आयुर्वेद दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है Ιऐसा माना जाता है की बाद मे विकसित हुई अन्य चिकित्सा पद्धतियों मे इसी से प्रेरणा ली गई है Ιकिसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के खासियत के कारण आज अधिकांश लोग आयुर्वेद के तरफ जा रहे हैΙइस लेख मे हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी हर एक रोग और उसके इलाज के बारे मे बताएंगे Ιआयुर्वेद चिकित्सा के साथ सभी प्रकार के जड़ी -बूटी के बारे मे तथा आयुर्वेद के 8 प्रकारों से हर तरह के रोगों के इलाज के बारे मे बताया गया हैΙ सभी पोस्टों को पढे ओर जानकारी अवश्य ले ताकि आप भी अपना जीवन आरोग्य के साथ healthy बना सके| thanks .
विभिन्न रोगों के अचूक प्रयोग( Surefire remedies for various diseases)
सर्वसाधारण के लिए, वह चाहे ग्रामीण क्षेत्र का हो या शहरी क्षेत्र का ,अमीर हो या गरीब सभी के लिए किए जा सकने वाले तथा आसानी से कम दामों मे घरेलू साधनों से तैयार हो जानेवाले कुछ उपयोगी प्रयोग यह प्रस्तुत है|ये प्रयोग कई बार के अनुभूत है|आप लोग इन्हे पढ़ के लाभ उठा सकते है-
1. आधासीसी(Migraines)
migraines के लिए लहसुन की 4 कली और अदरक का एक 1/2 inch का टुकड़ा एक ग्लास पानी मे उबाले , जब पानी आधी ग्लास बच जाए तो इसे गुनगुना ही सुबह खाली पेट पी लेना है| ऐसा 21 दिन कीजिए| 3 दिन से ही आराम महसूस होगा|
टंकण(फुलासुहागा) 3 gm की मात्रा, घी शक्कर के साथ सुबह 5 बजे एक खुराक चटाये|इस प्रकार तीन दिन रोग एक बार चाटाने से पूर्ण आराम हो जाएगा|
2. कान का दर्द-
बिना फोड़े-फुंसी के यदि कान दर्द करता है तो उसके लिए आक(मदार) के पके पत्ते के एक तरफ थोड़ा- सा घी लगाकर गरम कर शरीर के तापमान के अनुसार उसका रस कान मे डालने से कान का दर्द तत्काल ठीक हो जाता है|
3. दाँत मे पानी लगना-
पानी पीते समय दाँत मे टीस होने लगती है, जिससे कभी-कभी पानी पिन भी कठिन हो जाता है,उसके लिए पलास (खाकरा)- की टहनी की दातौन करने से तथा उस दाँत के पास रस पहुचाने से 1 या 2 बार के प्रयोग से लाभ हो जाता है|
4. रक्तप्रदर(METRORRHAGIA)-
साधारण रक्तप्रदर मे पुराने कंबल की ऊन की 3-4 रती की मात्रा की दिन मे तीन बार शहद के साथ चाटने से एक ही दिन मे लाभ हो जाता है|
5. रकतर्श (piles /bleeding piles)-
नीम की सुखी 10-12 नीबोली(फल)- की गिरी को पीसकर, गोली बनाकर दूध के साथ लगभग 5-7 दिन तक दिन मे एक बार प्रयोग करने से लाभ हो जाता है| हल्का सुपाच्य भोजन करे|
50 gm ताजे दही के साथ 3 gm रसोत चूर्ण मिलाकर 3-5 दिन तक खाने से रकतर्श मे हमेशा के लिए लाभ हो जाता है|प्रयोग सुबह भोजन के पहले दिन मे एक बार करे|सुपाच्य भोजन करे|
6. यकृत रोग(liver disease)-
नागफनी थूहर का कच्चा गुदा लगभग 1 तोला की मात्रा (10 gm ) 3 से 4 दिन तक सुबह रोज खिलाने से बच्चों का बढ़ा हुआ लिवर 7-8 दिन मे ठीक हो जाता है|खटाई एवं गरिष्ठ पदार्थ न दे|
7. आँव(पेचीस) के दस्त(Gooseberry diarrhea)-
ठंडे -फीके दूध मे लगभग आधा नींबू का रस डालकर पीने से आँव के दस्त एक-दो बार के प्रयोग से बंद हो जाते है| मीठा पदार्थ खाने को न दे|
8. दाँत का दर्द(Toothache)-
काले मरवे के पत्ते चबाने से दाँत-दाढ़ का दर्द दूर हो जाता है|
9. मुंह के छाले-
चमेली के पत्ते चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते है|
बकरी के दूध की धार मुह मे लगाने से मुंह की छाले मीट जाते है|
10. शक्ति- वृद्धि(Strength increase)-
सफेद प्याज का रस लगभग 6gm मे समान भाग शहद मिलाकर रोज सुबह 21 दिन तक चाटने से वीर्य की वृद्धि होती है|संयम से रहे|
11. रकतशुद्धि एवं वीर्यपुष्टि-
तुलसी के बीज 1 gm पीसकर सादे या कत्था-चुना लगे पान के साथ रोग सुबह-शाम खाली पेट खाने से वीर्य पुष्ट एवं रक्त शुद्ध होता है|
12. पेशाब की रुकावट(Obstruction of urination)-
पलास के फूल(टेसू) गीले या सूखे पानी के साथ थोड़ा-स कलमी शोरा मिलाकर, पीसकर नाभि के नीचे पेडू पर लगाने से 5-10 min मे पेशाब खुलकर आने लगता है|
13. मलेरिया ज्वर(malarial Fever)-
इसके आने के 1 घंटे पूर्व ही पीपल की पेड़ की टहनी से दातुन करे, चाहे तो रस एक -दो बार निगल ले|ज्वर नहीं आएगा|
14. अकतरा(एक दिन छोड़कर आने वाला बुखार)-
अपमार्ग(चिरचिरा) की ताजी जड़ लाकर सफेद धागे से एक भुजा पर बांधने से बुखार नहीं आएगा|
15. स्तन्य वृद्धि(Increase in breast milk)-
कभी-कभी माँ के स्तन मे दूध की कमी हो जाती है या आते -आते रुक जाता है|उसके लिए सफेद जीरा, सौंफ एवं मिश्री-तीनों की समान भाग मे पीसकर रख ले|इसे एक चम्मच की मात्रा मे दूध के साथ दिन मे दो या तीन बार लेने से स्तन मे दूध खूब बढता है|
16. जले स्थान पर-
जले स्थान पर ग्वारपाके(घृतकुमारी) का गुदा लगाने से जलन शांत होती है|तथा छाले भी नहीं होते है|
जले स्थान पर आलू काट के भी लगाने से आराम होता है|
17. मूत्र संबंधी विकार-
पेशाब मे जलन हो , बूँद-बूँद पेशाब लगातार आयात हो, हाथ-पैरों के तलवों मे जलन होती हो या चर्म रोग हो , सभी की एक दवा -देशी गीली महंदी के साफ पत्ते लाकर पत्थर पर पीसकर रस निचोड़े| यह रस अवस्थानुसार 10-12 gm की मात्रा मे ताजा दूध मे मिलाकर सुबह 3-4 या 7 दिन पीने से लाभ हो जाता है|रोग की अवस्था अनुसार 14 दिन बाद फिर से दिया जा सकता है|
remedies for various diseases .
18. वात रोग ( जोड़ों का दर्द)-
अरंडी तेल(Castor oil) मे लहसुन की कली धीमी आंच पर जलाकर तेल तैयार कर ले| ठंडा करके छान के सीसी मे भर ले| आवश्यता होने पर जोड़ों के दर्द मे मालिश करने से दर्द मे लाभ होता है|
19. उपदंश(सुजाक)GONORRHOEA-
कच्ची फिटकरी को पीस, समान भाग गुड़ मे बेर-बराबर गोली बनाकर ताजा छाछ के साथ सुबह खाली पेट दिन मे एक बार लगभग 21 दिनतक प्रयोग करने से उपदंश मे शर्तिया लाभ होता है|गोली के साथ ही छाछ दे, फिर दिन भर छाछ न दे | हल्का भोजन करे, तेल,मसाले वाली चीज़े, मिर्च आदि न ले, गर्म पदार्थ( चाय आदि) न ले|
20. दाद -
सत्यानाशी का जड़(पीले फुलवारी कंटकारी) सुबह पानी के साथ घिसकर लगाने से दाद नष्ट हो जाते है|
ये थे कुछ विभिन्न रोगों के अचूक प्रयोग:remedies for various disease: