गेंहू का प्रयोग हम सभी लोग बारहों मास भोजन मे करते रहते है, पर उसमे क्या गुण है, उसपे लोगों ने कम बिचार किया है|मोटे तौर से हमलोग इतना ही जानते है की यह एक उतम शक्तिदायक खाद्य पदार्थ है|कुछ वैद्धों ने ये भी पता लगाया है की मुख्य शक्ति गेहू के चोकर मे है|जिसे प्रायः लोग आता छान लेने के बाद फेक देते है या जानवरों को खाने के लिए दे देते है; स्वयं नहीं खाते , हानिकारक आटा या मैदा खाना पसंद करते है और लाभदायक चोकर सहित मोटा आता खाना पसंद नहीं करते है|
परिणाम यह होता है की शक्तिवर्धक वस्तु न खा कर गेंहू के अंदर का शक्तिरहित गुदा खाते रहने से हमलोग जीवन भर अनेक प्रकार की बीमारियों से पीड़ित रहा करते है|प्राकृतिक चिकित्सा प्रायः चोकर सहित आटे खाने पर जोर देते है|जिससे पेट की तमाम बीमारिया अच्छी हो जाती है|लोग यह जानते है की 24 घंटे भिगो कर सुबह गेहू का नश्ता करने से अथवा चोकर का हलवा खाने शक्ति मिलती है|
फिर भी लोग झंझट से बचने के लिए डॉक्टरी दवाइयों के चक्कर मे अधिक रहते है|जिसके सेवन से नई नई बीमारिया दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है|घर मे रोज काम मे आने वाली और भी अनेक छीजे है ,जिसके उचित प्रयोग से अनेक साधारण बीमारिया अच्छी हो सकती है|
इसी उपर्युक्त मे गेहू के संबंध मे आज हम पाठकों को इसके महत्व के बारे मे बताएंगे-
अमेरिका के एक महिला डॉक्टर से गेहू के शक्ति के संबंध मे बहुत अनुसंधान तथा अनेकों प्रयोग करके यह सिद्ध किया है की अनेक रोगियों पर गेंहू के छोटे-छोटे पौधों का रस( wheat grass juice) देकर उनके कठिन से कठिन रोग ठीक किए जा सकते है|’वे कहती है की संसार मे कोई रोग नहीं है जो इस रस के सेवन से अच्छा न हो सके’|
केन्सर के भयंकर रोगीयो को भी उन्होंने ठीक किया है|जिन्हे डॉक्टरों ने असाध्य समझ कर जबाब दे दिया था और वे मरने क स्तिथि मे अस्पताल से निकाल दिए गए थे एसी हितकर चीज अद्भुत wheat grass juice साबित हुई|अनेकों भगन्दर,बवासीर,गठिया,मधुमेह,पीलियाज्वर, दमा,खांसी,आदि के पुराने -से -पुराने आषाध्य रोगी उन्होंने इसस साधरण से रस के प्रयोग से ठीक किया है|बुढ़ापे की कमजोरी दूर करने मे यह रामबाण है|
भयंकर फोड़ो और घाओ पर इसकी लुगदी(पल्प)बांधने से जल्दी लाभ होता है| इसके रस को लोग green blood की उपमा देते है|कहते है की यह रस मनुष्य के रक्त से 40%match करता है|ऐसी अद्भुत चीज आजतक कही देखने-सुनने मे नहीं आई थी | इसके तैयार करने की विधि बहुत ही आसान है|
इसके रस को बनाने की विधि इस प्रकार है-(wheat grass juice recipe)-
गेंहू के पौधे उगने के बाद जब पौधा 7-8 इंच का हो जाए तब उनमे से पहले दिन के बोए हुए 30/40 पौधे जड़ सहित उखाड़ कर जड़ को काटकर फेक दीजिए और बचे हुए डंठल तथा पतियों को (जिसे wheat grass कहते है) धोकर पानी के साथ पीसकर आधा ग्लास के लगभग रस छान कर तैयार कर लीजिए और रोगी को तत्काल ताजा रस रोज सवेरे पीला दीजिए|
इसी प्रकार सायं को भी ताजा रस निकालकर पिलाइए- बस आप देखेंगे की भयंकर-से भयंकर रोग 8-10 या 15-20 दिन मे भागने लगेंगे|और 2-3 महीने मे वो मरने के कगार पे जो रोगी था वो पूरी तरह से स्वास्थ हो चुका होगा|रस छानने के बाद जो फुजला(मोटा छिलवा वाला हिस्सा) निकले उसे भी आप नमक बगैरा डालकर भोजन के साथ खा ले तो बहुत अच्छा है|
अगर रस नहीं निकालना चाहते है तो इसके पौधों को चाकु से महीन-महीन काट कर सलाद के तरह भी सेवन कर सकते है|परंतु उसके साथ कोई भी फल न मिलाया जाए|साग- सब्जी के साथ खूब मज्जे से खाइए,आप देखिएगा की इसस ईश्वरप्रदत अमृत के समान डॉक्टर बद्धों की दवाइया सब बेकार हो जाएंगे| गेहू 7-8 इंच से ज्यादा न होने पाए तभी उनके use मे लिया जाए|
रस निकालकर ज्यादा देर नहीं रखना चाहिए| ताजा ही सेवन कर लेना चाहिए|घंटा-दो-घंटा रख के सेवन करने से उसकी शक्ति घट जाती है|