों(poison) जैसे- सांप,बीछू का दंश,कीटनाशक औषधिओ का खा लेना, मिट्टी का तेल, तारपीन का तेल,कुचल, अफीम, धतूरा, गाँजा, भांग , मदिरा आदि मे से कुछ तो ऐसे है की तत्काल उनका प्राथमिक उपचार निम्न प्रकार से करना चाहिए-
- अधिक मात्रा से नमक का घोल पिलाकर उलटी कराए|उलटी न आने पर साबुन का पानी पिलाए और मुह क अंदर गले मे उंगली डालकर उलटी कराए|अधिक मात्रा मे भी घी ,तेल पिलाने से भी उलटी या दस्त हो सकते है|जिससे विष बाहर निकाल आएगा और उसका प्रभाव कम हो जाएगा|
- रेडी का तेल या जैतुन का तेल अथवा मैगसल्फ पिलाकर रोगी को दस्त कराने का प्रयास करे|मिट्टी ,तारपीन का तेल या पेट्रोल आदि के स्तिथि मे उलटी न करा के दस्त कराना चाहिए|
- यदि रोगी होश मे हो तो उसे आश्वस्त करे की वह शीघ्र ही स्वास्थ हो जाएगा|
- श्वास लेने मे तकलीफ हो तो ऑक्सीजन सुँघाए|
- आस-पास के स्थान का निरीक्षण करे की कोई विषैला पढ़ार्थ या इसी प्रकार की कोई शीशी आदि तो नहीं है|विष(poison) के बारे मे जान करके ही उपाय करे|
- यदि नींद आ रही हो तो सोने से रोकने का उपाय करे|नींद मे जहर तेजी से फैलत्ता है|
विष/जहर की पहचान और उनके प्राथमिक उपचार-
- धतूरा(HAREBELL)-
यह एक सर्वसुलभ पौधा है| इसके बीज और पत्तिया जहरीले होते है|इससे औषधि भी बनाई जाती है|धतूरे के बीज को खा लेने से शरीर पर उसके विष(poison) का प्रभाव पड़ने लगता है|
लक्षण-
- उलटी होने लगता है|
- नाड़ी कमजोर हो जाती है|
- गला और मुह सूखने लगता है|पेट मे जलन होती है, सिर मे चक्कर आटा है पैर लड़खड़ाने लगते है|
- नींद आने लगती है , रोगी प्रलाप करता है|
- बिस्तर से उठकर भागने की चेष्टा करता है|
- कपड़े मे से उसके धागों को निकालने का बहुत प्रयास करता है|
- बोलने से असमर्थता तथा चेहरा और नेत्र लाल हो जाता है|
उपचार-
- सिर पर ठंढा पानी डाले|
- नमक का घोल पिलाकर ,उलटी कराकर जहरीले पदार्थ बाहर निकाले|
- रेडी का तेल या मैगसल्फ पिलाकर दस्त कराए|
- श्वास लेने मे कष्ट होने पर आक्सीजन दे|क्लोरोफार्म सुँघाने से प्रलाप करना बंद हो जाता है|मुह पर ठंढे पानी का छीटा मारने से आराम मिलता है|गर्म दूध पीने को दे|
मिट्टी का तेल(PARAFFIN)-
आत्महत्या के उदेश्य से या भूल से मिट्टी के तेल, तारपीन का तेल या पेट्रोल पी लेने पर निम्न लक्षण उत्पन्न होते है-
- श्वास मे मिट्टी के तेल या पेट्रोल की गंध|
- मुह,गले तथा पेट मे तेज जलन|
- खूब प्यास लगना|
- जम्हाई आना तथा रह-रह कर बेहोशी आना|
- खासी ,सीने मे दर्द तथा श्वास लेने मे परेशानी होती है|
- शरीर मे ऐठन , बेहोशी और अंत मे हृदय काम करना बंद कर देता है|न्यूमोनिया का आक्रमण हो सकता है|
उपचार-
- बिस्तर पर आराम से लिटा दे|
- इसमे उलटी करना उचित नहीं है| इसलिए दस्त लाने के लिए मैगसल्फ पानी मे घोलकर पिलाए|
- घी या रेडी का तेल अधिक मात्रा मे पिलाए|इससे जलन कम होगा और दस्त भी हो जाएगा|
स्प्रिट(मेथिल अलकोहल)-
शराब मे स्प्रिट की मिलावट कर देने पर अक्सर ऐसी दुर्घटनाए होती है|कभी-कभी आत्महत्या के उदेश्य से या भूल वश भी लोग स्प्रिट पी लेते है|
लक्षण-
- सिर मे चक्कर आना, जी मचलाना, मानसिक संतुलन ठीक न रहना|
- श्वास तेजी से चलती है नाड़ी की गति तेज हो जाती है|
- पेट मे दर्द, उलटी, कम दिखाई पड़ना|
उपचार-
शीघ्र उचित चिकित्सा न होनेपर जान जा सकती है|अतः जल्दी-से-जल्दी किसी चिकित्सालय मे ले जाने की उपाय करना चाहिए|प्राथमिक उपचार उतना प्रभावी नहीं है|
कीटनाशक पदार्थ-
साग-सब्जीयो पर छिड़कने के प्रयोग मे लाये जानेवाले कीटनाशक, डी. डी . टी . पाउडर , गेमेक्सिन , चूहे मारने की दवा आदि अत्यंत जहरीली होती है|इन्हे खा लेने पर श्वास द्वारा या skin के संयोग से घटक प्रभाव उत्पन्न हो जाते है|
लक्षण-
- शरीर मे हल्के लकवे जैसी स्तिथि हो जाती है|
- पेट मे ऐठन , मुह से लार बहना, झटके के साथ श्वास चलने लगती है|
- आँख की पुतली सिकुड़ने लगती है|
- थोड़ी -थोड़ी देर बार आक्षेप आने लगता है|
उपचार-
- विषैली वस्तु कपड़े पर या शरीर पर लगी हो तो अछि तरह धोकर कपड़ा बदल ले|
- सोडियम सल्फेट को जल मे घोलकर पिलाए|जल्दी से जल्दी अस्पताल ले जाए|जहा आमाशय साफ करने की , उलटी कराकर तथा एनीमा देकर जहरीले पदार्थ को बाहर निकालने की व्यवस्था शीघ्र करनी चाहिए|
तेजाब पी लेना-
कभी-कभी तेजाब पी लेने की घटनाए हो जाया करती है|मुह, भोजन नली , आमाशय आदि आंतरिक अंग व्रणयुक्त हो जाते है|ऐसी स्तिथि मे सामयिक उपचार की आवश्यकता होती है|
लक्षण-
- मुह, कंठ, गले और आमाशय मे तेज जलन एवं दर्द होने लगता है|
- मुह से फेनयुक्त झाग निकलता है|उलटी मे मांस और खून के छोटे-छोटे थक्के हो सकते है|
- बोलने मे तथा श्वास लेने मे कठिनाई होती है तथा आवाज बिगड़ जाती है|
- तेज प्यास लगती है पर पानी पीने मे कठिनाई होती है|
- खून के साथ दस्त होता है और मूत्र की मात्रा धीरे-धीरे कम हो जाती है|
- नाड़ी की गति धीमी, अवसाद, श्वास मे अवरोध उत्पन्न होने लगता है|
उपचार-
- आमाशय प्रक्षालन और उलटी कभी न कराए, इससे आमाशय और भोजन नली को हानी होगा|
- तत्काल प्रयप्त मात्रा मे नमक का घोल पिलाने का प्रयास करे| साबुन का हल्का घोल या पानी मे चुना(खाने वाला) मिलाकर प्रयप्त मात्रा मे जल्दी पिलाए|क्षारीय पदार्थ पिलाने से तेजाब निष्प्रभावी हो जाएगा|
- इसके बाद देशी घी(कम-से-कम 250 gm ) या जैतून का तेल पीला दे और चिकित्सक को दिखाए|