गर्भधारण:pregnancy:
1. गर्भावस्था मे स्वास्थ कैसे रहे?
नारी के जीवन का बहुत important time pregnancy का होता है|जो pregnent woman होती है वो बहुत तरह के मुश्किलों का सामना करके delivery के समय बहुत दर्द सहकर शिशु को जन्म देती है|pregnancy के समय कुछ आवश्यक बाते ध्यान मे रखकर वह स्वास्थ रह सकती है|तथा स्वास्थ शिशु को जन्म दे सकती है|pregnant औरत को pregnancy से related बातों का ज्ञान खुद और उनके परिवारजनों को जानना अति आवश्यक है|
2. गर्भावस्था के समान्य लक्षण-
- मसिकधर्म का रुक जाना|
- उल्टियाँ आना|
- स्तन मे changes.
- खट्टी चीज़े, चाक ,मिट्टी खाने की इच्छा होना|
- बार-बार पेशाब आना|
3. मासिकधर्म से delivery का अनुमान-
Delivery का अनुमानित दिन केवल अनुमानित ही होता है|यह आवश्यक नहीं की ठीक इसी दिन delivery हो, यह समय कुछ आगे-पीछे हो सकता है|साधारणतः मासिकधर्म होने के बाद delivery का समय 270-290 दिन के अंदर होता है|उसे जानने के लिए निम्नलिखित दिनों की संख्या जोड़ दी जाय तो delivery की time की कल्पना की जा सकती है|
महीना – महीने के सामने के दिनजोड़े
जनवरी – अक्टूबर 7 दिन
फरवरी – नवम्बर 7 दिन
मार्च – दिसंबर 5 दिन
अप्रैल – जनवरी 4 दिन
मई – फरवरी – 4 दिन
जून – मार्च 7 दिन
जुलाई – अप्रैल 6 दिन
अगस्त – मई 7 दिन
सितंबर – जून 7 दिन
अक्टूबर – जुलाई 7 दिन
नवंबर – अगस्त 7 दिन
दिसंबर – सितंबर 6 दिन
उदाहरण(example)-
यदि 10 जनवरी को मासिक धर्म हुआ है तो उसमे 7 मिलाने से 17 अक्टूबर को delivery होने समय समझना चाहिए|
4. गर्भावस्था मे तनाव से बचे-
महिला अगर किसी तरह का मानसिक तनाव मे रहती है तो इसका सीधा असर गर्भ मे पल रहे बच्चे पर पड़ता है|इसलिए pregnancy मे स्त्रीओ को खुश रहना चाहिए|ताकि बच्चा स्वस्थ हो|
गर्भ मे शिशु अवचेतन प्राणी होता है|तथा उसका अवचेतन मस्तिष्क उस अवधि की स्मृतिओ को भलीभाँति सँजोये रखता है|मत के संवेगों को जल्दी ही वो अपने अंदर समेट लेता है|गर्भवती को अपने बच्चे के भविष्य के लिए प्रसन्न और आशावादी रहना चाहिए|
5. गर्भवती स्त्रियों का आहार-
पोषकतत्व-
→कैल्सियम – दूध, दूध से बने पदार्थ , अखरोट बादाम ,पिस्ता आदि|
उपयोग- भ्रूण के हड्डियों एवं दाँतों के विकास के लिए जरूरी तत्व|
→आयरन– सूखे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल आदि|
उपयोग– भ्रूण मे रक्तकोशिकाओ के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक|
→विटामिंस– ताजे फल , हरी सब्जियां , अंकुरित अनाज, सलाद आदि|
उपयोग– स्वस्थ नाल तथा आयरन के शोषण के लिए|
→फलिक ऐसिड- हरी पत्तेदार सब्जियां, अनाज आदि|
उपयोग- बच्चे के स्नायु तंत्र के विकास के लिए|
→जिंक– अनाज, दाले आदि|
उपयोग– बच्चों के ऊतकों के विकास के लिए|
कैल्सियम ,फास्फोरस तथा विटामिन ‘डी’ प्राप्त करने के लिए गर्भिणी को चाहिए की वह सिरपर तौलिया रखकर प्रतिदिन थड़ी देरतक धूप लेती रहे|
माँ के शरीर मे मात्र कैल्सियम की कमी होने के कारण बच्चों को सुख रोग हो जाता है|तथा उसके दाँत जीवन भर खराब रहते है|इसलिए pregnent महिला के खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए|
6. pregnancy के बाद 1- 9 महीने का खान-पान -
‘चरकसाहिन्ता’ के अनुसार pregnent स्त्री को गर्भ के नौ महीने के दौरान ऐसे खान-पान का सेवन करना चाहिए जो की उसके स्वास्थ के अनुकूल हो|अगर खान-पान के वजह से माँ को कोई तकलीफ होती है तो उसका बुरा असर गर्भ मे पल रहे शिशु के स्वास्थ पर भी पड़ना निश्चित है|
7. pregnancy(गर्भधारण) के बाद-
प्रथम माह-
पहले महीने के दौरान गर्भवती की सुबह -शाम मिश्री मिला दूध पिना चाहिए|सुबह नाश्ते मे एक चम्मच मक्खन , एक चम्मच पीसी मिश्री और 2-3 काली मिर्च मिलाकर चाट ले|उसके बाद नरीयल के सफेद गिरी के 2-3 टुकड़े खूब चबा-चबाकर खा ले और बाद मे 5-10 gm सौफ खूब चबाचबा कर खाए|
द्वितीय माह-
दूसरा महिना शुरू होने पर रोजाना 10 gm सतावर का वरिक चूर्ण और पीसी मिश्री को दूध मे डालकर उबाले|जब दूध थोड़ा गर्म रहे तो इसे घूंट-घूंट के पी ले|और पूरे महीने सुबह और रात सोने से पहले इसका सेवन करे|
तृतीय माह-
तीसरा महीना शुरू होने पर सुबह-शाम एक ग्लास ठंढे किए गए दूध मे एक चम्मच शुद्ध घी और 3 चम्मच शहद घोलकर पिए|इसके अलावा गर्भवती को तीसरे महीने से ही सोमघृत का सेवन शुरू कर देना चाहिए|और 8 वे महीने तक जारी रखना चाहिए|
चतुर्थ माह-
चौथे महीने मे दूध के साथ मक्खन का सेवन करे|
पंचम माह-
पाचवे महीने मे सुबह-शाम दूध के साथ एक चम्मच शुद्ध घी का सेवन करे|
षष्ठ माह-
6 ठे महीने मे भी शतावर का चूर्ण और पीसी हुई मिश्री डालकर दूध उबाले, थोड़ा ठंढा करके पिए|
सप्तम माह-
7 वे महीने मे 6 ठे महीने के तरह ही दूध पिए, साथ ही सोमघृत का सेवन बराबर करती रहे|
अष्टम माह-
8 वे महीने मे भी दूध,घी, सोमघृत का सेवन सेवन जारी रखना चाहिए|साथ ही शाम को हल्का भोजन करे|इस महीने मे गर्भवती को अक्सर कब्ज और गैस की शिकायत रहेने लगती है|इसलिए तरल पदार्थ ज्यादा ले |यदि फिर भी कब्ज रहे तो रात मे दूध के साथ 1-2 चम्मच ईसबगोल ले|
नवम माह-
9 वे महीने मे खान-पान का सेवन 8 वे महीने के तरह ही रखे| बस इस महीने मे सोमघृत का सेवन बिल्कुल बंद कर दे|
8. गर्भावस्था मे करने योग्य कार्य-
- गर्भावस्था(pregnancy) मे गर्भवती को अपना मन सदैव प्रसन्न रखना चाहिए|
- गर्भवती को अच्छे साहित्य का अवलोकन तथा महापुरुषों के जीवन – चरित्र के ऊंचे आदेशों का चिंतन मनन करना चाहिए|
- गर्भकाल के दौरान सदा ढीले कपड़े पहनना चाहिए|कसे कपड़ों से बच्चे के बिकलांक होने के संभावना बढ़ जाती है|
- गर्भवती महीना की दिनचर्या नियमित होनी चाहिए तथा घरेलू कार्यों को करते रहना चाहिए|
- ज्यादा समय खाली पेट नहीं रहना चाहिए| नियमित समय पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा मे भोजन ग्रहण करे|
- यदि गर्भवती महीना स्वयं को अस्वस्थ महशुश करती है तो थोड़ी मात्रा मे किसी मीठी चीज का सेवन कर ले|
- तैलीय खाध्य पदार्थों का सेवन न करे |
- गर्भावस्था के दौरान संयम रखे, सहवास(सेक्स) ना करे|
- कोई भी दवा लेने से पूर्व चिकित्सक की सलाह ले|
- गर्भवती के स्तनों मे कोई दोष हो तो इसका उपचार यथाशीघ्र करना चाहिए|
9. व्यायाम-
गर्भावस्था के दौरान अधिक थकान पैदा करने वाला exercise , मेहनत के काम , उछलना-कूदना एकदम बंद कर देना चाहिए|सुबह- शाम खुली हवा मे टहलना चाहिए|
10. गर्भवती का डाक्टरी परीक्षण-
गर्भधारण का पता चलने पर गर्भवती महिला को तुरंत स्त्री-रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए|गर्भावती को delivery होने तक लगातार बार-बार जाच करवानी चाहिए|जिसमे शुरू के 6-7 महीने मे 1 बार तथा 7 वे महीने मे तथा 7 वे ,8 वे और 9 वे महीने मे 10-15 दिन मे 1 बार जांच करानी चाहिए|इस दिनों मे bp , खून- पेशाब आदि की जांच समय-समय पर कराती रहे|गर्भवती को अपना वजन हर माह जांच करना चाहिए|गर्भकाल मे 8-10 kg वजन बढ़ता है|यदि वजह अधिक बढ़ने लगे तो मीठा और चिकना युक्त भोजन कम कर देनी चाहिए|
इन नियमित जाँचों के दौरान 4 थे ,5 वे महीने मे पहला और 5 वे,6 थे महीने मे दूसरा (1 month का अंतर) टिटनश/वैक्सीन का टीका अवश्य लगवा लेनी चाहिए|
इस तरह शुद्ध सात्विक जीवन बिताने वाली महिलाये स्वास्थ, सुंदर एवं श्रेष्ठ बच्चे को जन्म दे सकती है|(delivery).