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स्वस्थ जीवन आरोग्य अंक /आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks . 

गर्भधारण (pregnancy)के बाद 9 महीने माँ और बच्चा का ख्याल रखने योग्य कुछ जरूरी बाते-

गर्भधारण:pregnancy:

pregnancy

1. गर्भावस्था मे स्वास्थ कैसे रहे?

नारी के जीवन का बहुत important time pregnancy का होता है|जो pregnent woman होती है वो बहुत तरह के मुश्किलों का सामना करके delivery के समय बहुत दर्द सहकर शिशु को जन्म देती है|pregnancy के समय कुछ आवश्यक बाते ध्यान मे रखकर वह स्वास्थ रह सकती है|तथा स्वास्थ शिशु को जन्म दे सकती है|pregnant औरत को pregnancy से related बातों का ज्ञान खुद और उनके परिवारजनों को जानना अति आवश्यक है|

2. गर्भावस्था के समान्य लक्षण-

  1. मसिकधर्म का रुक जाना|
  2. उल्टियाँ आना|
  3. स्तन मे changes. 
  4. खट्टी चीज़े, चाक ,मिट्टी खाने की इच्छा होना|
  5. बार-बार पेशाब आना|  

3. मासिकधर्म से delivery का अनुमान-

Delivery का अनुमानित दिन केवल अनुमानित ही होता है|यह आवश्यक नहीं की ठीक इसी दिन delivery हो, यह समय कुछ आगे-पीछे हो सकता है|साधारणतः मासिकधर्म होने के बाद delivery का समय 270-290 दिन के अंदर होता है|उसे जानने के लिए निम्नलिखित दिनों की संख्या जोड़ दी जाय तो delivery की time  की कल्पना की जा सकती है|

महीना     –       महीने के सामने के दिनजोड़े 

जनवरी      –       अक्टूबर 7 दिन 

फरवरी     –         नवम्बर 7 दिन 

मार्च          –         दिसंबर 5 दिन 

अप्रैल         –         जनवरी 4 दिन 

मई             –        फरवरी – 4 दिन 

जून             –        मार्च 7 दिन 

जुलाई          –       अप्रैल 6 दिन 

अगस्त          –       मई 7 दिन 

सितंबर         –       जून 7 दिन 

अक्टूबर        –       जुलाई 7 दिन 

नवंबर            –      अगस्त 7 दिन 

दिसंबर          –       सितंबर 6 दिन 

 

उदाहरण(example)-

यदि 10 जनवरी को मासिक धर्म हुआ है तो उसमे 7 मिलाने से 17 अक्टूबर को delivery होने समय समझना चाहिए|

4. गर्भावस्था मे तनाव से बचे-

 महिला अगर किसी तरह का मानसिक तनाव मे रहती है तो इसका सीधा असर गर्भ मे पल रहे बच्चे पर पड़ता है|इसलिए pregnancy  मे स्त्रीओ को खुश रहना चाहिए|ताकि बच्चा स्वस्थ हो|

गर्भ मे शिशु अवचेतन प्राणी होता है|तथा उसका अवचेतन मस्तिष्क उस अवधि की स्मृतिओ को भलीभाँति सँजोये रखता है|मत के संवेगों को जल्दी ही वो अपने अंदर समेट लेता है|गर्भवती को अपने बच्चे के भविष्य के लिए प्रसन्न और आशावादी रहना चाहिए|

5. गर्भवती स्त्रियों का आहार-

पोषकतत्व-  

कैल्सियम –  दूध, दूध से बने पदार्थ , अखरोट बादाम ,पिस्ता आदि|

उपयोग- भ्रूण के हड्डियों एवं दाँतों के विकास के लिए जरूरी तत्व|

आयरन  सूखे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल आदि|

उपयोग– भ्रूण मे रक्तकोशिकाओ के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक|

विटामिंस– ताजे फल , हरी सब्जियां , अंकुरित अनाज, सलाद आदि|

उपयोग– स्वस्थ नाल तथा आयरन के शोषण के लिए|

फलिक ऐसिड- हरी पत्तेदार सब्जियां, अनाज आदि|

उपयोग-  बच्चे के स्नायु तंत्र के विकास के लिए|

जिंक अनाज, दाले आदि|

उपयोग– बच्चों के ऊतकों के विकास के लिए|

कैल्सियम ,फास्फोरस तथा विटामिन ‘डी’ प्राप्त करने के लिए गर्भिणी को चाहिए की वह सिरपर तौलिया रखकर प्रतिदिन थड़ी देरतक धूप लेती रहे|

माँ के शरीर मे मात्र कैल्सियम की कमी होने के कारण बच्चों को सुख रोग हो जाता है|तथा उसके दाँत जीवन भर खराब रहते है|इसलिए pregnent महिला के खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए|

6. pregnancy के बाद 1- 9 महीने का खान-पान -

‘चरकसाहिन्ता’ के अनुसार pregnent स्त्री को गर्भ के नौ महीने के दौरान ऐसे खान-पान का सेवन करना चाहिए जो की उसके स्वास्थ के अनुकूल हो|अगर खान-पान के वजह से माँ को कोई तकलीफ होती है तो उसका बुरा असर गर्भ मे पल रहे शिशु के स्वास्थ पर भी पड़ना निश्चित है| 

7. pregnancy(गर्भधारण) के बाद-

प्रथम माह-

पहले महीने के दौरान गर्भवती की सुबह -शाम मिश्री मिला दूध पिना चाहिए|सुबह नाश्ते मे एक चम्मच मक्खन , एक चम्मच पीसी मिश्री और 2-3 काली मिर्च मिलाकर चाट ले|उसके बाद नरीयल के सफेद गिरी के 2-3 टुकड़े खूब चबा-चबाकर खा ले और बाद मे 5-10 gm  सौफ खूब चबाचबा कर खाए|

द्वितीय माह-

दूसरा महिना शुरू होने पर रोजाना 10 gm  सतावर का वरिक चूर्ण और पीसी मिश्री को दूध मे डालकर उबाले|जब दूध थोड़ा गर्म रहे तो इसे घूंट-घूंट के पी ले|और पूरे महीने सुबह और रात सोने से पहले इसका सेवन करे|

तृतीय माह-

तीसरा महीना शुरू होने पर सुबह-शाम एक ग्लास ठंढे किए गए दूध मे एक चम्मच शुद्ध घी और 3 चम्मच शहद घोलकर पिए|इसके अलावा गर्भवती को तीसरे महीने से ही सोमघृत का सेवन शुरू कर देना चाहिए|और 8 वे महीने तक जारी रखना चाहिए| 

चतुर्थ माह-

चौथे महीने मे दूध के साथ मक्खन का सेवन करे|

पंचम माह-

पाचवे महीने मे सुबह-शाम दूध के साथ एक चम्मच शुद्ध घी का सेवन करे|

षष्ठ माह-

6 ठे महीने मे भी शतावर का चूर्ण और पीसी हुई मिश्री डालकर दूध उबाले, थोड़ा ठंढा करके पिए|

सप्तम माह-

7 वे महीने मे 6 ठे महीने के तरह ही दूध पिए, साथ ही सोमघृत का सेवन  बराबर करती रहे| 

अष्टम माह-

8 वे महीने मे भी दूध,घी, सोमघृत का सेवन सेवन जारी रखना चाहिए|साथ ही शाम को हल्का भोजन करे|इस महीने मे गर्भवती को अक्सर कब्ज और गैस की शिकायत रहेने लगती है|इसलिए तरल पदार्थ ज्यादा ले |यदि फिर भी कब्ज रहे तो रात मे दूध के साथ 1-2 चम्मच ईसबगोल ले| 

नवम माह-

9 वे महीने मे खान-पान का सेवन 8 वे महीने के तरह ही रखे| बस इस महीने मे सोमघृत का सेवन बिल्कुल बंद कर दे| 

8. गर्भावस्था मे करने योग्य कार्य-

  1. गर्भावस्था(pregnancy) मे गर्भवती को अपना मन सदैव प्रसन्न रखना चाहिए|
  2. गर्भवती को अच्छे साहित्य का अवलोकन तथा महापुरुषों के जीवन – चरित्र के ऊंचे आदेशों का चिंतन मनन करना चाहिए|
  3. गर्भकाल के दौरान सदा ढीले कपड़े पहनना चाहिए|कसे कपड़ों से बच्चे के बिकलांक होने के संभावना बढ़ जाती है|
  4. गर्भवती महीना की दिनचर्या नियमित होनी चाहिए तथा घरेलू कार्यों को करते रहना चाहिए|
  5. ज्यादा समय खाली पेट नहीं रहना चाहिए| नियमित समय पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा मे भोजन ग्रहण करे|
  6. यदि गर्भवती महीना स्वयं को अस्वस्थ महशुश करती है तो थोड़ी मात्रा मे किसी मीठी चीज का सेवन कर ले|
  7. तैलीय खाध्य पदार्थों का सेवन न करे |
  8. गर्भावस्था के दौरान संयम रखे, सहवास(सेक्स) ना करे|
  9. कोई भी दवा लेने से पूर्व चिकित्सक की सलाह ले|
  10. गर्भवती के स्तनों मे कोई दोष हो तो इसका उपचार यथाशीघ्र करना चाहिए|

9. व्यायाम-

गर्भावस्था के दौरान अधिक थकान पैदा करने वाला exercise , मेहनत के काम , उछलना-कूदना एकदम बंद कर देना चाहिए|सुबह- शाम खुली हवा मे टहलना चाहिए|

10. गर्भवती का डाक्टरी परीक्षण-

गर्भधारण का पता चलने पर गर्भवती महिला को तुरंत स्त्री-रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए|गर्भावती को delivery होने तक लगातार बार-बार जाच करवानी चाहिए|जिसमे शुरू के 6-7 महीने मे 1 बार तथा 7 वे महीने मे तथा 7 वे ,8 वे और 9 वे महीने मे 10-15 दिन मे 1 बार जांच करानी चाहिए|इस दिनों मे bp , खून- पेशाब आदि की जांच समय-समय पर कराती रहे|गर्भवती को अपना वजन हर माह जांच करना चाहिए|गर्भकाल मे 8-10 kg  वजन बढ़ता है|यदि वजह अधिक बढ़ने लगे तो मीठा और चिकना युक्त भोजन कम कर देनी चाहिए|

इन नियमित जाँचों के दौरान 4 थे ,5 वे महीने मे पहला और 5 वे,6 थे महीने मे दूसरा (1 month  का अंतर) टिटनश/वैक्सीन का टीका अवश्य लगवा लेनी चाहिए|

इस तरह शुद्ध सात्विक जीवन बिताने वाली महिलाये स्वास्थ, सुंदर एवं  श्रेष्ठ बच्चे को जन्म दे सकती है|(delivery). 

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