Aarogya Anka

स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

कुछ ऐसे जहरीले चीज़े गलती से खा लेने पर क्या करे?लक्षण,उपचार सहित जाने:

1. जहर (विष); Poison -

poison(जहर )

कभी-कभी जाने-अनजाने मे विषपान(poison/जहर) के लेने से जीवन खतरे मे पड़ जाता है|दैनिक जीवन मे ऐसे अनेक अवसर आटे है की कोई न कोई व्यक्ति विष से ग्रस्त हो जाता है|ऐसे अवसर पर तत्काल चिकित्सा न करके समय नष्ट करने से पूरे शरीर मे जहर फैल जाता है|यदि विष रस से संयुक्त होकर हृदय तक पहुच जाए तो मृत्यु हो जाती है|विभिन्न प्रकार के विषों(poison) जैसे- सांप,बीछू का दंश,कीटनाशक औषधिओ का खा लेना, मिट्टी का तेल, तारपीन का तेल,कुचल, अफीम, धतूरा, गाँजा, भांग , मदिरा आदि मे से कुछ तो ऐसे है की तत्काल उनका प्राथमिक उपचार निम्न प्रकार से करना चाहिए-

  1. अधिक मात्रा से नमक का घोल पिलाकर उलटी कराए|उलटी न आने पर साबुन का पानी पिलाए और मुह क अंदर गले मे उंगली डालकर उलटी कराए|अधिक मात्रा मे भी घी ,तेल पिलाने से भी उलटी या दस्त हो सकते है|जिससे विष बाहर निकाल आएगा और उसका प्रभाव कम हो जाएगा|
  2. रेडी का तेल या जैतुन का तेल अथवा मैगसल्फ पिलाकर रोगी को दस्त कराने का प्रयास करे|मिट्टी ,तारपीन का तेल या पेट्रोल आदि के स्तिथि मे उलटी न करा के दस्त कराना चाहिए|
  3. यदि रोगी होश मे हो तो उसे आश्वस्त करे की वह शीघ्र ही स्वास्थ हो जाएगा|
  4. श्वास लेने मे तकलीफ हो तो ऑक्सीजन सुँघाए|
  5. आस-पास के स्थान का निरीक्षण करे की कोई विषैला पढ़ार्थ या इसी प्रकार की कोई शीशी आदि तो नहीं है|विष(poison) के बारे मे जान करके ही उपाय करे|
  6. यदि नींद आ रही हो तो सोने से रोकने का उपाय करे|नींद मे जहर तेजी से फैलत्ता है|

विष/जहर की पहचान और उनके प्राथमिक उपचार-

  1. धतूरा(HAREBELL)-

यह एक सर्वसुलभ पौधा है| इसके बीज और पत्तिया जहरीले होते है|इससे औषधि भी बनाई जाती है|धतूरे के बीज को खा लेने से शरीर पर उसके विष(poison) का प्रभाव पड़ने लगता है|

लक्षण-

  • उलटी होने लगता है|
  • नाड़ी कमजोर हो जाती है|
  • गला और मुह सूखने लगता है|पेट मे जलन होती है, सिर मे चक्कर आटा है पैर लड़खड़ाने लगते है|
  • नींद आने लगती है , रोगी प्रलाप करता है|
  • बिस्तर से उठकर भागने की चेष्टा करता है|
  • कपड़े मे से उसके धागों को निकालने का बहुत प्रयास करता है|
  • बोलने से असमर्थता तथा चेहरा और नेत्र लाल हो जाता है|

उपचार-

  • सिर पर ठंढा पानी डाले|
  • नमक का घोल पिलाकर ,उलटी कराकर जहरीले पदार्थ बाहर निकाले|
  • रेडी का तेल या मैगसल्फ पिलाकर दस्त कराए|
  • श्वास लेने मे कष्ट होने पर आक्सीजन दे|क्लोरोफार्म सुँघाने से प्रलाप करना बंद हो जाता है|मुह पर ठंढे पानी का छीटा मारने से आराम मिलता है|गर्म दूध पीने को दे|

मिट्टी का तेल(PARAFFIN)-

आत्महत्या के उदेश्य से या भूल से मिट्टी के तेल, तारपीन का तेल या पेट्रोल पी लेने पर निम्न लक्षण उत्पन्न होते है-

  • श्वास मे मिट्टी के तेल या पेट्रोल की गंध|
  • मुह,गले तथा पेट मे तेज जलन|
  • खूब प्यास लगना|
  • जम्हाई आना तथा रह-रह कर बेहोशी आना|
  • खासी ,सीने मे दर्द तथा श्वास लेने मे परेशानी होती है|
  • शरीर मे ऐठन , बेहोशी और अंत मे हृदय काम करना बंद कर देता है|न्यूमोनिया का आक्रमण हो सकता है|

उपचार-

  • बिस्तर पर आराम से लिटा दे|
  • इसमे उलटी करना उचित नहीं है| इसलिए दस्त लाने के लिए मैगसल्फ पानी मे घोलकर पिलाए|
  • घी या रेडी का तेल अधिक मात्रा मे पिलाए|इससे जलन कम होगा और दस्त भी हो जाएगा|  

स्प्रिट(मेथिल अलकोहल)-

शराब मे स्प्रिट की मिलावट कर देने पर अक्सर ऐसी दुर्घटनाए होती है|कभी-कभी आत्महत्या के उदेश्य से या भूल वश भी लोग स्प्रिट पी लेते है|

लक्षण-

  • सिर मे चक्कर आना, जी मचलाना, मानसिक संतुलन ठीक न रहना|
  • श्वास तेजी से चलती है नाड़ी की गति तेज हो जाती है|
  • पेट मे दर्द, उलटी, कम दिखाई पड़ना|

उपचार-

शीघ्र उचित चिकित्सा न होनेपर जान जा सकती है|अतः जल्दी-से-जल्दी किसी चिकित्सालय मे ले जाने की उपाय करना चाहिए|प्राथमिक उपचार उतना प्रभावी नहीं है|

कीटनाशक पदार्थ-

साग-सब्जीयो पर छिड़कने के प्रयोग मे लाये जानेवाले कीटनाशक, डी. डी . टी . पाउडर , गेमेक्सिन , चूहे मारने की दवा आदि अत्यंत जहरीली होती है|इन्हे खा लेने पर श्वास द्वारा या skin के संयोग से घटक प्रभाव उत्पन्न हो जाते है|

लक्षण-

  • शरीर मे हल्के लकवे जैसी स्तिथि हो जाती है|
  • पेट मे ऐठन , मुह से लार बहना, झटके के साथ श्वास चलने लगती है|
  • आँख की पुतली सिकुड़ने लगती है|
  • थोड़ी -थोड़ी देर बार आक्षेप आने लगता है|

उपचार-

  • विषैली वस्तु कपड़े पर या शरीर पर लगी हो तो अछि तरह धोकर कपड़ा बदल ले|
  • सोडियम सल्फेट को जल मे घोलकर पिलाए|जल्दी से जल्दी अस्पताल ले जाए|जहा आमाशय साफ करने की , उलटी कराकर तथा एनीमा देकर जहरीले पदार्थ को बाहर निकालने की व्यवस्था शीघ्र करनी चाहिए|   

तेजाब पी लेना-

कभी-कभी तेजाब पी लेने की घटनाए हो जाया करती है|मुह, भोजन नली , आमाशय आदि आंतरिक अंग व्रणयुक्त हो जाते है|ऐसी स्तिथि मे सामयिक उपचार की आवश्यकता होती है|

लक्षण-

  • मुह, कंठ, गले और आमाशय मे तेज जलन एवं दर्द होने लगता है|
  • मुह से फेनयुक्त झाग निकलता है|उलटी मे  मांस और खून के छोटे-छोटे थक्के हो सकते है|
  • बोलने मे तथा श्वास लेने मे कठिनाई होती है तथा आवाज बिगड़ जाती है|
  • तेज प्यास लगती है पर पानी पीने मे कठिनाई होती है|
  • खून के साथ दस्त होता है और मूत्र की मात्रा धीरे-धीरे कम हो जाती है|
  • नाड़ी की गति धीमी, अवसाद, श्वास मे अवरोध उत्पन्न होने लगता है|

उपचार-

  • आमाशय प्रक्षालन और उलटी कभी न कराए, इससे आमाशय और भोजन नली को हानी होगा|
  • तत्काल प्रयप्त मात्रा मे नमक का घोल पिलाने का प्रयास करे| साबुन का हल्का घोल या पानी मे चुना(खाने वाला) मिलाकर प्रयप्त मात्रा मे जल्दी पिलाए|क्षारीय पदार्थ पिलाने से तेजाब निष्प्रभावी हो जाएगा|
  • इसके बाद देशी घी(कम-से-कम 250 gm ) या जैतून का तेल पीला दे और चिकित्सक को दिखाए|
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